U.P.: पंचायत चुनाव में सर्वाधिक कुर्बानी देने वाले बेसिक शिक्षकों का स्वास्थ्य बीमा न कराये जाने पर राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने दी आंदोलन की चेतावनी!
बेसिक शिक्षकों को राज्य कर्मचारी का दर्जा देने की मांग की
लखनऊ: राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उत्तर प्रदेश (प्राथमिक संवर्ग) के प्रदेश अध्यक्ष अजीत अजीत सिंह जी ने बेसिक शिक्षकों को राज्य कर्मचारी का दर्जा देने की मांग की है। मुख्यमंत्री को भेजे गए ज्ञापन में उन्होंने बेसिक शिक्षकों के लिए भेदभाव पूर्ण रवैये व दोहरी व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह लगाया है।
प्रदेश महामंत्री भगवती सिंह जी ने कहा कि बेसिक शिक्षा परिषद का मुख्य उद्देश्य है विद्यालय संचालन के द्वारा आम जनमानस के बच्चों को शिक्षित करना है। जबकि बेसिक शिक्षकों से प्रशासन द्वारा साल भर विभिन्न गैर शैक्षणिक कार्य भी कराये जाते हैं। ग्रीष्मावकाश में भी शिक्षकों को विभिन्न गैर शैक्षणिक कार्यों में लगाया जाता है। शिक्षक परिषदीय कर्मचारी है और उन्हें न्यूनतम सुविधाएं दी जाती है, जबकि अन्य कार्यालयों में नियुक्त अधिकारी, लिपिक व अनुचर राज्य कर्मचारी हैं और उन्हें कैशलेस चिकित्सा, विभिन्न प्रकार के भत्ते, वाहन, आवास तथा अनेक प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि परिषदीय शिक्षकों के साथ ही सौतेला व्यवहार किया जा रहा है।
संगठन के प्रवक्ता वीरेंद्र मिश्र ने बताया कि राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ द्वारा इस मांग की पैरवी लगातार की जा रही है पर अधिकारियों द्वारा लगातार शिक्षकों के प्रति असंवेदनशील रवैया अपनाया जा रहा है। प्रदेश संगठन मंत्री शिवशंकर सिंह ने कहा कि यदि संगठन की इस मांग को शीघ्र ही ना माना गया तो राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उत्तर प्रदेश कोरोना काल में भी जमीनी आंदोलन करने को विवश होगा। जिसकी समस्त जिम्मेदारी शासन व प्रशासन की होगी।
प्रदेश संरक्षक गोविंद तिवारी, प्रदेश कोषाध्यक्ष पवन शंकर दीक्षित, प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष मातादीन द्विवेदी, प्रदेशीय मीडिया प्रमुख बृजेश श्रीवास्तव, लखनऊ मण्डल अध्यक्ष महेश मिश्रा, लखनऊ मण्डल महामंत्री रीना त्रिपाठी ने शिक्षकों को राज्य कर्मचारी का दर्जा देने की मांग का समर्थन किया है।