क्या हैं स्वामीनाथन सिफारिशें, जिन्हें लागू कराना चाहते हैं किसान
किसानों की मांग है कि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें जल्द से जल्द लागू की जाएं. सरकार ने वर्ष 2004 में स्वामीनाथन आयोग का गठन किया था लेकिन पिछले आठ सालों से इस रिपोर्ट को हाशिए पर सरकाया हुआ है.
नई दिल्ली, 01 जून: आठ राज्यों के किसान अपनी मांगों को लेकर दस दिनों की हड़ताल पर हैं. इस दौरान वो गांवों से शहरों में जाने वाले अनाज और सब्जियों की आपूर्ति रोक देंगे. किसानों की मांग है कि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें जल्द से जल्द लागू की जाएं. सरकार ने वर्ष 2004 में स्वामीनाथन आयोग का गठन किया था लेकिन पिछले आठ सालों से इस रिपोर्ट को हाशिए पर सरकाया हुआ है.
आइए जानते हैं कौन हैं प्रोफेसर स्वामीनाथन और क्या हैं उनकी सिफारिशें
प्रोफेसर एम एस स्वामीनाथन को भारत में हरित क्रांति का जनक माना जाता है. तमिलनाडु से ताल्लुक रखने वाले स्वामीनाथन पौधों के जेनेटिक वैज्ञानिक हैं.
उन्होंने 1966 में मैक्सिको के बीजों को पंजाब की घरेलू किस्मों के साथ मिश्रित करके उच्च उत्पादकता वाले गेहूं के संकर बीज विकिसित किए.
स्वामीनाथन की अध्यक्षता में नवंबर 2004 को राष्ट्रीय किसान आयोग बनाया गया. कमेटी ने अक्टूबर 2006 में अपनी रिपोर्ट दे दी. लेकिन इसे अब तक कहीं भी सही तरीके से लागू नहीं किया गया है.
दो सालों में इस कमेटी ने छह रिपोर्ट तैयार कीं. इसमें 'तेज और संयुक्त विकास' को लेकर सिफारिशें की गईं थी.
इन सिफारिशों में किसानों के हालात सुधारने से लेकर कृषि को बढ़ावा देने की सलाह दी गईं थीं. इन्हीं सिफारिशों को लागू करने की मांग को लेकर किसानों ने मंदसौर में हिंसक आंदोलन किया था.
महाराष्ट्र में भी मुंबई में धरने पर बैठने वाले किसानों की भी यही मांगें थीं. अब आठ राज्य के किसान भी यही चाहते हैं.
क्या ये सिफारिशें लागू कर दी गई हैं?
- नहीं, आमतौर पर ये सिफारिशें लागू नहीं की गईं हैं. हालांकि सरकारों का यही कहना है कि उन्होंने इसे लागू कर दिया है. लेकिन हकीकत ये है कि इसमें पूरे तरीके से क्रियान्वित नहीं किया गया है. इसलिए जगह जगह किसान आंदोलन की राह पकड़ रहे हैं.
क्या हैं आयोग की सिफारिशें
- फ़सल उत्पादन मूल्य से पचास प्रतिशत ज़्यादा दाम किसानों को मिले.
- किसानों को अच्छी क्वालिटी के बीज कम दामों में मुहैया कराए जाएं.
- गांवों में किसानों की मदद के लिए विलेज नॉलेज सेंटर या ज्ञान चौपाल बनाया जाए.
- महिला किसानों के लिए किसान क्रेडिट कार्ड जारी किए जाएं.
- किसानों के लिए कृषि जोखिम फंड बनाया जाए, ताकि प्राकृतिक आपदाओं के आने पर किसानों को मदद मिल सके.
- सरप्लस और इस्तेमाल नहीं हो रही ज़मीन के टुकड़ों का वितरण किया जाए.
- खेतीहर जमीन और वनभूमि को गैर-कृषि उद्देश्यों के लिए कॉरपोरेट को न दिया जाए.
- फसल बीमा की सुविधा पूरे देश में हर फसल के लिए मिले.
- खेती के लिए कर्ज की व्यवस्था हर गरीब और जरूरतमंद तक पहुंचे.
- सरकार की मदद से किसानों को दिए जाने वाले कर्ज पर ब्याज दर कम करके चार फीसदी किया जाए.
- कर्ज की वसूली में राहत, प्राकृतिक आपदा या संकट से जूझ रहे इलाकों में ब्याज से राहत हालात सामान्य होने तक जारी रहे.
- लगातार प्राकृतिक आपदाओं की सूरत में किसान को मदद पहुंचाने के लिए एक एग्रिकल्चर रिस्क फंड का गठन किया जाए.
(साभार- न्यूज़-18)
संपादक- स्वतंत्र भारत न्यूज़
swatantrabharatnews.com