राज्य सभा के 264वें सत्र के समापन पर सभापति का संबोधन: उप राष्ट्रपति सचिवालय
नई दिल्ली (PIB): उप राष्ट्रपति सचिवालय ने "राज्य सभा के 264वें सत्र के समापन पर सभापति का संबोधन" जारी किया।
"राज्य सभा के 264वें सत्र के समापन पर सभापति का संबोधन":
माननीय सदस्यगण,
हम राज्य सभा के 264वें सत्र के समापन पर आ गए हैं। इस सत्र की शुरुआत संसद के दोनों सदनों में राष्ट्रपति के अभिभाषण से हुई, यह एक ऐसी महत्वपूर्ण परंपरा है, जिसने सरकार के एजेंडे की रूपरेखा प्रस्तुत की।
हमने माननीय प्रधानमंत्री को छह दशकों के बाद लगातार तीसरी बार भारत के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद अपने मंत्रिपरिषद का परिचय कराते हुए देखा है।
राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव में 76 सदस्यों की 21 घंटे से अधिक समय तक सक्रिय भागीदारी देखी गई। सदन ने 19 नवनिर्वाचित सदस्यों द्वारा दिए गए पहले भाषण भी सुने।
माननीय प्रधानमंत्री ने बहस में भाग लेते हुए एक जीवंत भाषण दिया।
स्थगन के कारण 43 मिनट के नुकसान के बावजूद, भोजनावकाश के दौरान चर्चा जारी रखने और निर्धारित समय से परे कार्यवाही करने से समय की भरपाई हुई। जिसके कारण कुल मिलाकर कार्य अवधि निर्धारित समय से तीन घंटे अधिक बढ़ गई, और इस प्रकार कार्यकुशलता 100 प्रतिशत से भी अधिक ऱही।
जबकि सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों पक्षों के सदस्यों ने सक्रिय रूप से चर्चा में भाग लिया, मुझे कार्यवाही में व्यवधानों के बारे में कुछ कठोर टिप्पणियाँ करने के लिए मजबूर होना पड़ा। विशेष रूप से अनुभवी सदस्यों को गैर-जिम्मेदाराना तरीके से व्यवहार करते देखना बहुत निराशाजनक था। मैं दोहराना चाहूंगा कि व्यवधान न केवल निर्धारित सदन की कार्यवाही को बाधित करता है बल्कि इस प्रतिष्ठित सदन की गरिमा को भी ठेस पहुंचाता है।
यह देखना बेहद दुखद था कि विपक्ष के नेता भी सदन के 'वेल' में आ गए जो संसदीय आचरण और मर्यादा का अपमान था।
मैं सदन के सदस्यों से अनुकरणीय आचरण प्रस्तुत करने की अपेक्षा करता हूं ताकि यह सदन विचार-विमर्श, चर्चा, संवाद और बहस का स्थान बन जाए।
आज उनका वॉकआउट बेहद दुखद था। यह एक ऐतिहासिक अवसर था। छह दशकों के बाद लगातार प्रधानमंत्री के नेतृत्व में सरकार अपने तीसरे कार्यकाल में है।
वे अपने संवैधानिक दायित्व से दूर चले गए, जिससे एक ऐसी खतरनाक मिसाल कायम हुई है, जो लोकतांत्रिक मूल्यों के विपरीत है।
मैं माननीय उपसभापति श्री हरिवंश जी का हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ, जिन्होंने हर मौके पर मुझे शक्ति प्रदान की है तथा सदन की कार्यवाही में अपने विवेकपूर्ण परामर्श से मेरा मार्गदर्शन किया है और सचिवालय में अभिनव कदम उठाए हैं।
उपसभापति ने पैनल के सदस्यों को भी सदन की कार्यवाही के संचालन में सहायता करने के लिए धन्यवाद दिया। इनमें से 50 प्रतिशत इस सदन की महिला सदस्य हैं।
मैं सदन के नेता, विपक्ष के नेता, विभिन्न दलों के नेताओं और सभी सदस्यों के प्रति उनके सहयोग के लिए आभार व्यक्त करता हूं।
मैं इस सत्र के दौरान कार्यवाही के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने के लिए महासचिव और उनके समर्पित अधिकारियों एवं कर्मचारियों की टीम के अथक प्रयासों की भी सराहना करता हूं।
धन्यवाद।
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