
सावन मनभावन: साहित्य और संवेदना की हरियाली में भीगते मौसम
सावन केवल एक सीज़न नहीं है, बल्कि भारतीय जीवन, साहित्य और संस्कृति में एक गहरी आध्यात्मिक भावना है।
यह मौसम न केवल धरती को हरा करता है, बल्कि मन को भी तर करता है।
लोकगीतों, झूलों, तीजों और कविताओं के माध्यम से सावन की अभिव्यक्ति, प्रेम की प्रतीक्षा और विरह की पीड़ा का स्वर बन जाता है।
साज़िशों ने इसे कभी श्रृंगार में, कभी विरह में, तो कभी प्रकृति के प्रतीक के रूप में देखा है। लेकिन आज के आधुनिक मन सावन का केवल एक ही संस्करण है, ऐसा महसूस नहीं होता। यह पुस्तक सावन के सांस्कृतिक, वैज्ञानिक और शास्त्रीय दृष्टिकोण को दर्शाती है, जिसमें हमें याद दिलाया गया है कि शरीर से नहीं, आत्मा से भी जाना जाता है।
सावन हमें सिखाया जाता है - प्रकृति से जुड़ो, झाँको के अंदर, और संवेदना को जियो।
-:डॉ. सत्यवान 'सौरभ':-
बड़वा (सिवनी), हरियाणा: सावन के आगमन पर आज प्रस्तुत है, हरियाणा के माने - जाने कवि, स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार, आकाशवाणी एवं टीवी पेनलिस्ट - सत्यवान 'सौरभ' की विशेष प्रस्तुति, जिसका शीर्षक है - "सावन मनभावन: साहित्य और संवेदना की हरियाली में भीगते मौसम"।
"सावन मनभावन: साहित्य और संवेदना की हरियाली में भीगते मौसम":










जब भी बादल बजाओ, मोबाइल मत उठाओ, खिड़की खोलो।
और मन करे तो एक पुराना गीत गा लें -
"कभी तो मिलना आओ सावन के गीत..."
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