
लाइव 'ला': वक्फ अधिनियम में संशोधनों पर सहमत हुई केंद्र सरकार, क्या सुप्रीम कोर्ट के इस संकेत का हुआ असर?
नई दिल्ली (लाइव 'ला'): केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में वक्फ संशोधन अधिनियम पर में सुझाए गए संशोधनों पर सहमित जता दी है। माना जा रहा है कि केंद्र सरकार ने यह सहमित सुप्रीम कोर्ट के वक्फ संशोधन अधिनियम, 2025 पर रोक के संकेत के बाद जताई। सुझाए गए संशोधनों में प्रमुख रूप से दो में कहा गया कि वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिमों की नियुक्ति नहीं की जाएगी और घोषित वक्फों पर भी यथास्थिति बनी रहेगी।
केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 को चुनौती देने वाली याचिकाओं के जवाब में गुरुवार को हुई दूसरी दिन की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के समक्ष निम्नलिखित बयान दिए:
1. सुनवाई के दौरान संशोधित प्रावधानों के अनुसार गैर-मुस्लिमों को केंद्रीय वक्फ परिषदों और राज्य वक्फ बोर्डों में नियुक्त नहीं किया जाएगा।
2. वक्फ-बाय-यूजर वाले वक्फ में भी अगली सुनवाई की तारीख तक विमुक्त नहीं किया जाएगा। चाहे इसे अधिसूचना या रजिस्ट्रेशन के माध्यम से घोषित किया गया हो।
कोर्ट ने अपने आदेश में इस प्रकार बयान दर्ज किया:
सुनवाई के दौरान, सॉलिसिटर जनरल मिस्टर तुषार मेहता ने कहा कि प्रतिवादी आज से सात दिनों की अवधि के भीतर उत्तर/प्रतिक्रिया दाखिल करना चाहेंगे। उन्होंने इस न्यायालय को आश्वस्त किया कि अगली सुनवाई की तारीख तक केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्यों तथा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में वक्फ बोर्डों में मूल अधिनियम, अर्थात् एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तीकरण, दक्षता और विकास अधिनियम, 1995, जिसे वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 द्वारा संशोधित किया गया, उसकी धारा 9 और 14 के अंतर्गत कोई नियुक्ति नहीं की जाएगी। उन्होंने आगे कहा कि यदि किसी राज्य या राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की सरकार ऐसी कोई नियुक्ति करती है तो उसे शून्य घोषित किया जा सकता है। यह भी कहा गया कि अगली सुनवाई की तारीख तक कोई भी वक्फ चाहे वह अधिसूचना के माध्यम से हो या रजिस्ट्रेशन के माध्यम से हो, उसे न तो विमुक्त किया जाएगा और न ही उनके चरित्र या स्थिति में कोई बदलाव किया जाएगा।"
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 5 मई को दोपहर 2 बजे की तारीख तय की।
न्यायालय ने मामले का कारण टाइटल भी बदलकर "वक्फ संशोधन अधिनियम के संबंध में" कर दिया।
न्यायालय ने यह भी कहा कि केवल पांच रिट याचिकाओं को ही मुख्य मामले माना जाएगा और अन्य रिट याचिकाओं को हस्तक्षेप आवेदन माना जाएगा।
बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान न्यायालय ने संशोधनों के बारे में कुछ चिंताएं जताने के बाद अंतरिम आदेश पारित करने का प्रस्ताव रखा था। हालांकि न्यायालय गुरुवार को आदेश पारित करने वाला था, लेकिन केंद्र सरकार द्वारा समय मांगे जाने के बाद उसने मामले को स्थगित कर दिया।
न्यायालय ने यथास्थिति में भारी बदलाव के बारे में चिंता व्यक्त की
आज की सुनवाई की शुरुआत में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वक्फ संशोधन अधिनियम पर रोक लगाने से पहले न्यायालय ने अंतरिम आदेश पारित करने का प्रस्ताव रखा था।
कानून बनाना, चाहे प्रत्यक्ष हो या अप्रत्यक्ष, असाधारण उपाय है और प्रावधानों को मात्र अस्थायी रूप से पढ़ने के आधार पर ऐसा नहीं किया जा सकता।
एसजी ने कहा,
"हमें लाखों-लाखों अभ्यावेदन प्राप्त हुए हैं, जिन्होंने इनमें से कुछ संशोधनों में योगदान दिया। गांवों को वक्फ के रूप में घोषित कर दिया गया। निजी संपत्तियों को वक्फ के रूप में घोषित कर दिया गया। इससे बड़ी संख्या में निर्दोष लोग प्रभावित होते हैं। माई लॉर्ड उचित सहायता के बिना प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से वैधानिक प्रावधानों पर रोक लगाकर गंभीर और कठोर कदम उठा रहा है।"
एसजी ने सामग्री प्रस्तुत करने के लिए एक सप्ताह का समय मांगा।
सीजेआई खन्ना ने उस वक्त जवाब दिया,
"मिस्टर मेहता, हमारे सामने एक विशेष स्थिति है। हमने कुछ कमियों की ओर इशारा किया है। हमने यह भी कहा कि कुछ सकारात्मक चीजें हैं। लेकिन हम नहीं चाहते कि आज की स्थिति इतनी तेजी से बदले कि इससे पक्षकारों के अधिकार प्रभावित हों। इसमें किसी भी व्यक्ति के पांच मुस्लिम पहले के होने जैसे प्रावधान हैं, हम उस पर रोक नहीं लगा रहे हैं। हां, आप सही कह रहे हैं। एक नियम है कि न्यायालय आम तौर पर कानूनों पर रोक नहीं लगाते। लेकिन एक और नियम है, जब याचिका न्यायालय के समक्ष लंबित है तो मौजूदा स्थिति में बदलाव नहीं होना चाहिए, जिससे व्यक्तियों के अधिकार प्रभावित न हों।"
इसके बाद एसजी तुषार मेहता ने फिर से समय दिए जाने का अपना अनुरोध दोहराया।
सीजेआई ने इस पर कहा कि समय दिया जा सकता है, लेकिन इस शर्त पर कि गैर-मुस्लिम सदस्यों को वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में नामित नहीं किया जाएगा। साथ ही रजिस्टर्ड वक्फों में बदलाव नहीं किया जाएगा।
एसजी ने बयान दिया कि ऐसी कोई नियुक्ति नहीं की जाएगी।
हालांकि, सीजेआई ने कहा कि एसजी केवल केंद्र सरकार की ओर से बयान दे सकते हैं। राज्यों (जो बोर्ड में नियुक्तियां करते हैं) की ओर से प्रस्तुत नहीं हो सकते।
एसजी ने कहा कि न्यायालय आदेश दे सकता है कि यदि कोई राज्य ऐसी नियुक्तियां करता है तो वे शून्य हो जाएंगी।
(केस टाइटल: असदुद्दीन ओवैसी बनाम भारत संघ | डब्ल्यू.पी.(सी) नंबर 269/2025 और अन्य)।
*****
(समाचार & फोटो साभार: लाइव 'ला')
swatantrabharatnews.com