3 दिन में खजाने का तीन - तेरह !
लखनऊ, (उत्तर प्रदेश): 3 दिन की छुट्टियों में सरकारी खजाने से अधिक से अधिक खर्च करने की गरज से 2 दिन कोषागार और बैंक की शाखाएं सरकार के लिए खुले रहे।
आज रात 8 बजे तक यह खेल जारी रहेगा।
बता दें कि, सरकार के अधिकतर विभागों ने 11 महीने तक बजट का 70 फीसदी से अधिक खर्च नहीं किया। इसके आंकड़े कोषवाणी में देखे जा सकते हैं और लखनऊ से छपने वाले एक हिंदी दैनिक ने पूरा व्योरा 20 दिन पहले छापा भी था।
विधानसभा सत्र के दौरान बजट चर्चा में नेता विपक्ष ने भी कहा था कि, जब 2017-18 का स्वीकृत बजट खर्च नहीं कर पाए तो नया लाने की जरूरत क्या थी?
जिसके जवाब में मुख्यमंत्री ने अपनी आक्रामक शैली में अपनी पीठ अपने ही हाथों थपथपाते हुए एक बडबोला शेर सुनाकर विपक्ष के आंकड़ों को झूठा करार देने का कुत्सित प्रयास किया था।
मुख्य मंत्री - योगी ने तो मर्यादा की सभी सीमाओं को दरकिनार कर पुरानी सरकार पर आरोपों की बौछार के साथ "समाजवाद" की खिल्ली उड़ाते हुए संविधान की मर्यादाओं को भी दरकिनार कर अपने आंकड़ों का ककहरा पढ़ा।
"समाजवाद" पर योगी के प्रस्तुत विचार से आहत लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के उत्तर प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष- सच्चिदा नन्द श्रीवास्तव ने कहा कि, "योगी जी जब "योगी" की परिभाषा नहीं जानते हैं, तो "समाजवाद" की परिभाषा कैसे जान सकते हैं.
श्रीवास्तव ने कहा कि, आज इस प्रदेश ही नहीं देश का भी दुर्भाग्य है कि, आज उन्ही विदेशी कंपनियों के चंदे से ऐश करने वाले लोग और रेड कारपेट के हिमायती जनता का खून चूस - चूस कर अपने को देशभक्त और राष्ट्रवादी कहते हैं. आज के समय में "समाजवाद" ही प्रासंगिक है. विवेकानंद के भी विचारों पर यदि सरकार चलती और अपने प्रदेश और "देश की राष्ट्र-भाषा- हिंदी" में ही सारे कार्य करती तो शायद राष्ट्रवाद का प्रारम्भ हो जाता। योगी जी को मुख्य मंत्री के रूप में सभी विचारधाराओं का सम्मान करना चाहिए। वे केवल भा.ज.पा. के मुख्यमंत्री नहीं हैं, बल्कि, पूरे प्रदेश की जनता के मुख्य मंत्री हैं, जहा विविधता रहते हुए भी एकता है।
श्रीवास्तव ने कहा कि, गोरखपुर के उपचुनाव ने साबित कर दिया है कि "काठ की हांडी बार- बार नहीं चढ़ती"
उत्तर प्रदेश की जनता बहुत जागरूक है, बड़बोलेपन से कोई महान नहीं बनता।"
हां , विधायकों को खुश करने के लिए जीएसटी मुक्त विधायक निधि 2 करोड़ कर देने के साथ 10 लाख तक के कामों पर ई-टेंडरिंग खत्म कर दी गई | विधायकों को 100 हैंडपंप भी दिए गये।
यहां बताते चलें कि आधे से अधिक विधायकों ने अपनी विधायक निधि का आधा पैसा भी नहीं खर्च किया है | इनमें भी सत्ता पक्ष के कई विधायकों ने एक भी पैसा खर्च नहीं किया। विधायकों से भी गयागुजरा हाल भाजपा के सांसदों का है जो न अपनी निधि खर्च कर पाए और न ही गोद लिए हुए गाँवों में कोई पहल | और तो और राजधानी लखनऊ के विधायकों , दोनों सांसदों का भी कमोबेश यही हाल है।
गौरतलब बजट का काफी बड़ा हिस्सा मार्च के अंतिम सप्ताह खर्च करने की सनातन परम्परा है, लेकिन इन तीन दिनों में खर्च होने वाले धन की जांच के साथ 10 लाख तक के कामो की संख्या व कुल खर्च की गई रकम की जांच की जायेगी ?-
खेल तो और भी हो रहे हैं , किसानों की ऋण माफी से लेकर मुख्यमंत्री के कार्यक्रमों तक , कौन करेगा इस भ्रष्टाचार की जांच?-
हालांकि शसन ने पहली बार गाइड लाइन जारी करते हुए अगले वित्तीय वर्ष में पहले दिन से ही विभागों को खर्च के लिए बजट उपलब्धता के इंतजाम का दावा किया है।
तो क्या अब समय से कर्मचारियों को तनख्वाहें मिलने लगेंगी ? जिन विभागों,निगमों में 3-6 महीनों से तनख्वाहें नही मिली हैं, उन्हें क्या समय से भुगतान होगा?-
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