COVID-19: क्रान्तिकारी परिवर्तन चाहने वालों को जड़-समाज की अलोचना, निंदा और गालियां- सभी सुनने को तैयार रहना होगा: रघु ठाकुर
विशेष में प्रस्तुत है:
ख्यातिनाम गांधीवादी - महान समाजवादी चिंतक व विचारक तथा शहीद-ए-आजम भगत सिंह एवं डॉ लोहिया के
सैद्धांतिक लक्ष्य, जो एक ऐसे "समतामूलक समाज" की स्थापना,
जिसमें "कोई व्यक्ति किसी का शोषण न कर सके और किसी प्रकार का अप्राकृतिक अथवा अमानवीय विभेद न हो",
को पूर्ण करने हेतु समर्पित लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के संस्थापक व राष्ट्रीय संरक्षक- रघु ठाकुर की धर्मेंद्र सिंह
राणा से एक खास बात-चीत:
लोसपा के राष्ट्रीय संरक्षक- रघु ठाकुर ने वार्ता का प्रारम्भ करते हुए कहा कि, "क्रान्तिकारी परिवर्तन चाहने वालों को जड़-समाज की अलोचना निंदा और गालियां सभी सुनने को तैयार रहना होगा। हम जो सह रहे हैं, वह कुछ भी नहीं।"
रघु ठाकुर ने कहा कि, "सुकरात, ईशा और गांधी को तो जान ही देनी पड़ी थी। उन्हें गोलियां, फांसी और जहर मिला। अगर हमें मात्र चन्द गालियां मिलती है तो, उनका भी स्वागत है।"
धर्मेंद्र सिंह राणा ने बताया कि प्रख्यात समाजवादी नेता- रघु ठाकुर ने आज बातचीत में कहा कि, "उनकी आलोचना किये जाने के कारण ये थे कि:
उन्होंने 20 मार्च को ही लिखा था कि, प्रधानमंत्री जी की 19 तारीख की घोषणा के बाद जिन यात्रियों की यात्रा रद्द हुयी है, उन्हे रेलवे को पैसा वापिस करना चाहिये।
लोगों ने उन पर ऐसे हमले किए जैसे वे अपने लिए कह रहे हों। कुछ लोगों ने तो यह भी झूठ लिखा कि, पूरे पैसे वापस मिल गए। पर अप्रैल महीने में रेल मंत्रालय ने पैसे वापस करने का निर्णय किया तथा दो बार में क्रमशः 800 करोड़ और 600 करोड़ रूपए यात्रियों को वापस करने की सूचना जारी की। उन्होंने मार्च के अंत में ही सोशल मीडिया और फेसबुक व लेखों के माध्यम से मास्क सैनेटाइजर की कालाबाजारी और कम्पिनियो की लूट पर भी सवाल उठाये। अनेक माध्यमों से लिखा कि, भारत सरकार ने बगैर पर्याप्त तैयारी के सूचना के इतना लंबा लॉक डाउन घोषित कर दिया, जिसमें लाखों मजदूर महानगरों में कैद हो गए। उनके पास ना किराया है, ना खाने को दाना, कारखाने बंद पड़े हैं। अतः भारत सरकार को विशेष मजदूर सैनिटाइजड रेल चलाना चाहिए तथा मजदूर को नजदीक स्टेशन पर छोड़ देना चाहिए और राज्य सरकार को अग्रिम सूचना देनी चाहिए ताकि वे आवश्यक चिकित्सा जांच करने के साथ-साथ अन्य व्यवस्था करा सकें।
(साभार- मल्टी-मीडिया)
इस पर एक प्रायोजित समूह ने इन कदमों को उठाने की बात कहना "राष्ट्रद्रोह" बता दिया। अब जब प्रतिदिन हजारों-लाखों मजदूर सड़कों पर निकल रहे हैं, रास्ते में कटकर मर रहे हैं, पैदल चलकर मर रहे हैं, भूखे प्यासे हैं, तब वे बहादुर राष्ट्रभक्त बिलों में छुप गए हैं।
दूसरे लॉक-डाउन के समाप्त होने के पहले रघु जी ने सुझाव दिया था कि, जिस प्रकार सिंगापुर शासन ने लॉक-डाउन की घोषणा के पहले 5 दिन का समय दिया था। इसी प्रकार भारत में भी सरकार को पूर्व सूचना और समय देना चाहिए था। अब अगर सरकार पुनः लॉकडाउन बढ़ाना चाहती है तो उसे बीच में तैयारी का समय देना चाहिए।
इस अवधि में मजदूरों को घर भेज दिया जाए। बीपीएल कार्ड वालों को तीन-तीन माह का अग्रिम राशन दिया जाए। पेंशन धारियों के तीन-तीन माह की पेंशन अग्रिम दे दी जाए ताकि लोगों को पेट के लिए सड़कों पर नहीं निकलना पड़े।
परंतु सरकार ने बजाय इन व्यवस्थाओं को करने के लाठियों और गिरफ्तारियां का सिलसिला शुरू कर दिया।
सत्ता भक्तों ने श्री रघु जी की आलोचना की और अब जब सूबे से लेकर केंद्र तक की सरकारें कठघरे में हैं तब इन राष्ट्र भक्तों का पता नहीं है। अब सारे घटनाक्रम ने जब रघु जी को सही सिद्ध किया है, तो कांव-कांव गैंग लापता है।
अब कम से कम वे अपनी गलती पर खेद ही व्यक्त करते, परन्तु बिन पानी - सब सून।
धर्मेंद्र सिंह राणा
swatantrabharatnews.com