
डॉक्टर रोबोट से ऑपरेशन
- अब भारतीय अस्पताल भी अत्याधुनिक रोबोटिक सर्जरी का इस्तेमाल करने लगे हैं। मरीजों के लिए भी ये रोबोट कई तरह से मददगार साबित हो रहे हैं। इस संबंध में विस्तार से बता रहे हैं सुरजीत दास गुप्ता
नयी दिल्ली, 16 जुलाई: ऑपरेशन टेबल से कुछ मीटर दूर बैठी हुईं सर्जन स्क्रीन के सामने टकटकी लगाई हुई हैं। वह एक 3डी स्क्रीन पर मरीज के शरीर के उस हिस्से को बारीकी से देख रही हैं जिसका ऑपरेशन किया जाने वाला है। रोबोटिक भुजाओं में लगे दो कैमरों के जरिये स्क्रीन पर तस्वीरें भेजी जा रही हैं। ये रोबोटिक भुजाएं एक छोटे चीरे में से होते हुए मरीज के शरीर में पहुंच सकती हैं। ये रोबोटिक भुजाएं सर्जन को कुछ उसी तरह की तस्वीरें भेज रही हैं जैसा सर्जन को ऑपरेशन करते समय बड़ा चीरा लगाने के बाद खुद नजर आता।
इन रोबोटिक भुजाओं में कई तरह के उपकरण लगे हुए हैं जिनका इस्तेमाल ऑपरेशन के दौरान कट लगाने, टांके लगाने और घाव को सिलने के लिए किया जाता है। सर्जन इन रोबोटिक भुजाओं को कंसोल पर लगे दो ज्वॉयस्टिक की मदद से नियंत्रित कर रही हैं। यह देखने में काफी कुछ गेमिंग मशीन की तरह लगता है। अच्छी बात यह है कि ये रोबोटिक उपकरण शरीर के अंदरूनी हिस्सों तक भी पहुंच सकते हैं जबकि किसी डॉक्टर के लिए ऐसा कर पाना काफी मुश्किल होता है। यह समूचा परिदृश्य रोबोटिक सर्जरी की उस दुनिया का है जो धीरे-धीरे भारतीय अस्पतालों में जोर पकड़ रही है। फिलहाल देश भर के अस्पतालों में 70 से अधिक रोबोटिक मशीनें लग चुकी हैं। अमेरिकी में एफडीए की मंजूरी मिलने के एक साल बाद जब भारत में पहली बार 2003 में ये मशीनें लाई गईं तो उनका इस्तेमाल केवल दिल की सर्जरी में मदद के लिए ही किया जाना था। लेकिन वह प्रयोग सफल नहीं हो पाया। उसके एक दशक बाद रोबोटिक सर्जरी एक बार फिर भारतीय चिकित्सा प्रतिष्ठानों की नजरों में चढ़ी है। अब इस तकनीक का इस्तेमाल मूत्रविज्ञान संबंधी सर्जरी, कई तरह के कैंसर, गर्भाशय हटाने और छाती एवं सीने के ऑपरेशन के अलावा मोटापा दूर करने वाले ऑपरेशन में भी बखूबी किया जा रहा है।
दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में रोबोटिक सर्जरी के निदेशक डॉ अरविंद कुमार कहते हैं, 'हम अपने अस्पताल में छाती की करीब 600 सर्जरी करते हैं जिनमें से एक चौथाई मामलों में रोबोटिक्स का इस्तेमाल हो रहा है। तमाम विभागों को मिलाकर हम साल भर में करीब 400 रोबोटिक ऑपरेशन कर रहे हैं।' मरीजों के लिए यह काफी अच्छी खबर है। परंपरागत सर्जरी में शरीर के बड़े हिस्से में चीरा लगाना पड़ता है लेकिन रोबोटिक सर्जरी में केवल तीन-चार छोटे चीरे लगाने की ही जरूरत पड़ती है जिससे मरीज तेजी से रिकवरी करता है और संक्रमण होने की आशंका भी कम रहती है।
हालांकि इसमें पेच यह है कि रोबोटिक सर्जरी की कीमत काफी अधिक है। आम लैप्रोस्कोपिक सर्जरी की तुलना में एक रोबोटिक सर्जरी की कीमत करीब 1-1.5 लाख रुपये बढ़ जाती है। इसके अलावा अधिकांश भारतीय बीमा कंपनियां रोबोटिक सर्जरी की वजह से बढ़े हुए ऑपरेशन बिल का बोझ उठाने के लिए तैयार भी नहीं हैं। रोबोटिक सर्जरी करने के पहले किसी भी सर्जन को रोबोटिक उपकरणों के इस्तेमाल का प्रशिक्षण लेना होता है। डॉ अरविंद कहते हैं कि सर्जरी की किसी भी विधा में सर्जन को रोबोटिक के इस्तेमाल का 2-10 दिनों का प्रशिक्षण लेना होता है। उसके बाद ही कोई सर्जन ऑपरेशन रूम में इन रोबोटिक उपकरणों का संचालन करने की दक्षता हासिल कर पाता है।
यह कहना बेमानी है कि सर्जरी की जटिलताओं को कम करने में रोबोटिक उपकरणों का इस्तेमाल काफी फायदेमंद हो सकता है। मोटापा कम करने के लिए की जाने वाली जटिल सर्जरी के मामले में तो यह बात और भी सही है। भाटिया ग्लोबल हॉस्पिटल ऐंड एंडोसर्जरी इंस्टीट्यूट के लैप्रोस्कोपिक एवं रोबोटिक सर्जन डॉ प्रवीण भाटिया कहते हैं, 'हम मोटापे से परेशान और 50 से अधिक बीएमआई वाले मरीजों के लिए बैरियाट्रिक सर्जरी का सुझाव देते हैं। यह अधिक सुरक्षित है, इसमें ठीक होने में समय भी कम लगता है और संक्रमण की आशंका भी काफी कम होती है। देश भर में सालाना होने वाली 12,000 बैरियाट्रिक सर्जरी में से 10 फीसदी सर्जरी में रोबोटिक्स का इस्तेमाल हो रहा है।'
लेकिन सर्जरी के सभी मामलों को एक साथ देखें तो रोबोटिक सर्जरी की हिस्सेदारी महज दो फीसदी ही है। रोबोटिक सर्जरी के महंगा होने की बुनियादी वजह यह है कि इस रोबोटिक उपकरण की कीमत ही करीब 12-15 करोड़ रुपये है। इसके अलावा एक रोबो उपकरण के सालाना रखरखाव पर ही करीब 1 करोड़ रुपये का बिल आता है। रोबोटिक सर्जरी में इस्तेमाल होने वाली अन्य सामान भी महंगे होते हैं। मैक्स हॉस्पिटल्स में मूत्रविज्ञान, गुर्दारोग एवं रोबोटिक्स विभाग के चेयरमैन डॉ अनंत कुमार कहते हैं, 'स्वाभाविक तौर पर अस्पताल रोबोटिक सर्जरी से संबंधित उपकरणों पर किए गए बड़े निवेश की वसूली करना चाहते हैं। हालांकि रोबोटिक सर्जरी से मरीज के अस्पताल में कम दिनों तक रहने से इलाज की राशि में अधिक बचत नहीं होती है लेकिन सर्जरी के दौरान दर्द कम होता है, घाव जल्दी ठीक होता है और सटीक ऑपरेशन होने से जटिलताएं भी कम आती हैं। यह बहुत बड़ा फायदा है।'
रोबोटिक सर्जरी की अधिक कीमत की एक वजह तो यह भी है कि अभी तक केवल अमेरिकी कंपनी इंट्यूशिव सर्जिकल ही 'द विंची' नाम वाले इन रोबोटिक मशीनों को बनाती है। इस क्षेत्र में कंपनी का एकाधिकार है। रोबोटिक भुजाओं में लगाए जाने वाले उपकरण भी ऊंची कीमत पर आते हैं। ये उपकरण करीब 3,000 डॉलर में मिलते हैं और 10 सर्जरी में इस्तेमाल होने के बाद उसमें लगा चिप इन्हें अयोग्य कर देता है। हरेक ऑपरेशन में 4-5 सहयोगी उपकरणों की जरूरत पड़ती है और उन पर 1200-1500 डॉलर की लागत आती है।
नए तकनीकी विकास से रोबोटिक सर्जरी इतना सटीक होने लगी है कि वह माहिर सर्जनों की सटीकता की भी बराबरी कर सकती है। डॉ अरविंद कुमार कहते हैं कि अब कंप्यूटर स्क्रीन पर टच की सुविधा भी मुहैया कराने की कोशिश की जा रही है। परंपरागत सर्जरी में ही सर्जन को मरीज के शरीर का अहसास होता है। इसके अलावा रोबोटिक मशीनें काफी हल्की होंगी और उन्हें कहीं भी ले जाना आसान होगा जिससे उनका इस्तेमाल भी सुविधाजनक हो जाएगा। रोबोटिक टेलीमेटिक्स जल्द ही एक हकीकत बन जाएगी जिसमें रोबोट को इंटरनेट की मदद से भी संचालित किया जा सकता है।
डॉ अरविंद कहते हैं, 'नई तकनीक आने के बाद यह संभव हो सकेगा कि दूर देश या शहर में बैठा हुआ सर्जन भी दूसरी जगह मौजूद मरीज का ऑपरेशन कर सके। लेकिन उसके लिए उच्च गति वाला ब्रॉडबैंड होना चाहिए ताकि तस्वीरें दिखने में किसी भी तरह की देरी न हो।' भारती एयरटेल जैसी दूरसंचार कंपनियों ने पहले से ही रोबोटिक सर्जरी में हाई स्पीड इंटरनेट की उपलब्धता को एक नए कारोबारी संभावना के तौर पर देखना शुरू कर दिया है। एयरटेल के मुख्य कार्याधिकारी सीईओ गोपाल विट्टïल कहते हैं कि 5जी सेवाएं शुरू किए जाने पर इस क्षेत्र पर उनका खास ध्यान रहेगा।
ऐसे संकेत हैं कि इंट्यूटिव सर्जिकल कंपनी रोबोटिक सर्जरी उपकरणों के बाजार में जल्द ही अपना एकाधिकार गंवा सकती है। दूसरी कंपनियों के बाजार में आने से इन रोबोटिक उपकरणों की कीमत में भी कमी आएगी। भाटिया बताते हैं कि इस बाजार में प्रवेश के लिए कई बड़ी कंपनियां आने की तैयारी में हैं। गूगल का मालिकाना हक रखने वाली कंपनी अल्फाबेट ने भी रोबोटिक सर्जरी में इस्तेमाल होने वाली मशीनों के निर्माण के लिए जॉनसन ऐंड जॉनसन के साथ करार किया है। चिकित्सा उपकरण बनाने वाली बड़ी कंपनियों एथिकॉन, वर्ब सर्जिकल और मेडट्रॉनिक्स के भी निकट भविष्य में रोबोटिक सर्जरी मशीनों का निर्माण शुरू करने की संभावना है। अगर रोबोटिक सर्जरी की प्रक्रिया अधिक किफायती हो जाती है तो अधिक से अधिक मरीज इस अत्याधुनिक उपकरण का इस्तेमाल करने को तरजीह देना शुरू कर देंगे।
(साभार- बी. एस.)
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