लखनऊ मेट्रो दस सितम्बर को दिन में एक घंटे से अधिक समय तक रही बंद - लखनऊ मेट्रो भी भ्रष्टाचार की शिकार! स्वतंत्र भारत न्यूज़
लखनऊ: दस सितम्बर को दिन में "लखनऊ मेट्रो" द्वारा प्लेटफॉर्म पर लगाए डिस्प्ले बोर्ड से लेकर मेट्रो ट्रेन तक एक घंटे से अधिक समय तक बंद रहे, जिससे मेट्रो ट्रेन के यात्रियों में अत्यधिक आक्रोश देखा गया।
दस सितम्बर को मुहर्रम के अवकाश का दिन होने के कारण जहाँ लखनऊ के लोग बच्चों के साथ मेट्रो का आनंद लेना चाह रहे थे, वहीँ जरूरत मंद लोग भी आलमबाग बस स्टैंड से बस पकड़ने तथा चारबाग़/ लखनऊ जं. रेलवे स्टेशन से ट्रेन पकड़ने के लिए दुर्गापुरी और चारबाग़ जाने के लिए तथा अन्य लोग अपने गंतव्य स्टेशनों तक कम समय में पहुँचने के लिए मेट्रो के प्लेटफॉर्म पर आये। लेकिन जब "तकनिकी गड़बड़ियों के कारण "मुंशी पुलिया" की तरफ जाने वाली ट्रेन बाधित है" का प्रसारण सुने और एक घंटे से भी अधिक समय तक मेट्रो ट्रेन का संचालन बंद रहा तो यात्री आक्रोशित होने लगे और कहने लगे कि, "जब तकनिकी गड़बड़ी के कारण मेट्रो ट्रेन का संचालन बंद था तो कम से कम इसकी सूचना "टोकन विंडो" पर लगानी चाहिए थी, जिससे यात्री परेशानियों से बच सकते थे।"
यात्रियों को यह भी कहते सूना गया कि, "मेट्रो के निर्माण से लेकर मेट्रो ट्रेन की खरीद में भारी भ्रष्टाचार हुआ है, जिससे आये दिन कभी स्वचालित सीढ़ियां बंद रहती हैं तो कभी लिफ्ट और अब मेट्रो ट्रेन भी बंद. इसकी निष्पक्ष जांच हो जाय तो कई लोग जेल चले जांयेंगे।"
इसी क्रम में हमारे संवाददाता भी दस सितम्बर को प्रातः लगभग 11:10 बजे "कृष्णा नगर मेट्रो स्टेशन के प्लेटफॉर्म" पर पहुंचे तो देखा कि, प्रतिदिन की अपेक्षा काफी भीड़ है तथा लोग काफी आक्रोशित है और कहते सूना कि, "लखनऊ मेट्रो के भ्रष्टाचार अब उजागर हो रहे हैं, आये दिन लिफ्ट बंद - स्केलेटर बंद तो कभी टोकन खिड़की बंद रहती है और अब मेट्रो रेल भी बंद होने लगी है।"
संपादक ने भी जब डिस्प्ले बोर्ड देखा तो ट्रेन कितने मिनट में आने वाली है, नहीं दिख रहा था तथा "तकनिकी गड़बड़ियों के कारण मुंसी पुलिया जाने वाली मेट्रो ट्रेन बाधित है' का प्रसारण जारी था। हमारे संवाददाता को भी नाम नहीं छापने की शर्त पर कई मेट्रो कर्मचारियों ने पूरे माह के वेतन का भुगतान नहीं होने की बात बतायी है।
एक तरफ "लखनऊ मेट्रो", सफलता के दो वर्ष पूर्ण होने का जश्न मना रहा है और दूसरी तरफ ठेके पर कार्यरत वेतन-भोगी दैनिक कर्मचारियों के वेतन से लेकर प्लेटफॉर्म पर लगे लिफ्ट, स्वचालित सीढ़ियों, और मेट्रो ट्रेन तकनिकी गड़बड़ियों की शिकार होकर बंद हो रही हैं जिससे स्पष्ट रूप से प्रतीत हो रहा है कि, "लखनऊ मेट्रो के निर्माण और मेट्रो ट्रेन की खरीद से लेकर संचालन और दैनिक कर्मचारियों के वेतन तक में बड़ा भ्रष्टाचार है, जिसकी "निष्पक्ष जांच" आवश्यक है और उस पर कार्यवाही ही यात्रियों में लखनऊ मेट्रो के प्रति विश्वसनीयता को सुदृढ़ कर सकती है तथा इसकाअसर मेट्रो की आय पर भी पडेगा।"
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