ए.ए.मयू ओल्ड बॉयज एसोसिएशन भोपाल ने जोशो-खरोश के साथ मनाया 'सर सैयद डे'
आज जो भारत पूरी दनियां में टेक्नोलॉजी के मैदान में अपना परचम बुलंद कर रहा है यह सर सैयद के उसी अफक़ार की देन हैः एम.डब्ल्यू.अंसारी
भोपाल: हर साल की तरह इस साल भी ए.एम.यू ओल्ड बॉयज एसोसिएशन भोपाल में "205वां सर सैयद डे" जोश खरोश से मनाया।
इस मौके पर तमाम मेहमानान और शिरकत करने वालों ने सर सैयद अहमद खान को खेराज-ए-अकीदत पेश की गई। इसके साथ ही स्टेज पर जलवा अफरोज मेहमानान ने 'सर सैयद डे' के मौके पर सर सैयद और अलीगढ़ तहरीक पर रोशनी डालते हुए कई अहम पहलुओं पर अपने ख्यालात का इजहार किया। वहीं, जनाब महेंद्र बौद्ध, बेगम रफीक़ा मुमताज, मोहतरमा अनुराधा शंकर, जनाब फैज अहमद किदुवाई, जनाब नवाब रजा, मोहतरमा सूफिया फारूकी वाली, जनाब एम. डब्ल्यू. अंसारी और जनाब क़ाजी मोहम्मद इकबाल समेत तमाम मेहमानान और शुरका ने एक आवाज होकर हुकूमत हिंद से मुतालबा किया कि सर सैयद अहमद खान को 'भारत रत्न' से नवाजा जाए।
'सर सैयद डे' के मौके पर ए.एम.यू.ओ.बी.ए मंज से शुरका ने अपने ख्यालात का इजहार करते हुए कहा कि, सर सैयद ने भारत वासियों में साईंसी मिजाज पैदा करने का जो पैगाम दिया था उस की मानवियत रोज-बरोज बढ़ती जा रही है।
छत्तीसगढ़ के साबिक डी.जी. जनाब एम. डब्ल्यू अंसारी ने कहा कि, आज जो भारत पूरी दुनियां में टेक्नोलॉजी के मैदान में अपना परचम बुलंद कर रहा है यह सर सैयद के उसी अफकार की देन है, जो उन्होंने भारत-वासियों में साईंसी मेजाज़ की दाग़-बेल डाली थी।
उन्होंने बताया कि, 'सर सैयद अहमद खान' एक जात और शख्स का नाम नहीं है बल्कि एक फिक्र -ए-एक राह और एक मंजिल का नाम है। वह फिक्र-ए-इंसानियत को मेराजे कमाल तक पहुंचाने की, वह राह है तालीम की और वह मंजिल है दोनों जहान में सुरखुरूई की। सर सैयद अहमद खान को सच्चा खेराजे अकीदत उनकी शान में सिर्फ क़सीदा खानी नहीं बल्कि हर अंधेरी डगर पर इल्म का चिराग रोशन करना है।
जनाब एम. डब्ल्यू अंसारी ने पूछा कि, एम यू के तलबा/फारिगीन ने सर सैयद की तालीमी मिशन और अलीगढ़ तहरीक को कितना आगे बढ़ाया, भारत का गरीब तबका एस.सी, एस.टी, ओ.बी.सी व अन्य आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोग आज किस तरह के चैलेंजेज का सामना कर रहा है?-
उन्होंने बताया कि, भारत के मुस्लिम समाज में ही नहीं बल्कि दीगर समाज में भी क्लास-लेस और कास्ट-लेस सोसाइटी के लिए ए.एम.यू के फारिगीन किया एकदामात कर रहे हैं। 'गोदी मीडिया' जो आज मुल्क का माहौल खराब करने की कोशिश कर रहा है उसके खिलाफ ए.एम.यू के फारिगी़न किस तरह का रवैया अख्तियार कर रहे हैं और मुल्क किस तरह के मसलो-मसाइल से जूझ रहा है? ये बाइसे-फिक्र और बाइसे-तश्वीश है। इसके लिए काम करने की जरूरत है। एम यू के तलबा इसमें बहुत ही अहम रोल अदा कर सकते हैं।
जनाब एम. डब्ल्यू अंसारी ने बताया कि, 'सर सैयद' चाहते थे कि, मुसलमान दीगर तरक्की याफत एकवाम की तरह जदीद उलूम व फुनून हासिल करे और तहजीबी व सियासी सतह पर भी उनसे रब्त क़ायम करे, तभी मुसलमान तरक्की कर सकते हैं। आम मुसलमान सोचते थे कि, अंग्रेजी तालीम हासिल करने से हमारा मजहब कमज़ोर होगा, ईसाई हो जाएंगे, हमारे बच्चों में गलत अफकार राएज होंगे और और वह बे-राह रवी अख्तियार करेंगे, जिससे हमारे मुआशरे में खलफशार पैदा होगा। जबकि 'सर सैयद' जदीद तालीम के साथ-साथ मजहबी तालीम हासिल करने पर भी जोर देते थे, क्योंकि वह जानते थे बगैर मजहबी तालीम के भी हम तरक्की नहीं हासिल कर सकते।
इस हवाले से तहजीब उल अखलाक के एक मजमून में सर सैयद लिखते हैंः-
"मुझको इस बात का रन्ज है कि मैं अपने क़ौम में हजारों नेकियां देखता हूं पर ना-शाइस्ता, उनमें निहायत दिलेरी और जुर्रत पाता हूं-पर खौफनाक, उनमें निहायत क़वी इस्तेक़लाल पाता हूं-पर बेढंगा, उनको निहायत दाना और अकलमंद पाता हूं-पर अक्सर मकरो-फरेब और जोर से मिले हुए, उनमें सब्र-व-क़नाअत भी आला दर्जे की है-मगर गैर मुफीद और बे-मौका, पस मेरा दिल जलता है और मैं ख्याल करता हूं कि अगर यही उनकी उमदा-सिफतें उमदा-तालीमो-तरबियत से आरास्ता हो जाएं तो दुनिया दोनों के लिए कैसी कैसी मुफीद हों।"
'सर सैयद' ने वक्त के तकाजे के मुताबिक तालीम हासिल करने की तरगीब दी और मुसलमानों की तालीमी हालत बेहतर बनाने के लिए कान्फ्रेंस, कॉलेजेस, इदारे वगैरह कायम किए ताकि मुसलमान वक्त के तकाजे को समझें और इल्म हासिल करके तरक्की की राहों पर गामज़न हों।
'सर सैयद' तहजीब उल अखलाक में एक जगह लिखते हैंः-
"इस वक्त हम को जरूरत है कि जिस क़दर जल्द हो सके एक तादाद कसीर और अगर कसीर नहीं तो एक तादाद माकू़ल अपनी कौम के नौजवानों की पैदा करें जो इल्म और काबिलियत में (उन उलूम में जो जमाने की हाजतों के लिए जरूरी है) सरबर-आवरदा हों। तहजीबुल-अख्लाक़, अक्टूबर 1929 पृष्ठ-44)"
अल्लामा इकबाल ने कौमो-मिल्लत की तालीमी पिछड़ापन के हालत पर अफसोस का इजहार करते हुए कहाः-
हैरत है कि तालीम-व-तरक्की में हैं पीछे
जिस कौम का आगाज ही एकरा से हुआ था।
"सर सैयद" ने 19वीं सदी के आखिर में मुस्लिम कौम की तरक्की व खुशहाली का जो खाका पेश किया था वह आज के इस तरक्की याफता दौर में भी उतना ही मोअसर और मोतबर है, जो उनकी बसीरत और दूर-अंदेशी की दलील है। आज भी तालीम के माहिरीन उसी नुक्ते पर इत्तेफाक करते हैं कि जदीद उलूम से बा-खबर होना और जदीद-व-बआला तालीम हासिल करना ही मुसलमानों की तरक्की व खुशहाली का वाहिद रास्ता है।
उन्होंने बहुत कब्ल ही यह अंदाजा कर लिया था कि, आने वाले दौर में भारत में वही कौमें इज्जत व वक़ार और तरक्की हासिल कर सकेंगे, जो जदीद उलूम और आला तालीम से खुद को पूरी तरह आ-रास्ता करेंगीं। क्योंकि आने वाला दौर साइंस और टेक्नोलॉजी का दौर है।
मुसलमानों की हालाते जिंदगी पर तंज कसते हुए किसी ने क्या ही खूब कहा है किः-
बे-इल्म भी हमीं लोग हैं और गफलत भी है तारी
अफसोस के अंधे भी हैं और सो भी रहे हैं।
'सर सैयद डे' के मौके पर तमाम मेहमानान और शुरका ने एक आवाज होकर आवाज बुलंद की के तमाम 'अलीग' मिलकर गरीब बस्तियों में ज्यादा से ज्यादा प्राइमरी स्कूल से लेकर 12वीं क्लास तक के स्कूल खोलें/खोलने में मदद करें। गवर्नमेंट की तालीम को फरोग़ देने वाली तमाम स्कीमों, रोजगार वगैरह स्कीमों को गरीबों तक पहुंचाएं। मुल्क की खिदमात के लिए जरूरी है कि सर सैयद का तालीमी मिशन, अलीगढ़ तहरीक को घर-घर तक पहुंचाएं और उसके साथ ही तमाम मुल्की मसाइल, मिल्लत के मसाइल को हल करने के लिए आवाज बुलंद करें, तभी ष्सर सैयद डेष् का मनाना कामयाब होगा। और यही सही मायनों में सर सैयद अहमद खान को खेराजे-अकीदत पेश करना होगा।
अल्लामा इकबाल का सर सैयद अहमद खान की मिशन को आगे बढ़ाने के लिए ए.एम.यू कॉलेज के तलबा के नाम एक नज्मः-
औरों का पयाम और, मेरा पयाम और है
इश्क के दर्द-मंदों का तर्ज कलाम और है;
मौत है ऐशे-जादवां, ज़ोक तलब अगर ना हो
गर्दिश ए आदमी है और, गर्दिशे जाम और है।
बार-बार दोहराना और गुनगुनाना चाहिए ताकि सर सैयद के मिशन तालीम, लोगों की जेहनों को झकझोड़ता रहे। लगातार काम होता रहे। ए.एम.यू के तलबा सर सैयद के तालीमी मिशन पर ग़ामज़न रहें और उनके बताए हुए रास्ते पर चले।
इस मौके पर मेहमाने खुसूसी मोहतरमा बेगम रफीक़ा मुमताज (साबिक सदर ए.एम.यू ओ.बी.ए), जनाब महेंद्र बौद्ध (साबिक वज़ीर दाखला एम.पी गवर्नमेंट एंड पेट्रोन, ए.एम.यू.ओ.बी.ए, भोपाल म-प्र), मोहतरमा अनुराधा शंकर (आई.पी.एस एडिशनल डी.जी पुलिस मध्य प्रदेश सरकार), जनाब फैज अहमद किदवाई (आई.ए.एस प्रिंसिपल सेक्रेट्री मध्य प्रदेश सरकार), जनाब नवाब रजा (चेयरमैन महाकौशल ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज) मोहतरमा सूफिया फारूकी वाली (आई.ए.एस कमिश्नर एम.जी.एन.आर.ई.जी.एस, मध्य प्रदेश सरकार), जनाब एम.डब्लू.अंसारी (आई.पी.एस, साबिक डी.जी. पुलिस छत्तीसगढ़ एंड पेट्रोन ए.एम.यू ओ.बी.ए भोपाल.मध्य प्रदेश), जनाब क़ाजी मोहम्मद इकबाल (सदर ए.एम.यू.ओ.बी.ए. भोपाल, मध्य प्रदेश) आदि समेत कसीर तादाद में लोगों ने शिरकत की।