समानता का पाठ: जब दलित युवक को कंधों पर बिठाकर मंदिर ले गया पुजारी
यह परंपरा करीब 3,000 साल पुरानी बताई जाती है, जिसे 'मुनि वाहन सेवा' के नाम से जाना जाता है. इसी प्रथा के तहत जयकारों और वैदिक मंत्रों के उच्चारणों के बीच पुजारी रंगराजन अपने कंधे पर आदित्य को उठाकर मंदिर के गर्भगृह ले गए और भगवान बालाजी के दर्शन करवाए.
हैदराबाद , 18 अप्रैल: हैदराबाद स्थित श्री रंगनाथ मंदिर के पुजारी ने लोगों को समानता का पाठ पढ़ाने के लिए एक दलित युवक को अपने कंधों पर बिठाकर मंदिर लेकर गए. पुजारी सीएस रंगराजन ने मंदिर के गर्भगृह में पहुंचकर आदित्य पारासरी नाम के इस दलित को गले भी लगाया.
यह परंपरा करीब 3,000 साल पुरानी बताई जाती है, जिसे 'मुनि वाहन सेवा' के नाम से जाना जाता है. इसी प्रथा के तहत सोमवार को जयकारों और वैदिक मंत्रों के उच्चारणों के बीच पुजारी रंगराजन अपने कंधे पर आदित्य को उठाकर मंदिर के गर्भगृह ले गए और भगवान बालाजी के दर्शन करवाए.
समाज में बराबरी का संदेश देना था मकसद
रंगराजन ने इस बारे में बताया, 'यह 2700 साल पुरानी एक घटना को दोहराने जैसा है. इस परंपरा को सनातन धर्म का असली संदेश पहुंचाने और समाज में बराबरी का संदेश के लिए निभाया जाता है.' उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में कई लोग अपने स्वार्थों के चलते देश का माहौल खराब कर रहे हैं.
वहीं जब रंजराजन से पूछा गया कि उन्हें दलित युवक को कंधे पर उठाने का विचार कहां से आया तो उन्होंने कहा, 'जनवरी महीने में मैं उस्मानिया विश्वविद्यालय में आयोजित एक सम्मेलन में गया था, जहां इस बात की चर्चा की गई कि किस तरह पिछड़ी जातियों के लोगों को मंदिर में घुसने नहीं दिया जाता. तभी मुझे इसका खयाल आया.'
'कभी अपने शहर के मंदिर भी नहीं जा पाता था'
वहीं आदित्य पारासरी ने बताया कि उन्हें अपने गृह नगर महबूबनगर में ही हनुमान मंदिर में घुसने नहीं दिया गया था. वह कहते हैं, 'दलित होने की वजह से मेरा परिवार इस घटना से उत्पीड़ित और अपमानित महसूस कर रहा था. कई मंदिरों में अब भी यह सब जारी है, लेकिन मुझे उम्मीद है कि यह बदलाव की शुरुआत है. इससे लोगों की मानसिकता बदलेगी.'
(साभार- न्यूज़ 18)
संपादक- स्वतंत्र भारत न्यूज़
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