अपने खिलाफ केस में कोई कैसे हो सकता है जज? जस्टिस चेलामेश्वर बोले-शायद अब बदल गए कानून
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव की मंजूरी के लिए कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई है. सोमवार को जस्टिस जे चेलमेश्वर की अदालत में याचिका दाखिल की है.
नई दिल्ली, 07 मई: चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर सुनवाई करते हुए जस्टिस चेलामेश्वर ने सोमवार को कहा कि अपने खिलाफ दायर मुकदमे में कोई भी खुद जज नहीं हो यह कानून हाल के कुछ महीनों में शायद बदल गया है.
आपको बता दें कि चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव की मंजूरी के लिए कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई है. जस्टिस जे चेलमेश्वर की अदालत में सोमवार को यह याचिका दाखिल की गई. जस्टिस चेलमेश्वर ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि मामले को सुना जाए या नहीं, इस पर कोर्ट मंगलवार को विचार करेगा. चीफ जस्टिस के खिलाफ जस्टिस चेलमेश्वर ने ही मोर्चा खोला था. ऐसे में अब ये मामला खासा दिलचस्प हो गया है.
सुप्रीम कोर्ट में सिब्बल ने कहा, ''जब याचिका खुद मास्टर ऑफ रोस्टर के खिलाफ हो तो वो ये तय नहीं कर सकते कि इस मामले को कैसे और कौन सी बेंच सुनेगी. इस देश में कानून ये है कि कोई भी अपने ही गलतियों का जज नहीं हो सकता है." जस्टिस चेलामेश्वर ने कपिल सिब्बल को जवाब देते हुए कहा, ''जिस कानून की बात कर रहे हैं उसमें हाल के महीनों में काफी बदलाव आए हैं.'
आपको बता दें कि कांग्रेस समेत 7 राजनीतिक पार्टियां चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ राज्यसभा में महाभियोग का प्रस्ताव लेकर आई थीं, जिसे राज्यसभा के चेयरमैन वेंकैया नायडू ने खारिज कर दिया था. ऐसे में कपिल सिब्बल और प्रशांत भूषण चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव की मंजूरी के लिए सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस चेलमेश्वर के पास पहुंचे हैं.
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सिब्बल ने कहा कि चीफ जस्टिस के खिलाफ लाए गए महाभियोग के प्रस्ताव को खारिज करने का उपराष्ट्रपति का फैसला तर्कसंगत नहीं है.
CJI पर महाभियोग लाने के लिए विपक्ष ने दिए थे ये तर्क
-विपक्ष ने सीजेआई के खिलाफ पहला आरोप खराब आचरण का लगाया. कांग्रेस का आरोप है कि सीजेआई दीपक मिश्रा का व्यवहार उनके पद के मुताबिक नहीं है.
-विपक्ष ने सीजेआई पर दूसरा आरोप प्रसाद एजुकेशन ट्रस्ट से फायदा उठाने का लगाया.
-विपक्ष ने सीजेआई दीपक मिश्रा पर सुप्रीम कोर्ट के रोस्टर में मनमाने तरीके से बदलाव करने का आरोप लगाया. विपक्ष का कहना है कि सीजेआई ने कई अहम केसों को दूसरे बेंच से बिना कोई वाजिब कारण बताए दूसरे बेंच में शिफ्ट कर दिया.
-विपक्ष ने सीजेआई दीपक मिश्रा पर अहम केसों के बंटवारे में भेदभाव का आरोप भी लगाया . दरअसल, सीबीआई स्पेशल कोर्ट के जज बीएच लोया का केस सीजेआई ने सीनियर जजों के होते हुए जूनियर जज अरुण मिश्रा की बेंच को दे दिया था.
(साभार- न्यूज़-18)
संपादक- स्वतंत्र भारत न्यूज़
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