विशेष - COVID-19: कब्रिस्तान में कोरोना: नवेन्दु उन्मेष
- कोरोना वायरस की झूठी कसम खाओ, कोरोना वैसे ही मर जाएगा: कुमारी बंशीका, कक्षा-3
"कोरोना" महामारी पर "विशेष" में प्रस्तुत है,
बरिष्ठ पत्रकार- "नवेन्दु उन्मेष" द्वारा प्रस्तुत 'व्यंग्य'- "कब्रिस्तान में कोरोना" और उस पर बच्चो की प्रतिक्रिया:
कब्रिस्तान में कोरोना:
नवेन्दु उन्मेष
नवेन्दु उन्मेष लिखते हैं कि, "कोरोना" को लेकर कब्रिस्तान में हलचल तेज हो गयी थी। प्रत्येक मुर्दा यह जानने को बेताब था कि, आखिर कोरोना क्या है?-
कुछ मुर्दे तो कोरोना देखने के लिए शहरों में जाना भी चाह रहे थे, लेकिन मुर्दा संघ के नेता ने उनसे कहा कि, "वे अपने कब्र में सुरक्षित पड़े रहे। किसी भी स्थिति में कब्रिस्तान से बाहर नहीं निकलें। अगर कब्रिस्तान में कोरोना आ गया तो, हम कहां जायेंगे। क्योंकि जीवितों को अगर कोरोना हो जाता है तो उनके पास इलाज कराने के लिए अस्पताल की व्यवस्था है, जहां वे ठीक हो सकते हैं। लेकिन कब्रिस्तान में न कोई अस्पताल है, और न कोई इसकी दवा।"
तभी एक मुर्दे ने सवाल खड़ा किया कि, आखिर यह कोरोना है क्या?-
नेता ने कहा कि, "कोरोना" 'आदमी द्वारा आदमी के लिए', बनाया गया एक वायरस है, जो किसी भी जंगली जानवर से ज्यादा खतरनाक है। इसके डर से आदमी घर में बंद हो जाता है। शहर में लाॅकडाउन हो जाता है।
पहले आदमी गीत गुनगुनाता था कि,
जब दिल न लगे दिलदार हमारी गली आ जाना..........
अब तो आदमी खुद अपनी गली को कोरोना के डर से बंद कर रहा है।
"कोरोना" कह रहा है - छूले तो बेटा, गईले!!!
इसका मतलब हुआ कि, आदमी - आदमी के डर से भाग रहा है। यहां तक कि मास्क से मुंह छिपाकर जी रहा है।
इस पर एक अन्य मुर्दे ने कहा कि, सुना है आदमी कोरोना के डर से घर पर रोटी बेल रहा है। सरकार कह रही है कि, जब तक आदमी गोल-गोल रोटी बेलना नहीं सीख जाता, तब तक लाक डाउन जारी रहेगा।
तभी रामू नामक मुर्दे ने कहा कि नहीं, कोरोना का कहना है कि, जीवितों ने चेचक जैसी महामारी को माता का दर्ज दे रखा है।
अब उसकी मांग है कि, जीवित लोग कम से कम उसे फूफा का दर्जा तो दें, तभी वह यहां से जायेगा।
लेकिन, आदमी है कि मानता ही नहीं। वह किसी भी स्थिति में उसे फूफा का दर्जा देने को तैयार नहीं है। इसलिए कोरोना शहर और गांवों में उधम मचाये हुए है।
इसी बीच कब्रिस्तान के गेट पर कुछ लोगों की हलचल तेज हो गयी। मुर्दो का ध्यान उस हलचल की ओर आकर्षित हो उठा।
मुर्दा संघ के नेता ने अपने गुप्तचरों के माध्यम से पता लगाया कि, कब्रिस्तान में कोरोना की मौत मरे एक व्यक्ति को लाया गया है। इसी का विरोध जीवित लोग कर रहे हैं।
जीवितों का कहना था कि, अगर इस मुर्दे को इस कब्रिस्तान में दफनाया गया तो यहां भी कोरोना फैल जाएगा।
इस पर एक मुर्दे ने कहा, यह तो अच्छी बात है कि, जीवित लोग खुद के साथ-साथ हम मुर्दो का भी पूरा ख्याल रख रहे हैं। हमें तो जीवितों के प्रति आभार व्यक्त करना चाहिए और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित देना चाहिए।
तब एक अन्य मुर्दे ने कहा कि, श्रद्धांजलि तो तब दी जाती है, जब कोई आदमी मर जाता है। तुम जीवितों को श्रद्धांजलि कैसे दे सकते हो?-
इस पर उसने कहा, हम मुर्दे हैं। जो चाहे कर सकते हैं। हम जीवितों को श्रद्धांजलि दे सकते हैं। श्रद्धांजलि देना हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है।
इसके बाद मुर्दो ने जीवितों के लिए एक सभा बुलायी और उन्हें श्रद्धांजलि दी और कहा,
"तुम जीओ हजारों साल, साल के दिन हों पचास हजार.........
हमारी है यही आरजू.........
इसके बाद सभी मुर्दे अपनी कब्र के अंदर चले गये और कब्र की सलामती के लिए दुआ करने लगे।
तब-तक मुर्दों के सभा की खबर बच्चों में पहुंची। बच्चे भी अपनी सभा बुलाये थे और परेशान थे कि, कोई शोध करके बताये कि, कोरोना का खात्मा कैसे हो?-
तभी बच्चों की नेता - बांशिका, जो कक्षा -४ में पढ़ती है, ने कहा कि, "तुम लोग बेकार परेशान हो। हमने कोरोना को जड़ से ख़त्म करने का उपाय खोज लिया है।" सभी बच्चे खुस होकर अपनी नेता- बंसिका के मुंह कि तरफ टकटकी बाँध कर देखने लगे।
तब बंशीका ने बड़े अंदाज से बच्चों से पूछा कि, "ये बताओ कि, मम्मी - पापा कि झूठी कसम तुम खा सकते हो?-"
तो बच्चो ने एक सुर में नाराज होकर कहा कि, "नहीं"!
झूठी कसम खाएंगे तो, हमलोगों के मम्मी -पापा मर नहीं जाएंगे, तुम गन्दी हो।
तब बंसिका ने मुस्कुराकर कहा कि, "बस! अब से हम सभी कोरोना वायरस की झूठी कसम खाएंगे, तो कोरोना वैसे ही मर जाएगा।"
सभी बच्चे खुश होकर गाने-नाचने लगे ___
"कोरोना! कोरोना!! कोरोना!!!! सुन ले,
दिल दुःखा है लेकिन, टूटा तो नहीं है, उम्मीद का दामन झूठा तो नहीं है...
हम लोगों को समझ सको तो, समझो दिलवर जानी, तुझसे कैसा डरना, क्योंकि, दिल है हिन्दुस्तानी....
इसके बाद सभी बच्चे कोरोना की झूठी कसम खाने लगे, जिससे कोरोना मर गया। यह देखकर सरकार ने आज से समृद्धशाली और पैसे वाले धनाढ्य यात्रियों के लिए 15 जोड़ी A.C. ट्रेनें चलानी प्रारम्भ कर दी है, जबकि कोरोना के मरीज बढ़ रहे हैं!
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