अतुलनीय उपलब्धियों के लिए सम्मानित हुए सहित्यधर्मी व योगगुरू नागेन्द्र बहादुर सिंह
हिडौरा के अवधी सम्मलेन में मिला उन्हें अवध ज्योति रजत जयंती सम्मान
सिधौली (सितापुर): सिधौली के हिंडौरा गाँव में अवधी के अवदान, सम्मान और उत्थान का उत्सव था। मौका था अवध भारती संस्थान हैदरगढ़ की त्रैमासिक पत्रिका "अवध ज्योति" की रजत जयंती समारोह का।
आयोजन के सूत्रधार अवध ज्योति पत्रिका के संपादक डॉ• रामबहादुर मिसिर ने पत्रिका की रजत जयंती वर्ष में 5 अन्तर्राष्ट्रीय, 10 राष्ट्रीय अवधी सम्मेलनों क़ी श्रृंखला में अवधी साहित्य और संस्कृति पर चर्चा के साथ ही अवधी साहित्य के 100 साधकों के सम्मान और अभिनन्दन की वृहद् कार्ययोजना बनाई है।
इसी के तहत हिंडौरा में आज श्रमई काका और मित्र जी के "अवधी अवदान" पर विमर्श तो हुआ हीए इस सारस्वत अवसर पर रु•5000/= के मित्र जी स्मृति सम्मान के साथ 12 अवधी साधकों को "अवध ज्योति रजत जयंती सम्मान" किया गया।
आज सम्मानित होने वालों में बख्शी का तालाब, लखनऊ निवासी नागेन्द्र बहादुर सिंह चौहान प्रमुख थे। पत्रकारिता के रूप में अपने कैरियर का आगाज़ करने वाले नागेन्द्र बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं। उनका नाम किसी परिचय का मोहताज़ नहीं है।
उन्होंने अपनी सक्रिय पत्रकारिता के ढाई दशक से भी अधिक अवधि के कैरियर में उन्होंने राजधानी के प्रमुख अख़बारों को महत्त्वपूर्ण पदों पर रहकर सेवाएं दी हैं। साथ ही अवधी और हिंदी में उनका मौलिक रचनाधर्म भी उत्कृष्टता के नूतन आयाम लेता रहा।
नागेन्द्र सिंह सिद्धहस्त लेखक होने के साथ ही मुखर कवि भी हैं। कहा जाता है कि जब वक़्त करवट लेता है तो तमाम चीजें बदल जाती हैं। ऐसा ही कुछ नागेन्द्र जी के जीवन में हुआ। कुछेक साल पहले उन्हें हेपटाइटिस व्याधि ने जकड़ लिया।
पत्रकारिता के सक्रिय जीवन से उन्हें विरत होना पड़ा। एक क्षण उन्हें लगा कि सब कुछ शून्यवत् हो गया है। लेकिन उन्होंने खुद को संभाला और अपने उपचार के साथ ही जीवन को एक नई दिशा दी। वे योग की दुनिया में रम गए।
लखनऊ से सटे बख्शी का तालाब क्षेत्र में उन्होंने अपने योग अभ्यास के साथ ही जनमानस को भी शिविर लगा कर योग का अमृत बाँटने लगे। यह क्रम चल ही रहा था कि उन्होंने उत्तर प्रदेश में स्कूली बालिकाओं की कबड्डी लीग का व्यापक आयोजन कर खेल जगत में हलचल मचा दी। इसके बाद एक से बढ़ कर एक कार्यक्रम नागेन्द्र जी के नेतृत्त्व में राजधानी की सुर्खियां बनते रहे।
लोक संस्कृति आधारित एक वृहद् कार्यक्रम "रँगीला-भारत ने तो पूरे कला जगत का ध्यान अपनी ओर खींचा। इन सभी व्यस्तताओं के साथ समाजसेवा के कार्यों को भी अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाये रखा।
गौरतलब है कि नागेन्द्र जी कि इस नई पारी को सँवारने में उनकी जीवनसंगिनी- ममता सिंह चौहान का विशेष सहयोग रहा। आज नागेन्द्र बहादुर सिंह चौहान को उनकी विशेष उपलब्धियों के लिए अवध ज्योति रजत जयंती सम्मान दिया जायेगा। निश्चय ही उन्होंने अपने कृतित्त्व और व्यक्तित्त्व से क्षेत्र का मान बढ़ाया है। उनके सम्मानित होने की सूचना पाकर लेखन, पत्रकारिता, समाजसेवा, शिक्षा, खेल व अन्यान्य क्षेत्रों से जुड़े लोगों ने बधाई देकर हर्ष व्यक्त किया है।
. (मुरारी यदुनाथ सिंह)
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