लखनऊ स्मार्ट सिटी में लागू नहीं होता ट्रैफिक रूल !
लखनऊ ट्रैफिक पुलिस कुर्सी पर बैठ कर वसूली में ब्यस्त- स्मार्ट सिटी में लोगों का सड़कों पर चलना हुआ दुभर.
ट्रैफिक कार्यालय से ट्रैफिक पुलिस की ड्यूटी लगाने में जहां सांठगांठ की शिकायत मिल रही हैं, वहीं भारी वाहनों को पैसे लेकर छोड़ने की शिकायत मिल रही हैं। ऐसे में यदि जांच की जाय तो कई पुलिसकर्मी पर जल्द गाज भी गिर सकती है।
लखनऊ सिटी को स्मार्ट सिटी बनाने और इसे बिकसित करने के नाम पर प्रतिवर्ष करोड़ों रूपये का घोटाला सुनने में आता है, कहीं सड़क घोटाला, कहीं गड्ढा घोटाला, कहीं जल तो कहीं बिजली, तो कहीं पेपर लीक और अब तो बैंक घोटाला भी, मतलब कि, आम आदमी केवल और केवल घोटालों का शिकार हो रहा है!!!
लखनऊ, उ.प्र.: हम आज उत्तर प्रदेश की राजधानी- लखनऊ के सबसे महत्वपूर्ण सड़क और चौराहे तथा उनसे गुजरते आम लोगों की परेशानी से आप को और प्रशासन को रूबरू कराने जा रहे हैं.
उत्तर प्रदेश की राजधानी - लखनऊ स्मार्ट सिटी के आम लोगों की बात करें तो लोग बड़े त्रस्त दिखे. आज जब हमारे प्रतिनिधि ने स्मार्ट सिटी - लखनऊ में एयरपोर्ट से अवध चौराहा, VIP रोड, स्टेशन रोड, बांसमंडी चौराहा, हुसैनगंज चौराहा, विधान सभा मार्ग, परिवर्तन चौक, आई. टी. और पुरनिया चौराहा होते हुए इंजीनिरिंग कालेज तक गया और आया तो इक्का - दुक्का चौराहे को छोड़कर किसी भी चौराहे पर ट्रैफिक पुलिस चौराहे पर कड़ी होकर यातायात को नियंत्रित करते नहीं दिखी. लोग भीड़ में किसी तरह चौराहा पार करते दिखे. अवध चौराह, आई टी चौराहा, और कुछ चौराहों पर तो यदि यह कहा जाय कि, "भेड़िया धसान" की हालत है, तो अतिश्योक्ति नहीं होगी.
फाइल फोटो
चारबाग़ रेलवे स्टेशन रोड और चौराहे पर तो उत्तर प्रदेश राज्य परिवहन निगम कि बसों और सुबिधा शुल्क देकर खड़े थ्री व्हीलर्स ने तो रास्ता ही बंद कर दिया है, या तो लोग पैदल जांय, या घंटों खड़े रहें. हालत यह कि, कितने लोग ट्रेन और बस पकड़ने के लिए दौड़ते नज़र आये.
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लखनऊ ट्रैफिक नियंत्रण पर लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष- सच्चिदा नन्द श्रीवास्तव ने आप बीती कुछ इस प्रकार बतायी_____
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लो.स.पा. के प्रदेश अध्यक्ष- श्रीवास्तव ने कहा कि, रोज नयी- नयी योजनाएं घोषित होती हैं, सड़के खोदी जाती हैं, बनायी जाती है, फिर चाँद दिनों या महीने भर बाद खोद दी जाती है. जिससे आम लोग जो रोज़गार या नौकरी के लिये अपने गंतव्य पर पहुँचना चाहते हैं या ट्रेन - बस पकड़ना चाहते हैं, उनको स्मार्ट सिटी - लखनऊ में सड़क पर चला और बिशेषकर चौराहे को पार करना बड़ा ही मुश्किल हो गया है.
श्रीवास्तव ने बताया कि, वे प्रतिदिन इंद्रलोक कालोनी, कानपूर रोड से हुसैन गंज स्थित अपने प्रदेश कार्यालय आते और जाते हैं तो बड़े ही परेशानियों का सामना करना पड़ता है. कानपुर रोड के अवध चौराहे पर तो ट्रैफिक पुलिस केवल वसूली में जुटी रहती है और VIP रोड- रेलवे अस्पताल वाले चौराहे पर तो ट्रैफिक पुलिस कुर्सी डाल कर बैठे, पर्ची काटते, या आराम करते दिखाई देते हैं, VIP रोड पर स्थित पकड़ी पल चौराहे पर और अवध चौराहे पर तो यदि कोई ट्रैफिक पुलिस खड़ा दिख गया तो वह स्वयं ट्रैफिक लाइट का उलंघन कराते और लाल बत्ती पर जाने का इशारा करते दीखता है. कई बार हमने टोका भी है. हाँ, जैसे ही उन्हें किसी VIP के आने कि खबर मिलती है, मालूम नहीं कहा से ट्रैफिक और यू. पी. पुलिस एकदम से आ जाती है, और उनके जाने का रास्ता बना देती है, और काफिला गुजरने के बाद फिर वही हालात.
यदि ट्रैफिक पुलिस जहां ट्रैफिक लाइट लगी है, उसका पालन कराये, चौराहे पर खड़े होकर ट्रैफिक का नियंत्रण करें तो लखनऊ के लोग बहुत ही तहजीब पसंद हैं, जाम से छुटकारा मिल जाता.
श्रीवास्तव ने ट्रैफिक पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा कि, उन्हें नाम नहीं बताने कि शर्त पर ट्रैफिक कार्यालय से ट्रैफिक पुलिस की ड्यूटी लगाने में जहां सांठगांठ के आरोप लगने की शिकायत मिल रही हैं, वहीं भारी वाहनों को पैसे लेकर छोड़ने की भी शिकायत मिल रही हैं। ऐसे में यदि प्रशासन जांच करे तो कई पुलिसकर्मी पर जल्द गाज भी गिर सकती है।
हम आशा करते हैं कि, ट्रैफिक पुलिस के मुखिया इस पर ध्यान देंगे और ट्रैफिक पुलिस को केवल और केवल चौराहे पर खड़े होकर पहले कि तरह यातायात नियंत्रित करने और ट्रैफिक पुलिस इंस्पेक्टर को यातायात नियमों का उलंघन करने वालों का चालान काटने पर लगाएंगे तथा आरोपों कि जांच कराएंगे तो, लखनऊ के लोगों और यहां आने- जाने वाले लोगों को जैम से राहत मिलती तथा ट्रैफिक पुलिस और लखनऊ की क्षवि भी सुधरती.
कभी- कभी ट्रैफिक पुलिस के अधिकारियों को भी सादे कपडे में बिना बताये प्राइवेट वाहन से चैराहों कि स्थिति का जायजा लेना चाहिए.
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