राज्या सभा में प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का मूल पाठ भाग- 3
नई-दिल्ली (PIB): प्रधानमंत्री कार्यालय ने सोमवार 08 फ़रवरी को राज्य सभा में प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का मूल पाठ जारी किया है जिसे तीन भाग में प्रकाशित किया जा रहा है।
राज्या सभा में प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के मूल पाठ भाग- 1 & 2 के लिए निचे दिए लिंक पर क्लिक करें:
स्वतंत्र भारत न्यूज़ | राज्या सभा में प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का मूल पाठ भाग- 1 http://swatantrabharatnews.com/index.php/news/6733
स्वतंत्र भारत न्यूज़ | राज्या सभा में प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का मूल पाठ भाग- 2 http://swatantrabharatnews.com/index.php/news/6734
भाग- 3
राज्या सभा में प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का मूल पाठ:
आदरणीय सभापति जी,
ये बात सही है जैसा हम लोगों का स्वभाव रहा है घर में भी थोड़ा सा भी परिवर्तन करना हो तो घर में भी एक तनाव हो जाता है। चेयर यहां क्यों रखी, टेबल यहां क्यों रखी.... घर में भी होता है। इतना बड़ा देश है और जिस प्रकार की परंपराओं से हम पले-बढ़ है तो ये एक मैं स्वभाविक मानता हूं कि जब भी कोई नई चीज आती है तो थोड़ा बहुत रहता ही है हमारे यहां कुछ असंमंजस की स्थिति भी रहती है। लेकिन जरा वो दिन याद कीजिए जब हरित क्रांति की बाते होती थी। हरित क्रांति के समय जो कृषि सुधार हुए तब भी जो आशंकाए हुई, जो आंदोलन हुए, ये well documented है, और ये देखने जैसा है। कृषि सुधार के लिए सख्त फैसले लेने के उस दौर में शास्त्री जी का हाल ये था कि अपने साथियों में से कोई कृषि मंत्री बनने तक को तैयार नहीं होता था। क्योंकि लगता था कि ऐसा है कि हाथ जल जाएंगे और किसान नाराज हो जाएंगे तो बिल्कुल राजनीति समाप्त हो जाएगी। ये शास्त्री जी के समय की घटनाएं हैं, और अंत में शास्त्री जी को, श्री सुब्रमण्यम जी को कृषि मंत्री बनाना पड़ा था और उन्होंने रिफॉर्मस की बाते की, योजना आयोग ने भी उसका विरोध किया था, मजा देखिए.... योजना आयोग ने भी विरोध किया था, वित्त मंत्रालय सहित पूरी कैबिनेट के अंदर भी विरोध का स्वर उठा था। लेकिन देश की भलाई के लिए शास्त्री जी आगे बढ़े और लेफ्टपार्टी जो आज भाषा बोलते हैं। वही उस समय भी बोलते थे। वे यही कहते थे कि अमेरिका के इशारे पर शास्त्री जी ये कर रहे हैं। अमेरिका के इशारे पर कांग्रेस ये कर रही हैं। सारा दिन... आज मेरे खाते में जमा है न वो पहले आपके बैक अकाउंट में था। सब कुछ अमेरिका के एजेंट कह दिया जाता था हमारे कांग्रेस के नेताओं को। ये सब कुछ लेफ्ट पर जो आज भाषा बोलते हैं वो उस समय भी उन्होंने यही भाषा बोली थी। कृषि सुधारों को छोटे किसानों को बरबाद करने वाला बताया गया था। देशभर में हजारों प्रदर्शन आयोजित हुए थे। बड़ा मुवमेंट चला था। इसी माहौल में भी लालबहादुर शास्त्री जी और उसके बाद की सरकार जो करती रही उसी का परिणाम है कि जो हम कभी PL-480 मंगवाकर के खाते थे आज देश अपने किसान ने अपनी मिट्टी से पैदा की चीजें खाते हैं। रिकार्ड उत्पादन के बावजूद भी हमारे कृषि क्षेत्र में समस्याएं हैं कोई ये तो मना नहीं कर सकता समस्याएं नहीं हैं लेकिन समस्याओं का समाधान हम सबको मिलकर के करना होगा। और मैं मानता हूं कि अब समय ज्यादा इंतजार नहीं करेगा।
हमारे रामगोपाल जी ने बहुत ही अच्छी बात कही... उन्होंनें कहा कि कोरोना लॉकडाउन में भी हमारे किसानों ने रिकार्ड उत्पादन किया है। सरकार ने भी बीज, खाद, सारी चीजें कोरोना काल में भी पहुंचाने में कोई कमी नहीं होने दी, कोई संकट नहीं आने दिया और उसका सामूहिक परिणाम मिला कि देश के पास ये भंडार भरा रहा। उपज की रिकार्ड खरीदी भी इस कोरोना काल में ही हुई। तो मैं समझता हूं कि हमने नए-नए उपाय खोज करके आगे बढ़ना होगा और जैसा मैंने कहा कि कोई भी, कई कानून है हर कानून में दो साल बाद पांच साल के बाद, दो महीने, तीन महीने के बाद सुधार करते ही करते हैं। हम कोई स्टेटिक अवस्था में जीने वाले थोड़े ही हैं जी... जब अच्छे सुझाव आते हैं तो अच्छे सुधार भी आते हैं। और सरकार भी अच्छे सुझावों को और सिर्फ हमारी नहीं हर सरकार ने अच्छे सुझावों को स्वीकारा है यही तो लोकतांत्रिक परंपरा है। और इसलिए अच्छा करने के लिए अच्छे सुझावों के साथ अच्छे सुझावों की तैयारी के साथ हम सबको आगे बढ़ना चाहिए। मैं आप सबको निमंत्रण देता हूं। आइए हम देश को आगे ले जाने के लिए, कृषि क्षेत्र की समस्याओं का समाधान करने के लिए, आंदोलनकारियों को समझाते हुए हमने देश को आगे ले जाना होगा। हो सकता है कि शायद आज नहीं तो कल जो भी यहां होगा किसी न किसी को ये काम करना ही पड़ेगा। आज मैंने किया है गालियां मेरे खाते में जाने दो... लेकिन ये अच्छा करने में आज जुड़ जाओ। बुरा हो मेरे खाते में, अच्छा हो आपके खाते में... आओ मिलकर के चलें। और मैं लगातार हमारे कृषि मंत्री जी लगातार किसानों से बातचीत कर रहे हैं। लगातार मीटिंगें हो रही हैं। और अभी तक कोई तनाव पैदा नहीं हुआ है। एक दूसरे की बात को समझने और समझाने का प्रयास चल रहा है। और हम लगातार आंदोलन से जुड़े लोगों से प्रार्थना करते हैं कि आंदोलन करना आपका हक है। लेकिन इस प्रकार से बुजूर्ग लोग वहां बैठे ये ठीक नहीं। आप उन सबको ले जाइए। आप आंदोलन को खत्म कीजिए आगे बढ़ने के लिए मिल बैठ करके चर्चा करेंगे रास्ते खुले हैं। ये सब हमने कहा है मैं आज भी ये सदन के माध्यम से भी निमंत्रण देता हूं।
आदरणीय सभापति जी,
ये बात निश्चित है कि हमारी खेती को खुशहाल बनाने के लिए फैसले लेने का ये समय है ये समय को हमें गंवाना नहीं देना चाहिए। हमें आगे बढ़ना चाहिए.. देश को पीछे नहीं ले जाना चाहिए। पक्ष हो विपक्ष हो, आंदोलनरत साथी हो, इन सुधारों को हमें मौका देना चाहिए। और एक बार देखना चाहिए कि इस परिवर्तन से हमें लाभ होता है कि नहीं होता है। कोई कमी हो तो उसको ठीक करेंगे, और कहीं ढिलाई हो तो उसको कसेंगे। ऐसा तो है नहीं कि सब दरवाजे बंद कर दिए बस... इसलिए मैं कहता हूं... मैं विश्वास दिलाता हूं कि मंडिया अधिक आधुनिक बने, अधिक प्रतिस्पर्धी होगी, इस बार बजट में भी हमने उसके लिए प्रावधान किया है। इतना ही नहीं एमएसपी है , एमएसपी था, एमएसपी रहेगा। ये सदन की पवित्रता समझे हम.... जिन 80 करोड़ से अधिक लोगों को सस्ते में राशन दिया जाता है। वो भी continue रहें। इसलिए मेहरबानी करके भ्रम फैलाने के काम में हम न जुड़ें। क्योंकि हमको देश ने एक विशिष्ट जिम्मेवारी दी है। किसानों की आय बढ़ाने के जो दूसरे उपाय हैं उन पर भी हमें बल देने की जरूरत है। आबादी बढ़ रही है परिवार के अंदर, सदस्यों की संख्या बढ़ रही है। जमीन के टुकड़े होते जा रहे हैं। ऐसी स्थिति में कुछ न कुछ ऐसा करना ही होगा ताकि किसानों पर बोझ कम हो, और हमारे किसान के परिवार के लोग भी रोजी-रोटी कमाने के लिए, उनके लिए हम और अवसर उपलब्ध करा सकें। इनकी तकलीफों को दूर करने के लिए हमनें काम करना होगा और मैं मानता हूं कि हम अगर देर कर देंगे। हम अगर अपने ही राजनीतिक समीकरणों में फंसे रहेगें तो हम किसानों को अंधकार की तरफ धकेल देंगे। कृपा करके हमें उज्ज्वल किसानों के उज्ज्वल भविष्य के लिए इससे बचना चाहिए। मैं सबसे प्रार्थना करता हूं। हमें इस बात की चिंता करनी होगी।
आदरणीय सभापति जी,
डेयरी और पशुपालन हमारे कृषि क्षेत्र के साथ बढ़ावा देने की जरूरत है ताकि हमारा किसान परिपक्व हो इसी प्रकार इसी हमने foot and mounth disease के लिए एक बहुत बड़ा अभियान चलाया जो पशुपालक, किसान को जो किसानी से जुड़ा हुआ रहता है उसको भी लाभ होगा। हमनें fisheries को भी एक अलग बल दिया, अलग Ministries बनाई और 20 हजार करोड़ रुपये मत्स्य संपदा योजना के लिए लगाया है। ताकि ये पूरे क्षेत्र को एक नया बल मिले। sweet revolution में बहुत संभावना है और इसलिएभारत ने उसके लिए बहुत जमीन की जरूरत नहीं है अपने ही खेत के कोने में वो कर दे तो भी साल में 40-50 हजार, लाख रुपया, दो लाख रुपया कमा लेगा वो। और इसलिए हम sweet शहद के लिए हनी के लिए, उसी प्रकार से bee wax दुनिया में bee wax की मांग है। भारत bee wax exportकर सकता है। हमने उसके लिए माहौल बनाया और किसान के खेत में ही छोटी किसान होगा तो वो एक नई कमाई कर सकता है, हमें उसको जोड़ना होगा। और मधुमक्खी पालन के लिए सैंकड़ों एकड़ जमीन की जरूरत नहीं है। वो आराम से अपने यहां कर सकता है। सोलर पंप... सोलर हम कहते हैं अन्नदाता ऊर्जादाता बने उसके खेत में ही सोलर सिस्टम से ऊर्जा पैदा करे, सोलर पंप चलाए अपनी पानी की आवश्यकता को पूरी करे। उसके खर्च को, बोझ को कम करे। और फसल एक लेता है तो दो ले, दो लेता है तो तीन ले। थोड़ा पैटर्न में बदल करना है तो बदल कर सके। इस दिशा में हम जा सकते हैं। और एक बात है, भारत की ताकत ऐसी समस्याओं के समाधान के समाधान करने की और नए रास्ते खोजने की रही है, आगे भी खुलेंगे। लेकिन कुछ लोग हैं जो भारत अस्थिर रहे, अशांत रहे, इसकी लगातार कोशिशें कर रहे हैं। हमें इन लोगों को जानना होगा।
हम ये न भूलें कि पंजाब के साथ क्या हुआ। जब बंटवारा हुआ, सबसे ज्यादा भुगतना पड़ा पजाब को। जब 84 के दंगे हुए, सबसे ज्यादा आंसू बहे पंजाब के, सबसे ज्यादा दर्दनाक घटनाओं का शिकार होना पड़ा पंजाब को। जो जम्मू–कश्मीर में हुआ, निर्दोषों को मौत के घाट उतार दिया गया। जो नार्थ-ईस्ट में होता रहा, आए दिन बम-बंदूक और गोलियों का कारोबार चलता रहा। ये सारी चीजों ने देश कोकिसी न किसी रूप में बहुत नुकसान किया है। इसके पीछे कौन ताकते हैं, हर समय, हर सरकारों ने इसको देखा है, जाना है, परखा है। और इसलिए उन्हें उस जज्बे से इन सारी समस्याओं के समाधान के लिए हम तेजी से आगे बढ़े हैं और हम ये न भूलें कि कुछ लोग, हमारे खास करके पंजाब के, खास करके सिख भाइयोंके दिमाग में गलत चीजें भरने में लगे हैं। ये देश हर सिख के लिए गर्व करता है। देश के लिए क्या कुछ नहीं किया है इन्होंने। उनका जितना हम आदर करनें, उतना कम है। गुरुओं की महान परम्पराओं में ….मेरा भाग्यरहा हैपंजाब की रोटी खाने का अवसर मिला है मुझे। जीवन के महत्वपूर्ण वर्ष मैंने पंजाब में बिताए हैं, इसलिए मुझे मालूम है। और इसलिए जो भाषा कुछ लोग उनके लिए बोलते हैं, उनको गुमराह करने का जो लोग प्रयास करते हैं, इससे कभी देश का भला नहीं होगा। और इसलिए हमें इस दिशा में चिंता करने की आवश्यकता है।
आदरणीय सभापति महोदय,
हम लोग कुछ शब्दों से बड़े परिचित हैं- श्रमजीवी, बुद्धिजीवी, ये सारे शब्दों से परिचित हैं। लेकिन मैं देख रहा हूं कि पिछले कुछ समय से देश में एक नई जमात पैदा हुई है, एक नई बिरादरी सामने आई है और वो हैं आंदोलनजीवी। ये जमात आप देखोगे- वकीलों का आंदोलन है, वो वहां नजर आएंगे; स्टूडेंट का आंदोलन है, वो वहां नजर आएंगे; मजदूरों का आंदोलन है, वो वहां नजर आएंगे, कभी पर्दे के पीछे कभी पर्दे के आगे। एक पूरी टोली है ये जो आंदोलनजीवी है। वो आंदोलन के बिना जी नहीं सकते हैं और आंदोलन में से जीने के लिए रास्ते खोजते रहते हैं। हमें ऐसे लोगों को पहचानना होगा, जो सब जगह पर पहुंच करके और बड़ा ideological stand दे देते हैं, गुमराह कर देते हैं, नए-नए तरीके बता देते हैं। देश आंदोलनजीवी लोगों से बचे, इसके लिए हम सबको...और ये उनकी ताकत है...उनका क्या है, खुद खड़ी नहीं कर सकते चीजें, किसी की चल रही हैं तो जाकर बैठ जाते हैं। वो अपना...जितने दिन चले, चल जाता है उनका। ऐसे लोगों को पहचानने की बहुत आवश्यकता है। ये सारे आंदोलनजीवी परजीवी होते हैं। और यहां पर सब लोगों को मेरी बातों से आनंद इसलिए होगा कि आप जहां-जहां सरकारें चलाते होंगे, आपको भी ऐसे परजीवी आंदोलनजीवियों का अनुभव होता होगा। और इसलिए, उसी प्रकार से एक नया चीज मैं चीज देख रहा हूं। देश प्रगति कर रहा है, हम FDI की बात कर रहे हैं, Foreign Direct Investment. लेकिन मैं देख रहा हूं इन दिनों एक नया एफडीआई मैदान में आया है। ये नए एफडीआई से देश को बचाना है। एफडीआई चाहिए, Foreign Direct Investment. लेकिन ये जो नया एफडीआई नजर में आ रहा है, ये नए एफडीआई से जरूर बचना होगा और ये नया एफडीआई है Foreign DestructiveIdeology, और इसलिए इस एफडीआई से देश को बचाने के लिए हमें और जागरूक रहने की जरूरत है।
आदरणीय सभापति जी,
हमारे देश के विकास के लिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था- इसका अपना एक मूल्य है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था हमारे आत्मनिर्भर भारत का एक अहम स्तंभ है। आत्मनिर्भर भारत, ये किसी सरकार का कार्यक्रम नहीं हो सकता है और होना भी नहीं चाहिए। ये 130 करोड़ देशवासियों का संकल्प होना चाहिए। हमें गर्व होना चाहिए और इसमें कोई दुविधा नहीं होनी चाहिए। और महात्मा गांधी जैसे महापुरुषों ने हमें ये ही रास्ता दिखाया था। अगर हम वहां से थोड़े हट गए हैं तो वापिस उस पटरी पर आने की जरूरत है और आत्मनिर्भर भारत के रास्ते पर हमको बढ़ना ही होगा। गांव और शहर की खाई को अगर पाटना है तो उसके लिए भी हमें आत्मनिर्भर भारत की ओर बढ़ना ही होगा। और मुझे विश्वास है कि हम उन बातों को ले करके जब आगे बढ़ रहे हैं तो हमारे देश के सामान्य मानवी का विश्वास बढ़े। जैसे अभी प्रश्नोत्तर काल के अंदर जल-जीवन मिशन की चर्चा हो रही थी- इतने कम समय में तीन करोड़ परिवारों तक घर में पीने का पानी पहुंचाने का, नल कनेक्शन देने का काम हो चुका है। आत्मनिर्भरता तभी संभव जब अर्थव्यवस्था में सभी की भागीदारी हो। हमारी सोनल बहन ने अपने भाषण में बहनों-बेटियों की भागीदारी पर फोकस करने की उन्होंने विस्तार से चर्चा की।
कोरोना काल में चाहे राशन हो, आर्थिक मददहो या मुफ्त गैस सिलेंडर- सरकार ने हर तरह से एक प्रकार से हमारी माताओं-बहनों को असुविधा न हो, इसकी पूरी चिंता करने का प्रयास किया है और उन्होंने एक शक्ति बन करके इन चीजों को संभालने में मदद भी की है। जिस तरह इस मुश्किल परिस्थिति में हमारे देश की नारी शक्ति ने बड़े धैर्य के साथ परिवार को संभाला, परिस्थितियों को संभाला है; कोरोना की इस लड़ाई में हर परिवार की मातृ शक्ति की बहुत बड़ी भूमिका रही है। और उनका मैं जितना धन्यवाद करूं, उतना कम है। बहनों-बेटियों का हौसला और मैं समझता हूं आत्मनिर्भर भारत में अहम भूमिका हमारी माताएं-बहनें निभाएंगी, ये मुझे पूरा विश्वास है। आज युद्ध क्षेत्र में भी हमारी बेटियों की भागीदारी बढ़ रही है। नए-नए जो लेबर कोर्ट बनाए हैं, उसमें भी बेटियों के लिए हर सेक्टर में काम करने के लिए समान वेतन का हक दिया गया है। मुद्रा योजना से 70 प्रतिशत जो लोन लिया गया है, वो हमारी बहनों के द्वारा लिया गया है यानि एक प्रकार से ये एडीशन है। करीब 7 करोड़ महिलाओं की सहभागिता से 60 लाख से ज्यादा self helpgroup आज आत्मनिर्भर भारत के प्रयासों को एक नई ताकत दे रहे हैं।
भारत की युवा शक्ति पर हम जितना जोर लगाएंगे, हम जितने अवसर उनको देंगे, मैं समझता हूं कि वो हमारे देश के लिए, भविष्य के लिए, उज्ज्वल भविष्य के लिए एक मजबूत नींव बनेंगे। जो राष्ट्रीय एजुकेशन पॉलिसी आई है, उस राष्ट्रीय एजुकेशन पॉलिसी में भी हमारी युवा पीढ़ी के लिए नए अवसर देने का प्रयास हुआ है। और मुझे खुशी है कि एक लंबासमय लगाया एजुकेशन पॉलिसी पर चर्चा में, लेकिन उसकी स्वीकृति जिस प्रकार से देश में हुई है, एक नया विश्वास पैदा किया है। और मुझे विश्वास है कि ये नई एजुकेशन पॉलिसी, नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति हमारे देश के एक नए तरीके से पढ़ने का एक नए तरीक़े के विचार का आगमन है।
हमारा MSME सेक्टर- रोजगार के सबसे ज्यादा अवसर MSME को मिल रहे हैं। और जब कोरोना काल में जो stimulus की बात हुई, उसमें भी MSMEs पर पूरा ध्यान दिया गया और उसी का परिणाम है कि आर्थिक रिकवरी में आज हमारे MSMEs बहुत बड़ी भूमिका निभा रहे हैं और हम इसको आगे बढ़ा रहे हैं।
हम लोग प्रारंभ से ‘सबका साथ-सबका विकास-सबका विश्वास’का मंत्र ले करके चल रहे हैं। और उसी का परिणाम है कि नॉर्थ-ईस्ट हो या नक्सल प्रभावित क्षेत्र, धीरे-धीरे वहां हमारी समस्याएं कम होती जा रही हैं और समस्याएं कम होने के कारण सुख और शांति का अवसर पैदा होने के कारण विकास की मुख्य धारा में ये हमारे सभी साथियों को आने का अवसर मिल रहा है और भारत के उज्ज्वल भविष्य में Eastern India बहुत बड़ी भूमिका निभाएगा, ये मैं साफ देख रहा हूं। और उसको हम पूरी मजबूती से लाएंगे।
मैं आदरणीय गुलाम नबी जी को सुन रहा था। वैसे भी बड़ी मृदुलता, सौम्यता और कभी भी कटु शब्द का उपयोग न करना, ये गुलाम नबी जी की विशेषता रही है। और मैं मानता हूं कि हम सभी जो सांसदगण हैं, उन्होंने उनसे ये सीखने जैसी चीज है और ये मैं उनका आदर भी करता हूं। और उन्होंने जम्मू-कश्मीर में जो चुनाव हुए, उसकी तारीफ भी की। उन्होंने कहा कि बहुत लंबे समय से और उन्होंने ये भी कहा कि मेरे दिल में जम्मू-कश्मीर विशेष है और स्वाभाविक भी है, उनके दिल में ये होना पूरे हिन्दुस्तान के दिल में जम्मू-कश्मीर उसी भाव से भरा पड़ा है।
जम्मू-कश्मीर आत्मनिर्भर बनेगा, उस दिशा में हमारा- वहां पंचायत के चुनाव हुए, बीडीसी के चुनाव हुए, डीडीसी के चुनाव हुए, और उन सबकी सराहना गुलाम नबी जी ने की है। इस प्रशंसा के लिए मैं आपका बहुत आभारी हूं। लेकिन मुझे डर लगता है, आपने प्रशंसा की। मुझे विश्वास है कि आपकी पार्टी वाले इसको उचित spirit मेंलेंगे,गलती से जी-23 की राय मान करके कहीं उलटा न कर दें।
आदरणीय सभापति महोदय,
कोरोना के चुनौतीपूर्ण दौर में सीमा पर भी चुनौती देने की कोशिश हुई। हमारे वीर जवानों के हौसले और कुशलता ने सटीक जवाब दिया है। हर हिन्दुस्तानी को इस बात पर गर्व है। मुश्किल परिस्थितियों में भी हमारे जवान डट करके खड़े रहे हैं। तमाम साथियों ने भी हमारे जवानों के शौर्य की सराहना की है, मैं उनका आभारी हूं। एलएसी पर जो स्थिति बनी है उस पर भारत का रुख बहुत स्पष्ट है और देश इसको भलीभांति देख भी रहा है और गर्व भी कर रहा है।Border Infrastructure और Border Security को लेकर हमारी प्रतिबद्धता में किसी प्रकार की ढील आने का सवाल ही नहीं होता है,गुंजाइश ही नहीं है, और जो लोग हमारा लालन-पालन और हमारे विचारों का को, हमारे उद्देश्य को देखते हैं वो कभी इस विषय में हमसे सवाल ही नहीं करेंगे, उनको मालूम है हम इसके लिए डटे हुए रहने वाले लोग हैं। और इसलिए हम इन विषयों में कहीं पर भी पीछे नहीं हैं।
आदरणीय सभापति जी,
इस सदन की उत्तम चर्चा के लिए मैं सबका धन्यवाद करते हुए आखिर में एक मंत्र का उल्लेख करते हुए अपनी वाणी को विराम दूंगा। हमारे यहां वेदों में एक महान विचार प्राप्त होता है। वो हम सबके लिए, 36 करोड़ देशवासियों के लिए ये मंत्र अपने-आप में बहुत बड़ी प्रेरणा है। वेदों का ये मंत्र कहता है-
"अयुतो अहं अयुतो मे आत्मा अयुतं मे, अयुतं चक्षु, अयुतं श्रोत्रम|"
यानी मैं एक नहीं हूं, मैं अकेला नहीं हूं, मैं अपने साथ करोड़ों मानवों को देखता हूं, अनुभव करता हूं। इसलिए मेरी आत्मिक शक्ति करोड़ों की है। मेरे साथ करोड़ों की दृष्टि है, मेरे साथ कराड़ों की श्रवण शक्ति, कर्म शक्ति भी है
आदरणीय सभापति जी,
वेदों की इसी भावना से, इसी चेतना से 130 करोड़ से अधिक देशवासियों वाला भारत सबको साथ ले करके आगे बढ़ रहा है। आज 130 करोड़ देशवासियों के सपने आज हिन्दुस्तान के सपने हैं। आज 130 करोड़ देशवासियों की आकांक्षाएं इस देश की आकांक्षाएं हैं। आज 130 करोड़ देशवासियों का भविष्य भारत के उज्ज्वल भविष्य की गारंटी है। और इसलिए आज जब देश नीतियां बना रहा है, प्रयास कर रहा है, तो वो केवल तत्कालीन हानि लाभ के लिए नहीं लेकिन एक लंबे दूरगामी और 2047 में देश जब आजादी का शतक मनाएगा, तब देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के सपनों को ले करके ये नींव रखी जा रही है। और मुझे विश्वास है कि इस काम को हम पूरा करने में अवश्य सफल होंगे।
मैं फिर एक बार आदरणीय राष्ट्रपति जी के उद्बोधन के लिए मैं उनका आदरपूर्वक धन्यवाद करते हुए, उनका अभिनंदन करते हुए सदन में भी जिस तरह चर्चा हुईऔर मैं सच बताता हूं, चर्चा का स्तर भी अच्छा था, वातावरण भी अच्छा था। ये ठीक है कि किसे कितने लाभ होते हैं, मुझ पर भी कितना हमला हुआ, हर प्रकार से जो भी कहा जा सकता है कहा, लेकिन मुझे बहुत आनंद हुआ कि मैं कम से कम आपके काम तो आया। देखिए आपके मन में एक तो कोरोना के कारण ज्यादा जाना-आना होता नहीं होता, फंसे रहते होंगे, और घर में भी खिच-खिच चलती होगी। अब इतना गुस्सा यहां निकाल दिया तो आपका मन कितना हल्का हो गया। आप घर के अंदर कितनी खुशी चैन से समय बिताते होंगे। तो ये आनंद जो आपको मिला है, इसके लिए मैं काम आया, ये भी मैं अपना सौभाग्य मानता हूं, और मैं चाहूंगा ये आनंद लगातार लेते रहिए। चर्चा करते रहिए, लगातार चर्चा करते रहिए। सदन को जीवंत बनाकर रखिए, मोदी है, मौका लीजिए।
बहुत-बहुत धन्यवाद
******
swatantrabharatnews.com