
विशेष: एआई युग में डिजिटल अरेस्ट एक बड़ी चुनौती: सुनील महला
लखनऊ: आज 'विशेष में प्रस्तुत है - "एआई युग में डिजिटल अरेस्ट एक बड़ी चुनौती" शीर्षक से लेखक - सुनील कुमार महला, फ्रीलांस राइटर, कालमिस्ट व युवा साहित्यकार, उत्तराखंड की प्रस्तुति।
"एआई युग में डिजिटल अरेस्ट एक बड़ी चुनौती":
लेखक - सुनील कुमार महला ने अपनी प्रस्तुति में लिखा है कि, 'आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस युग में "डिजिटल अरेस्ट (साइबर स्कैम)" आज एक बड़ी चुनौती के रूप में उभरकर सामने आ रही है। सच तो यह है कि आज देशभर में साइबर क्राइम में तेजी आ रही है और बहुत से लोग जाने-अनजाने में इसके चक्कर में फंसे रहे हैं।
कहना ग़लत नहीं होगा कि, आज हमारे देश के सामने कई चुनौतियां हैं, मसलन आतंकवाद, वामपंथी उग्रवाद, आर्थिक सुरक्षा, तटीय सुरक्षा व नार्को तस्करी, बेरोजगारी, महंगाई वगैरह वगैरह।
लेकिन इन सब समस्याओं के बीच आज देश की सबसे बड़ी समस्या है- 'बढ़ते साइबर अपराध'!
यह बहुत ही गंभीर और संवेदनशील है कि, आज भारत ही नहीं बल्कि विदेशों से संचालित साइबर अपराध एक बड़े नियोजन अथवा कार्पोरेट ढंग में तब्दील होते जा रहे हैं। दरअसल, डिजिटल अरेस्ट ब्लैकमेल करने का एक एडवांस तरीका है।
वास्तव में,डिजिटल अरेस्ट की शुरुआत एक मैसेज या फोन कॉल के साथ होती है। डिजिटल अरेस्ट स्कैम यानी कि साइबर स्कैम में फोन करने वाले साइबर ठग कभी पुलिस अधिकारी बनकर, कभी सीबीआई बनकर, कभी नारकोटिक्स, तो कभी आरबीआई और दिल्ली या मुंबई पुलिस के अधिकारी बनकर किसी व्यक्ति से फोन पर पूरे आत्मविश्वास से बातचीत करते हैं।
ऐसे साइबर ठग वॉट्सएप या स्काइप कॉल पर जब किसी व्यक्ति विशेष को कनेक्ट करते हैं तो ये फर्जी अधिकारी हमें एकदम असली से लगते हैं और हम इनके चक्कर में फंसकर अपना सबकुछ लुटा बैठते हैं।
वास्तव में ये साइबर ठग किसी व्यक्ति विशेष को इमोशनली और मेंटली टॉर्चर करते हैं। ये साइबर ठग यकीन दिलाते हैं कि हमारे साथ अथवा हमारे परिजनों के साथ कुछ बुरा हो चुका है या बुरा होने वाला है। इसमें सामने फोन पर बैठा व्यक्ति पुलिस अधिकारी की वर्दी में होता है, ऐसे में ज्यादातर लोग डर जाते हैं और उनके जाल में फंसते चले जाते हैं। बहुत बार डिजिटल अरेस्ट करने वाले साइबर ठग हमें ठगी करते समय यह यकीं दिलाते हैं कि हमारे पैन और आधार कार्ड का इस्तेमाल करते हुए तमाम चीजों की खरीद हमारे द्वारा की गई हैं या फिर मनी लॉन्ड्रिंग की गई है। कई बार तो इन साइबर ठगों द्वारा यह तक दावा किया जाता है कि वे कस्टम विभाग से बोल रहे हैं और वे हमें फोन पर ही यह यकीं दिलाते हैं कि हमारे नाम से कोई पार्सल आया है, जिसमें ड्रग्स, नशीली या कोई प्रतिबंधित चीजें हैं।
आज के समय में डिजिटल अरेस्ट से बचना बहुत मुश्किल है, लेकिन हमारी जागरूकता और सजगता हमें ऐसे साइबर ठगों से बचा सकती है।
वास्तव में हमारी जानकारी, जागरूकता और सजगता ही डिजिटल अरेस्ट से बचने का उपाय है। वास्तव में यदि हमारे पास भी इस तरह की धमकी वाले फोन कॉल(डिजिटल अरेस्ट) आते हैं तो हमें इनसे डरने की कतई जरूरत नहीं है।
जब भी कोई कोई कॉल करके यदि हमें धमकाता है तो हमें यह चाहिए कि हम डरें कतई नहीं, बल्कि उसका डटकर सामना करें, क्योंकि यदि हमने कोई पार्सल मंगवाया ही नहीं है तो फिर हमें डरने की कोई जरूरत ही नहीं है।
वास्तव में, ऐसे कॉल आने पर हमें यह चाहिए कि हम तुरंत पुलिस में इसकी शिकायत करें। यदि कोई मैसेज या ई-मेल आता है तो उसे सबूत के तौर पर पुलिस को सौंपे। यदि किसी कारण हमने कोई कॉल रिसीव भी कर लिया है और यदि हमें कोई वीडियो कॉल पर किसी तरह की कोई धमकी भी देने लगे तो हमें यह चाहिए कि हम स्क्रीन रिकॉर्डिंग के जरिए वीडियो कॉल को रिकॉर्ड करें और इसकी शिकायत जल्द से जल्द पुलिस को करें। सबसे बड़ी बात किसी भी कीमत पर हम डरें नहीं और किसी भी माध्यम से पैसे तो बिलकुल भी ना भेजें।
बहरहाल, कहना ग़लत नहीं होगा कि आज देश में डिजिटलाइजेशन होने के कारण जहां एक ओर बहुत लाभ हुए हैं, वहीं दूसरी ओर इसके कारण बहुत सी चुनौतियां भी आज उत्पन्न हुई हैं।
उल्लेखनीय है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 'मन की बात' में एवं एक कार्यक्रम में देश में बढ़ते साइबर अपराधों, डिजिटल अरेस्ट और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के गलत इस्तेमाल से पैदा हो रहे खतरों के बारे में अपनी चिन्ता जताई थी एवं इनसे सावधान व सजग रहने की बात कही थी।
आज साइबर ठगी अपने पूर्ण परवान पर है। आज स्थिति यह है कि नित्य-रोज नये-नये साइबर ठगी के तरीके निकाले जा रहे हैं। साइबर ठग एआई तक का इस्तेमाल करने लगे हैं।
यह ठीक है कि एआई के आज बहुत से लाभ हैं जैसे कि यह मानवीय हस्तक्षेप के बिना अनेक प्रक्रियाओं को स्वचालित कर सकता है, क्रिएटिव वर्क को बढ़ावा दे सकता है, इसका अनुप्रयोग मनुष्यों की तुलना में अधिक परिशुद्धता प्रदान करने में सक्षम है, यह मानवीय सीमाओं के कारण होने वाली विफलताओं को कम करने में सहायक है,डेटा विश्लेषण पर लगने वाले समय को कम करता है,उत्पादन में उत्पादकता और गुणवत्ता में वृद्धि करता है,अधिक तेज़ी से और अधिक कुशल निर्णय ले सकता है लेकिन इससे डीपफेक जैसे खतरे भी कहीं न कहीं जन्म ले रहे हैं।
कहना ग़लत नहीं होगा कि आज डीपफेक( कृत्रिम बुद्धिमत्ता) से विश्वसनीय फर्जी चित्र, ध्वनियाँ और वीडियो बनाये जा रहे हैं, जो कि एक बड़ा खतरा है।
बहरहाल, कहना ग़लत नहीं होगा कि एआई आज हमारे देश के लिए भी बेशक एक बहुत बड़ी शक्ति है, लेकिन इसका गलत इस्तेमाल होने पर यह एक बहुत बड़ा संकट भी है।
वास्तव में, इससे निपटने के लिए स्मार्ट पुलिसिंग के साथ ही हमें सतर्क और जागरूक रहना होगा। इसके लिए आज देश के सभी शहरों में डायल 100 को पूरी तरह से लागू किए जाने की जरूरत है।
वास्तव में पुलिस के कार्यों में आज पूरी तरह से निष्पक्षता, विश्वसनीयता,पारदर्शिता, तत्काल कार्रवाई और पूर्ण जवाबदेही सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।
कहना ग़लत नहीं होगा कि अपराध के क्षेत्र में जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाने पर जोर दिया जाना चाहिए। इससे निपटने के लिए हमें विभिन्न आधुनिक उपकरणों से भी लैस होना पड़ेगा।
*****