
क्या इस बार पंचायत सहायक की भर्ती साफ सुथरी होगी?
लखनऊ: देवरिया से श्री गंगा मणि दीक्षित ने विज्ञप्ति के माध्यम से बताया कि, उत्तर प्रदेश शाशन द्वारा जारी शाशनादेश देश में स्पष्ठ रूप से लिखा गया है कि उत्तर प्रदेश की 78 प्रतिशत आबादी गांव में रहती है, प्रदेश की 58,189 ग्राम पंचायतों में लगभग 16,421 ग्राम पंचायत अधिकारी व ग्राम विकास अधिकारी के पद सृजित है, जिसके सापेक्ष लगभग वर्तमान में 11,008 कर्मी कार्यरत है।
उन्होंने बताया कि, एक ग्राम पंचायत स्तरीय कर्मी के पास एक से अधिक पंचायतों का बोझ है, और उसी बोझ के चक्कर मे अनगिनत घोटाले किये जाते है, और प्रदेश की सत्ताधारी सरकार बदनाम होती है। ठीक तरह से आरटीआई के जवाब भी ब्लॉक स्तरीय और पंचायत स्तरीय अधिकारी नही दे पाते है। संबिधान के 73वे संशोधन में पंचायतों को डिजिटल करने का अधिकार प्राप्त हुआ, जैसे इंटरनेट के माध्यम से कॉमन सर्विस सेंटर पंचायत कार्यालय में संचालित हो और गांव के लोग इस सुबिधा का अधिक से अधिक लाभ प्राप्त कर सके।
श्री दीक्षित ने विज्ञप्ति में बताया है कि, इस समय उत्तर प्रदेश में पंचायत सहायक की भर्ती के लिए प्रतिभागी जोर शोर से लगे हुए है, भर्ती में हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के प्राप्तांको के प्रतिशत के औसत अंको पर पात्रता सूची तैयार की जाएगी, मास्टर डिग्री और बीएड की डिग्री लिए पंचायत सहायक की भर्ती के लिए बेरोजगार दौड़ लगा रहे है।
उन्होंने बताया कि, 2005 में ग्राम रोजगार सेवक की भर्ती भी हुई थी लेकिन उस भर्ती में जोर शोर से धांधली हुई है। कई जगह तो आज भी ग्राम रोजगार सेवक उस समय के तात्कालिक प्रधान के घर के व्यक्ति हैं जो कि प्रदेश सरकार की शाशनादेशानुसार गलत है। इस भर्ती में भी कोविड-19 से मृत व्यक्ति के परिवार से (पत्नी या पति, पुत्र, अविवाहित पुत्री, विधवा पुत्री, विधवा माता, अविवाहित भाई, अविवाहित बहन) को अगर वह उस ग्राम पंचायत के आरक्षण श्रेणी को पूरा करते हैं और इंटरमीडिएट पास हैं तो उन्हें वरीयता दिया जाएगा और चयनित किया जाएगा।
श्री दीक्षित ने कहा कि, देखते हैं, जिले और ब्लॉक स्तरीय अधिकारी इस भर्ती में कितनी पारदर्शिता लाते हैं।