चिकित्सा व्यवसाय में जनशक्ति की कमी की समस्या का तत्काल समाधान करने की आवश्यकता है - उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति ने ग्रामीण क्षेत्रों में टेलीमेडिसिन सुविधाएं बनाने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी में भारत की सामर्थ्य का लाभ उठाने का आह्वान किया
अपने मरीजों का उपचार करते हुए मानवीय स्पर्श दें - उपराष्ट्रपति की चिकित्सकों को सलाह
उपराष्ट्रपति ने स्वास्थ्य सेवा को वहनीय और सुलभ बनाने की आवश्यकता पर बल दिया
उपराष्ट्रपति ने सभी से स्थिति पूरी तरह से सामान्य होने तक कोविड से संबंधित नियमों का पालन करने के लिए कहा
'सनसनीखेज नेता' के बजाय 'संवेदनशील' नेता बनने की आकांक्षा रखें - उपराष्ट्रपति ने छात्रों से कहा
उपराष्ट्रपति ने ऑक्सीजन संयंत्र का उद्घाटन किया और विजयवाड़ा में डॉ. पिन्नामनेनी सिद्धार्थ इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस एंड रिसर्च फाउंडेशन के छात्रों और शिक्षकों के साथ बातचीत की
सिद्धार्थ मेडिकल कॉलेज, विजयवाड़ा में नई इकाइयों और अत्याधुनिक उपकरणों का उद्घाटन करने के बाद चिकित्सा (मेडिकल) छात्रों और शिक्षकों के साथ बातचीत करते हुए, उपराष्ट्रपति ने प्रसन्नता व्यक्त की कि भारत वर्ष 2024 तक प्रति 1,000 लोगों पर एक चिकित्सक के विश्व स्वास्थ्य सन्गठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा अनुशंसित अनुपात को प्राप्त करने की राह पर अग्रसर है। उन्होंने प्रधान मंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन के शुभारंभ की भी सराहना की, जिसका लक्ष्य अगले चार से पांच वर्षों में गांव से राष्ट्रीय स्तर तक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य नेटवर्क को मजबूत करने का प्रयास करना है।
इस बात पर अफसोस जताते हुए कि चिकित्सा व्यवसाय का पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बाजारीकरण हो गया है, उन्होंने उभरते चिकित्सा स्नातकों को सलाह दी कि वे अपने रोगियों का उपचार करते समय मानवीय स्पर्श दें । "चिकित्सा सबसे महान व्यवसायों में से एक है और आप सभी को हमेशा हिप्पोक्रेट्स शपथ के लिए प्रतिबद्ध रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि “कभी भी भलाई के मार्ग से विचलित न हों और उच्चतम नैतिक और नैतिक मानकों को बनाए रखें, ”।
The Vice President, Shri M. Venkaiah Naidu inaugurating
— Vice President of India (@VPSecretariat) November 1, 2021
Oxygen Generator,
Biomedical Equipment
Unit of Cardiac Sciences and
Unit of Neuro Sciences
at Dr. Pinnamaneni Siddhartha Institute of Medical Science & Research Foundation in Vijayawada today. #HealthForAll pic.twitter.com/iub4VlzEN6
सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) के क्षेत्र में भारत की सामर्थ्य का पूरी तरह से लाभ उठाने की आवश्यकता पर बल देते हुए, श्री नायडू ने दुर्गम ग्रामीण क्षेत्रों में टेलीमेडिसिन संपर्क (कनेक्टिविटी) स्थापित करने सहित विभिन्न क्षेत्रों में सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) को बढ़ावा देने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि टेलीमेडिसिन ग्रामीण भारत में लागत कम करने और पहुंच में सुधार करने में मदद करेगा और यह विश्वास व्यक्त किया कि हाल ही में शुरू किया गया आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन एक कुशल और समावेशी सार्वभौमिक स्वास्थ्य सेवा की पहुंच प्रदान करने के लिए आवश्यक पारिस्थितिकी तंत्र बनाने में सहायक बनेगा ।
ग्रामीण क्षेत्रों में जनशक्ति की कमी को देखते हुए, उपराष्ट्रपति ने राजकीय सेवा के चिकित्सकों को पहली पदोन्नति देने से पहले उनके लिए ग्रामीण सेवा को अनिवार्य बनाने का सुझाव दिया। उन्होंने इसके लिए प्रोत्साहन देकर और आवास और अन्य बुनियादी ढांचे में सुधार करके ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक डॉक्टरों को आकर्षित करने की आवश्यकता भी स्वीकारी ।
स्वास्थ्य पर व्यक्ति की क्षमता से बहुत अधिक व्यय होने पर चिंता व्यक्त करते हुए, श्री नायडू ने स्वास्थ्य सेवा को सभी के लिए वहनीय (सस्ता) और सुलभ बनाने की आवश्यकता पर बल दिया। इस संबंध में उन्होंने स्वास्थ्य क्षेत्र पर सरकार की ओर से सार्वजनिक खर्च बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया । उन्होंने कहा, "साथ ही, मैं स्वास्थ्य क्षेत्र के निजी खिलाड़ियों से भी लोगों को वहन योग्य अत्याधुनिक उपचार के तौर-तरीके उपलब्ध कराने के लिए सरकार के साथ हाथ मिलाने का आग्रह करूंगा।"
वर्तमान में जारी कोविड-19 महामारी का उल्लेख करते हुए, श्री नायडू ने चिकित्सा बिरादरी को उभरती बीमारियों पर अनुसंधान पर अपना ध्यान बढ़ाकर भविष्य में ऐसी किसी भी बीमारी/महामारी से निपटने के लिए तैयार रहने को कहा। उन्होंने डॉक्टरों, वैज्ञानिकों और सभी अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं की उनके समर्पण और निस्वार्थ सेवा के लिए लोगों की जान बचाने और कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए सराहना की। उपराष्ट्रपति ने अब तक वैक्सीन की 105 करोड़ से अधिक खुराक देने के लिए केंद्र सरकार और विभिन्न राज्यों की भी सराहना की । इस अवसर पर उन्होंने कॉलेज में मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट (1200 एलपीएम पीएसए), जैव-चिकित्सा उपकरणों (बायोमेडिकल इक्विपमेंट), हृदय सम्बन्धी विज्ञान (कार्डियक साइंसेज) की इकाई और तंत्रिका विज्ञान (न्यूरो साइंसेज) की इकाई का भी उद्घाटन किया ।
कोविड के बाद आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए, उन्होंने सभी को सतर्क रहने और स्थिति पूरी तरह से सामान्य होने तक कोविड से संबंधित नियमों का पालन करना जारी रखने के लिए आगाह किया। “हम लापरवाही से काम नहीं कर सकते और न ही एक और लहर को आमंत्रित कर सकते हैं । उन्होंने कहा, “मुझे विश्वास है कि चिकित्सा पेशे से जुड़े लोगों के रूप में, आप सभी समाज में इस मुद्दे पर अधिक जागरूकता पैदा करेंगे, ” ।
गैर-संचारी रोगों में तेजी से वृद्धि की चिंताजनक प्रवृत्ति की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए, उन्होंने सभी हितधारकों का आह्वान किया कि वे सभी गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) में की प्रवृत्ति को रोकने के लिए ठोस प्रयास करें । उन्होंने युवा चिकित्सा पेशेवरों से कहा कि वे न केवल स्वस्थ और संतुलित जीवन शैली अपनाएं बल्कि बल्कि दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करें ।
विजयवाड़ा शहर के साथ अपने लंबे जुड़ाव को याद करते हुए, श्री नायडू ने कहा कि वह हमेशा इस जीवंत शहर का दौरा करने के लिए उत्सुक हैं। इस अवसर पर, उन्होंने सभी से अपने जीवन में मातृभाषा के संरक्षण और प्रसार के महत्व पर भी प्रकाश डाला ।
नेतृत्व के गुणों पर एक छात्र के प्रश्न का उत्तर देते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि हर व्यक्ति को एक 'संवेदनशील' नेता बनने की आकांक्षा रखनी चाहिए, न कि 'सनसनीखेज' नेता बनने की । उन्होंने कहा कि "एक चिकित्सक (डॉक्टर) , एक नर्स और एक किसान भी अपने आप में एक महान नेता हो सकते हैं," साथ ही उन्होंने एक सच्चे नेता के महत्वपूर्ण गुणों के रूप में ईमानदारी और उच्च नैतिक मानकों को सूचीबद्ध किया ।
यह कहते हुए कि प्राचीन काल में, भारत को 'विश्व गुरु' के रूप में जाना जाता था, उपराष्ट्रपति ने कहा कि अब भारत उस पुराने गौरव को पुनः प्राप्त करने के लिए फिर से उठ रहा है। उन्होंने छात्रों से आह्वान किया कि वे राष्ट्र निर्माण के लिए खुद को प्रतिबद्ध करने और "उच्च लक्ष्य, बड़े सपने देखने और जीवन में सफल होने के लिए कड़ी मेहनत करें” ।
इस अवसर पर सिद्धार्थ अकादमी के अध्यक्ष श्री एन. वेंकटेश्वरलू, डॉ. पिन्नामनेनी सिद्धार्थ इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस एंड रिसर्च फाउंडेशन (पीएसआईएमएस) के महानिदेशक डॉ. नागेश्वर राव, सिद्धार्थ अकादमी के सचिव डॉ. पी लक्ष्मण राव, डॉ. पीएसएन मूर्ति, प्राचार्य, पीएसआईएमएस के प्राचार्य, डॉ. पीएसएन मूर्ति, प्राचार्य, क्षेत्र के जनप्रतिनिधि, संकाय और छात्र उपस्थित थे ।
उपराष्ट्रपति भाषण का पूरा पाठ निम्नलिखित है-
"प्रिय बहनों और भाइयों,
मुझे नई इकाइयों और अत्याधुनिक उपकरणों का उद्घाटन करने और आप सभी, विशेष रूप से युवा और ऊर्जावान मेडिकल छात्रों के साथ बातचीत करते हुए बहुत खुशी हो रही है। विजयवाड़ा के साथ मेरी कई अच्छी यादें जुड़ी हैं और मैं हमेशा इस जीवंत शहर का दौरा करने के लिए उत्सुक रहता हूं ।
कोविड-19 मामलों की संख्या में धीरे-धीरे गिरावट और स्थिति में सुधार होने के लिए धन्यवाद, कि हम आज यहां मिलने में सक्षम हैं । सभी चिकित्सक, वैज्ञानिक और अग्रिम पंक्ति के सभी कार्यकर्ता लोगों का जीवन बचाने और कोविड-19 संचरण के प्रसार को रोकने के लिए अपने समर्पण और निस्वार्थ सेवा के लिए विशेष प्रशंसा के पात्र हैं । मैं अब तक 105 करोड़ से अधिक वैक्सीन की खुराक देने के लिए केंद्र सरकार और विभिन्न राज्यों को बधाई देता हूं ।
जैसा कि आप सभी जानते हैं, विभिन्न आर्थिक गतिविधियों ने अब जाकर गति पकड़ी है और यह अनुमान है कि भारत चालू वित्त वर्ष के दौरान 9.5 प्रतिशत और 2022 में 8.5 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्ज करेगा। यह एक स्वागत योग्य संकेत है। फिर भी हम में से प्रत्येक को सतर्क रहना चाहिए और स्थिति पूरी तरह से सामान्य होने तक कोविड से संबंधित नियमों का पालन करना जारी रखना चाहिए। हम लापरवाही से कार्य नहीं कर सकते हैं और न ही एक और लहर को आमंत्रित कर सकते हैं । मुझे विश्वास है कि चिकित्सा पेशे से जुड़े लोगों के रूप में आप सभी जनसामान्य लोगों में इस मुद्दे पर अधिक से अधिक जागरूकता पैदा करेंगे।
प्रिय विद्यार्थियो,
चिकित्सा सबसे महान व्यवसायों में से एक है और आप सभी को हमेशा हिप्पोक्रेट्स शपथ के लिए प्रतिबद्ध रहना चाहिए। भलाई के मार्ग से कभी विचलित न हों और उच्चतम नैतिक और नैतिक मानकों को बनाए रखें। दुर्भाग्य से, चिकित्सा पेशे का पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बाजारीकरण हो गया है। सभी नवोदित मेडिकल स्नातकों को मेरी सलाह है कि वे ईमानदारी, समर्पण और जुनून के साथ लोगों की निस्वार्थ सेवा करें। मानवीयता का स्पर्श एक महत्वपूर्ण पहलू है किन्तु इन दिनों यह चिकित्सक–रोगी के आपसी सम्पर्क में मिलता ही नहीं है। मुझे लगता है कि रोग के हर मामले को नियमित और यांत्रिक तरीके से लेने की बजाय हर चिकित्सक को अपने रोगियों के साथ अधिक समय बिताने की कोशिश करनी चाहिए। चिकित्सकों के रूप में, आपको ऐसे रोगियों को मनोवैज्ञानिक आराम प्रदान करने औए उनके साथ सुहानुभूति रखने की आवश्यकता है जो आपका परामर्श चाहते हैं।
प्रत्येक मेडिकल कॉलेज को भी अपने छात्रों को सामुदायिक सेवा में शामिल करना चाहिए ताकि उनमें साझा करने और देखभाल करने की भावना पैदा हो सके।
जहां एक ओर भारत ने चेचक और पोलियो जैसी बीमारियों का उन्मूलन किया है और उसके विभिन्न स्वास्थ्य संकेतकों में उल्लेखनीय सुधार हुआ है, वहीं हमारे सामने स्वास्थ्य क्षेत्र में अब भी कई चुनौतियां हैं। कोविड-19 महामारी ने प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक स्तरों पर हमारे स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे के विस्तार की सख्त आवश्यकता को उजागर किया है । मैं प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन शुरू करने के लिए बधाई देता हूं, जिसका लक्ष्य अगले चार से पांच वर्षों में गांव से राष्ट्रीय स्तर तक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य नेटवर्क को मजबूत करने का प्रयास करना है ।
सभी हितधारकों द्वारा जनशक्ति की कमी की समस्या का युद्ध स्तर पर समाधान किए जाने की आवश्यकता है। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हो रही है कि भारत 2024 तक प्रति 1,000 लोगों पर एक चिकित्सक के विश्व स्वास्थ्य सन्गठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा अनुशंसित अनुपात को प्राप्त करने की राह पर अग्रसर है । इसी तरह, प्रशिक्षित नर्सों और चिकित्सा तकनीशियनों की संख्या में भी भारी वृद्धि की जानी है । इसके लिए दीर्घकालिक उपायों की आवश्यकता है और मुझे खुशी है कि केंद्र सरकार ने हर जिले में कम से कम एक मेडिकल कॉलेज और देश भर में 22 अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थानों (एआईआईएमएस –एम्स ) के नेटवर्क की स्थापना की योजना की घोषणा की है।
स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे का विस्तार करते हुए और जनशक्ति की कमी को दूर करते हुए, सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) क्षेत्र में भारत की सामर्थ्य का पूरी तरह से लाभ उठाना महत्वपूर्ण है । दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में टेलीमेडिसिन सम्पर्क (कनेक्टिविटी) स्थापित करने सहित विभिन्न क्षेत्रों में सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। टेलीमेडिसिन चिकित्सा लागत कम करने और पहुंच में सुधार करने में मदद करेगा।
मैंने ग्रामीण क्षेत्रों में जनशक्ति की कमी को देखते हुए राजकीय चिकित्सकों को पहली पदोन्नति देने से पहले ग्रामीण सेवा को अनिवार्य बनाने का सुझाव दिया था। इसके लिए प्रोत्साहन प्रदान करके और आवास और अन्य बुनियादी ढांचे में सुधार करके ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक चिकित्सकों को आकर्षित करने की आवश्यकता है।
मुझे विश्वास है कि हाल ही में शुरू किया गया आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन एक कुशल और समावेशी सार्वभौमिक स्वास्थ्य पहुँच (कवरेज) प्रदान करने के लिए आवश्यक पारिस्थितिकी तंत्र बनाने में मदद करेगा । इसी तरह, आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री- जन आरोग्य योजना (पीएम – जेएवाई) के अंतर्गत विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना लागू की जा रही है, जिसका उद्देश्य उस 10.74 करोड़ से अधिक गरीब और कमजोर परिवारों (लगभग 50 करोड़ लाभार्थी) को द्वितीयक और तृतीयक देखभाल अस्पताल में भर्ती के लिए प्रति परिवार प्रति वर्ष 5 लाख रुपये का स्वास्थ्य कवर प्रदान करना है जो कि भारतीय जनसंख्या का निचला 40% हिस्सा है।
प्रिय बहनों और भाइयों,
स्वास्थ्य सेवा को सभी के लिए कम खर्चीला, किफायती और सुलभ बनाना समय की मांग है । व्यक्ति की सामर्थ्य से अधिक ( आउट-ऑफ-पॉकेट ) उच्च स्तर के व्यय को देखते हुए, स्वास्थ्य के क्षेत्र में सरकार की ओर से सार्वजनिक व्यय में वृद्धि किया जाना महत्वपूर्ण है।
15वें वित्त आयोग ने सिफारिश की है कि राज्यों को 2022 तक अपने बजट में स्वास्थ्य पर खर्च को संबंधित बजट का 8% से भी अधिक बढ़ाना चाहिए और केंद्र और राज्यों के सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यय को भी 2025 तक सकल घरेलू उत्पाद के 2.5 प्रतिशत तक पहुंचने के लिए प्रगतिशील तरीके से बढ़ाया जाना चाहिए ।
इसके साथ ही, मैं स्वास्थ्य क्षेत्र के निजी खिलाड़ियों से भी आग्रह करूंगा कि लोगों को वहन योग्य अत्याधुनिक उपचार के तौर-तरीके उपलब्ध कराने के लिए सरकार के साथ हाथ मिलाएं।
बहनों और भाइयों,
कोविड -19 महामारी के प्रकोप ने किसी भी नई बीमारी या महामारी के प्रकोप से निपटने के लिए चिकित्सा बिरादरी को तैयार रहने की आवश्यकता को उजागर किया है। इसलिए सभी मेडिकल कॉलेजों के लिए यह अनिवार्य हो जाता है कि वे उभरती बीमारियों पर शोध किए जाने पर अपना ध्यान केंद्रित करें। अधिक मेडिकल कॉलेजों (चिकित्सा महाविद्यालयों) की स्थापना करते समय यह भी सुनिश्चित किया जाए कि चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता से किसी प्रकार का समझौता न हो ।
इस महामारी का मुकाबला करने के साथ-साथ, हमें स्वास्थ्य के मोर्चे पर अन्य चुनौतियों पर भी ध्यान देना होगा। हम गैर-संचारी रोगों में तेजी से वृद्धि की एक परेशान करने वाली प्रवृत्ति देख रहे हैं। भारत में लगभग 65% मौतें अब गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) के कारण होती हैं। यह चिंता का कारण है। युवा चिकित्सा पेशेवरों के रूप में, मैं आप सभी से आग्रह करता हूँ कि आप न केवल एक स्वस्थ और संतुलित जीवन शैली अपनाएं बल्कि इसके लिए दूसरों को भी प्रेरित करें । गैर-संचारी रोगों (एनडीसी) की प्रवृत्ति में वृद्धि को रोकने के लिए सभी हितधारकों द्वारा एक ठोस प्रयास किया जाना चाहिए।
प्रिय छात्रों, आप में से प्रत्येक को सप्ताह या पखवाड़े में एक बार सामाजिक या सामुदायिक सेवा के लिए कुछ समय देना चाहिए। लोगों को गैर-संचारी रोगों ( एनसीडी ) के खतरों के बारे में जागरूकता पैदा करने और नियमित शारीरिक व्यायाम करने, स्वस्थ आहार लेने और हानिकारक पदार्थों से बचने के लिए उन्हें स्वस्थ जीवन शैली अपनाने के लिए प्रेरित करने के लिए आपको पास की मलिन बस्तियों (झुग्गियों) या स्कूलों का दौरा करना चाहिए।
जैसे-जैसे आप अपने करियर में आगे बढ़ें हैं, वैसे-वैसे ही सेवा के आदर्श वाक्य को हमेशा याद रखें और उच्च नैतिक और नैतिक मूल्यों को बनाए रखें । साथ ही अपने पास आए रोगियों का उपचार करते समय हमेशा मानवीय स्पर्श दें । आपके भविष्य के प्रयासों के लिए शुभकामनाएँ I
जय हिन्द!"
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