सरकार ने 88 वैकल्पिक निवेश निधियों ( एआईएफ ) के लिए स्टार्टअप इंडिया निवेश के लिए फंडों के फंड के तहत 7,385 करोड़ रुपये की प्रतिबद्धता की, एआईएफ द्वारा 720 स्टार्टअप्स की सहायता की गई
2016 में लांच होने के बाद से एफएफएस के तहत प्रतिबद्ध राशि ने 21 प्रतिशत से अधिक का सीएजीआर दर्ज कराया.
एफएफएस के माध्यम से सहायता प्राप्त निष्पादनकारी स्टार्टअप्स ने वैल्यूएशन में 10 गुना से अधिक वृद्धि प्रदर्शित की और कुछ ने यूनिकॉर्न का दर्जा प्राप्त किया.
नई-दिल्ली (PIB): वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने विज्ञप्ति जारी कर बताया कि, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 2016 में स्टार्टअप इंडिया पहल के तहत लांच किए गए स्टार्टअप्स के लिए फंडों के फंड ( एफएफएस ) ने 24 सितंबर, 2022 तक 88 वैकल्पिक निवेश निधियों ( एआईएफ ) के लिए 7,385 करोड़ रुपये की प्रतिबद्धता की है। बदले में, इन एआईएफ ने 720 स्टार्टअप्स में 11,206 करोड़ रुपये का निवेश किया है। एफएफएस भारतीय स्टार्टअप परितंत्र में घरेलू पूंजी जुटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं।
एफएफएस की घोषणा 10,000 करोड़ रुपये के कोष के साथ की गई थी। इस कोष का निर्माण भारत सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग ( डीपीआईआईटी ) द्वारा बजटीय सहायता के माध्यम से 14वें एवं 15वें वित्त आयोग चक्रों ( वित्त वर्ष 2016-2020 एवं वित्त वर्ष 2021-2025 ) की अवधि के दौरान किया जाना है। एफएफएस के तहत, सेबी द्वारा पंजीकृत वैकल्पिक निवेश निधियों ( एआईएफ ) को सहायता दी जाती है जो इसके बदले स्टार्टअप्स में निवेश करते हैं।
एफएफएस ने न केवल स्टार्टअप्स के लिए आरंभिक चरण, बीज चरण एवं विकास चरण में पूंजी उपलब्ध कराई है बल्कि घरेलू पूंजी जुटाने, विदेशी पूंजी पर निर्भरता कम करने, और घरेलू तथा नए उद्यम पूंजी निधियों को प्रोत्साहित करने के मामले में भी एक उत्प्रेरक की भूमिका का निर्वहन किया है। सामूहिक रूप से, एफएफएस द्वारा सहायता प्राप्त एआईएफ के पास 48,000 करोड़ रुपये से अधिक का लक्ष्य कोष है। एफएफएस के तहत सहायता प्राप्त प्रमुख स्टार्ट अप कंपनियों के अग्रणी एआईएफ में चिराटे वेंचर्स, इंडियो कोशेंट, ब्लुम वेंचर्स, आईवीकैप, वॉटरब्रिज, ओमनीवोर, आविष्कार, जेएम फाइनेंशियल, फायरसाइड वेंचर्स तथा और कई शामिल हैं।
एफएफएस के तहत प्रतिबद्ध राशि में पिछले कुछ वर्षों के दौरान उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है और योजना के प्रारंभ होने के बाद से 21 प्रतिशत से अधिक की सीएजीआर दर्ज की गई है।। इसके अतिरिक्त, भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक ( सिडबी ) जो स्कीम के प्रचालनगत होने के लिए उत्तरदायी है, ने हाल ही में सुधारों की एक श्रृंखला आरंभ की है जिससे कि एफएफएस के तहत सहायता प्राप्त एआईएफ को त्वरित ड्राडाउन अर्जित करने में सक्षम बनाने के लिए ड्राडाउन में तेजी लाई जा सके। इसने एक सकारात्मक प्रभाव सृजित किया है और इसका परिणाम ड्राडाउन की राशि में वर्ष दर वर्ष ( वित्त वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही के मुकाबले वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही में ) के आधार पर 100 प्रतिशत का उछाल के रूप में आया है।
एफएफएस ने एआईएफ सहायता प्राप्त 88 में से 67 एआईएफ की मूलभूत रूप से मदद की है और इनमें से 38 पहली बार वाले फंड मैनेजर हैं जो भारतीय स्टार्टअप्स के लिए वेंचर कैपिटल निवेशों की आरंभिक सहायता करने के एफएफएस के मूल उद्वेश्य के अनुरुप है।
पात्र स्टार्टअप्स में निवेश एफएफएस संवितरण का लगभग 3.7 गुना है जो योजना के तहत निर्धारित न्यूनतम 2 गुना से बहुत अधिक है। एफएफएस के माध्यम से सहायता प्राप्त निष्पादनकारी स्टार्टअप्स वैल्यूएशन में 10 गुना से अधिक वृद्धि प्रदर्शित कर रहे हैं और उनमें से कई यूनिकॉर्न का दर्जा ( 1 बिलियन डॉलर से अधिक का वैल्यूएशन ) भी अर्जित कर रहे हैं। एफएफएस के माध्यम से वित्त पोषित कुछ उल्लेखनीय स्टार्टअप्स में डुंजो, क्योरफिट, फ्रेशटूहोम, जम्बोटेल, अनएकेडैमी, यूनिफोर, वोगो, जोस्टेल, जेटवर्क आदि शमिल हैं। इन स्टार्टअप्स तथा सृजित नवोन्मेषणों की सफलता से उत्पन्न रिटर्न भारत के भीतर ही रहेगा तथा रोजगार पैदा करने और संपदा के सृजन को सुगम बनाएगा।
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