
सीमेंस और एल्सटॉम ने वर्ष 2022 में दाहोद कारखाने की बोली में भाग लिया, दोनों कंपनियां 9000 हॉर्स पावर लोकोमोटिव बनाने में सक्षम हैं; सीमेंस को यह निविदा मिली क्योंकि यह अत्यधिक प्रतिस्पर्धी मूल्य के साथ सबसे कम बोली लगाने वाला रहा: रेल मंत्रालय
*तकनीकी और वित्तीय विशेषज्ञों की टीम ने भारतीय रेलवे द्वारा हमेशा अपनाई गई पारदर्शी प्रक्रियाओं के अनुरूप बोली का मूल्यांकन किया
*दाहोद लोकोमोटिव के 89 प्रतिशत से अधिक कलपुर्जे भारत में बने हैं; परियोजना ने स्वदेशी विनिर्माण और भारतीय रेलवे के 'मेक इन इंडिया' विजन को बढ़ाया है
नई दिल्ली (PIB): यह कुछ सवालों के बारे में है, जो वर्ष 2022 की बोली प्रक्रिया पर उठाए जा रहे हैं, जिसमें दाहोद में लोकोमोटिव का निर्माण शामिल है।
इस संबंध में तथ्य निम्नलिखित हैं-
पारदर्शी निविदा प्रक्रिया: 9,000 हॉर्स पावर इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव के निर्माण और रखरखाव के लिए निविदा पारदर्शी तरीके से निष्पादित की गई। दुनिया भर में दो इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव निर्माता हैं जिनके पास 9000 हॉर्स पावर इलेक्ट्रिक इंजनों को डिजाइन और निर्माण करने की क्षमता है - एल्सटॉम और सीमेंस - दोनों ने निविदा में भाग लिया।
मूल्यांकन प्रक्रिया: निविदा का मूल्यांकन तकनीकी और वित्तीय विशेषज्ञों की एक टीम द्वारा किया गया, जो भारतीय रेलवे द्वारा हमेशा अपनाई जाने वाली प्रक्रियाओं के अनुरूप है।
तकनीकी मूल्यांकन में, एल्सटॉम और सीमेंस दोनों को समान स्थान मिला। वित्तीय बोली में, सबसे कम कीमत वाली बोली लगाने वाले को अनुबंध दिया गया।
पारदर्शी मूल्य निर्धारण: इस पारदर्शी पद्धति से प्राप्त मूल्य अत्यधिक प्रतिस्पर्धी थे। अनुबंध निविदा दस्तावेजों के अनुसार थे। निविदा शर्तों में कोई बदलाव नहीं किया गया था।
पेशेवर मूल्यांकन, हितों का कोई टकराव नहीं: पूरी निविदा प्रक्रिया को उन अधिकारियों की टीमों द्वारा निष्पादित किया गया जो नियमों के अनुसार ऐसे मामलों को निष्पादन के लिए तकनीकी और वित्तीय रूप से सक्षम हैं। हितों के टकराव का कोई सवाल ही नहीं है क्योंकि प्रक्रिया उन नियमों और प्रक्रियाओं के अनुसार अपनाई गई थी जिनका भारतीय रेलवे हमेशा से पालन करता रहा है। निविदा मूल्यांकन प्रक्रिया में रेल मंत्री की कोई भूमिका नहीं है। वर्ष 2016 के बाद से, रेल मंत्रियों ने निविदाओं को मंजूरी देना बंद कर दिया है। सभी स्वीकृतियां अधिकार प्राप्त रेलवे बोर्ड के सदस्यों और क्षेत्रीय इकाइयों द्वारा संभाली जाती हैं, जिससे पूरी तरह से संस्थागत पारदर्शिता, तटस्थता और शक्ति का हस्तांतरण सुनिश्चित होता है। इसके अलावा, सीमेंस और एल्सटॉम दोनों कंपनियां कई दशकों से भारतीय रेलवे के साथ काम कर रही हैं।
विश्वसनीयता आधारित गारंटी समझौते: पिछले दो दशकों से भारतीय रेलवे लागत आधारित खरीद की ओर अग्रसर है, ताकि उत्पादों की विश्वसनीयता बढ़े और यात्रियों की सुरक्षा बढ़े।
घटक निर्माण: वर्तमान विनिर्माण प्रक्रिया के अनुसार, दाहोद लोकोमोटिव के निर्माण में उपयोग किए जाने वाले लगभग 89 प्रतिशत कलपुर्जे भारत में बनाए जाते हैं। भारत में रेलवे के कलपुर्जों का विनिर्माण आधारित इको-सिस्टम तेजी से विकसित हो रहा है। लोकोमोटिव एक बहुत ही जटिल मशीन है और इसके कलपुर्जे भी उतने ही जटिल होते हैं। इनका निर्माण भारत में विभिन्न स्थानों पर किया जाता है और विभिन्न लोकोमोटिव निर्माताओं को आपूर्ति की जाती है। दुनिया के बहुत कम देश कलपुर्जों के विनिर्माण के उस स्तर का दावा कर सकते हैं जिसे भारत पिछले दशक में विनिर्माण की प्रगति के कारण हासिल करने में सक्षम है।
रखरखाव: दाहोद में निर्मित इंजनों का रखरखाव चार डिपो - विशाखापत्तनम, रायपुर, खड़गपुर और पुणे में किया जाएगा।
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