दूरसंचार इंजीनियरिंग केंद्र और अमृता विश्वविद्यालय ने विश्वसनीय और जिम्मेदार कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रणालियों के क्षेत्र में सहयोग के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए
इस सहयोग का उद्देश्य पक्षपात की आशंका का व्यवस्थित रूप से आकलन करने के लिए उपकरण विकसित करना और एआई प्रौद्योगिकियों की निष्पक्षता और विश्वसनीयता के मूल्यांकन और इसे प्रमाणित करने के लिए एक मजबूत संरचना का निर्माण करना है।
यह समझौता ज्ञापन शिक्षा जगत और सरकारी निकायों के बीच की दूरी को कम करने, सश्रम अनुसंधान को प्रोत्साहित करने और एआई में भारत की नेतृत्व क्षमता में योगदान प्रदान करने का कार्य करता है।
नई-दिल्ली (PIB): विश्वसनीय और जिम्मेदार कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रणाली के क्षेत्र में नवाचार को आगे बढ़ाने के लिए भारत सरकार के संचार मंत्रालय, दूरसंचार विभाग (डीओटी) की तकनीकी शाखा दूरसंचार इंजीनियरिंग केंद्र (टीईसी) और अमृता विश्वविद्यालय के बीच आज (दिनांक 14 अप्रैल 2024 को) एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए।
रिस्पॉन्सिबल एआई में अग्रणी विकास के लिए इनकी प्रतिबद्धता को दर्शाते हुए यह सहयोग विशेष रूप से भारत सरकार के उद्देश्यों के अनुरूप निष्पक्षता मूल्यांकन को बढ़ावा देने पर केंद्रित है। साथ ही एआई सिस्टम में पूर्वाग्रह या पक्षपात पर ध्यान देने और इन प्रौद्योगिकियों में जनता के विश्वास को बढ़ावा देने पर आधारित है।
रिस्पॉन्सिबल एआई का एक महत्वपूर्ण पहलू निष्पक्ष और निष्पक्ष एआई/एमएल सिस्टम सुनिश्चित करना है। दूरसंचार अभियांत्रिकी केंद्र (टीईसी) ने एआई में सार्वजनिक विश्वास बनाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम के निष्पक्षता मूल्यांकन और रेटिंग के लिए एक मानक जारी किया है, जिसे हितधारकों के साथ व्यापक परामर्श के बाद विकसित किया गया है।
इस सहयोग का उद्देश्य पक्षपात की आशंका का व्यवस्थित रूप से आकलन करने के लिए उपकरण विकसित करना और एआई प्रौद्योगिकियों की निष्पक्षता और विश्वसनीयता के मूल्यांकन और इसे प्रमाणित करने के लिए एक मजबूत संरचना का निर्माण करना है।
दूरसंचार अभियांत्रिकी केंद्र (टीईसी) की वरिष्ठ उप महानिदेशक श्रीमती तृप्ति सक्सेना ने एआई सिस्टम की निष्पक्षता मूल्यांकन और रेटिंग के लिए समाधान की क्षमता पर प्रकाश डाला। यह समझौता ज्ञापन शिक्षा जगत और सरकारी निकायों के बीच की दूरी को मिटाने, सश्रम अनुसंधान को प्रोत्साहित करने और एआई में भारत की नेतृत्व क्षमता में योगदान प्रदान करने का कार्य करता है।
टीईसी के डीडीजी (सी एंड बी) अविनाश अग्रवाल और अमृता विश्वविद्यालय से ग्रेजुएट स्टडीज के डीन प्रोफेसर कृष्णाश्री अच्युतन ने इस पहल के लिए संयुक्त प्रतिबद्धता और रोडमैप को प्रोत्साहित करने हेतु समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए।
टीईसी देश में दूरसंचार और संबंधित आईसीटी क्षेत्र में मान्यता प्राप्त मानक निर्धारण संगठन (एसएसओ) के रूप में स्थापित है। यह भारतीय दूरसंचार नेटवर्क में दूरसंचार और संबंधित आईसीटी उपकरण, नेटवर्क, सिस्टम और सेवाओं के लिए मानक तैयार करता है। अमृता विश्व विद्यापीठम की स्थापना यूजीसी अधिनियम 1956 की धारा 3 के तहत की गई। अमृता विश्व विद्यापीठम बहु-परिसर, बहु-विषयक अनुसंधान विश्वविद्यालय है, जिसे भारत में शीर्ष अनुसंधान विश्वविद्यालयों में से एक माना गया है। इसे एनएएसी (नैक) द्वारा A++ रेटिंग के साथ प्रमाणित किया गया है।
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