आधार - पैन नहीं तो कटेगा 20 फीसदी वेतन
► सीबीडीटी के दिशानिर्देश इसी वित्त वर्ष से होंगे लागू
► कर योग्य वेतन वाले सभी कर्मचारी आएंगे दायरे में
नई-दिल्ली: केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के मुताबिक अगर आप नियोक्ता को अपना स्थायी खाता संख्या (पैन) या आधार देने में नाकाम रहते हैं तो आपके वेतन में से 20 फीसदी राशि कर के रूप में काट ली जाएगी।
यह नया नियम उन सभी कर्मचारियों पर लागू होगा जिनका वेतन कर योग्य है। यह नियम 16 जनवरी से लागू हो गया है। इसका मकसद स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) भुगतान और इस श्रेणी से होने वाली आय पर नजर रखना है। 2018-19 के दौरान कुल प्रत्यक्ष कर संग्रह में इसका हिस्सा 37 फीसदी था।
वेतन पर टीडीएस से जुड़े 86 पन्नों के परिपत्र में सीबीडीटी ने आय कर कानून की धारा 206एए के तहत कर्मचारियों के लिए पैन या 12 अंकों की आधार संख्या की जानकारी देना अनिवार्य कर दिया है। इस परिपत्र में कहा गया है, "कानून की धारा 206एए के तहत अगर कोई कर्मचारी कोई पैसा या राशि या आय प्राप्त करता है, जिस पर कर कटता है, तो उसके लिए पैन या आधार देना अनिवार्य है।" अगर कर्मचारी पैन या आधार की जानकारी देने में नाकाम रहता है तो उसे कर की ऊंची दर देनी होगी। आय कर प्रावधान में यह दर 20 फीसदी रखी गई है।
नियोक्ता को तीनों परिस्थितियों में कर की राशि तय करनी होगी और टीडीएस की ऊंची दर लागू करनी होगी। अलबत्ता, अगर कर्मचारी की आय कर सीमा से कम है तो उस पर कोई कर नहीं काटा जाएगा। जिन कर्मचारियों का वेतन कर योग्य सीमा से अधिक है, तो नियोक्ता लागू दरों के आधार पर औसत आय कर की गणना करेगा। तीन अलग-अलग परिस्थितियों में कर की गणना को स्पष्ट करते हुए परिपत्र में कहा गया है कि अगर गणना से निकाली गई दर 20 फीसदी से कम है तो कर कटौती 20 फीसदी की दर से की जाएगी।
इसी तरह अगर औसत दर 20 फीसदी से अधिक है तो कर औसत दर के हिसाब से काटा जाएगा। अगर ऊंची दर पर कर कटौती की जाती है तो कर्मचारी को 4 फीसदी की दर से स्वास्थ्य और शिक्षा उपकर नहीं देना होगा। सीबीडीटी का कहना है कि चूंकि कर रिटर्न भरते समय टीडीएस प्रमाणपत्र देने की जरूरत खत्म कर दी गई है, इसलिए पैन या आधार के अभाव में कर कटौती पर क्रेडिट देने में मुश्किल आ रही है। इसलिए नियोक्ताओं को सलाह दी गई है कि वे फॉर्म 24क्यू में उन सभी कर्मचारियों का सही पैन या आधार दें जिनके वेतन में कर कटौती की गई है।
मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान कर विभाग लगातार टीडीएस डिफॉल्ट, भुगतान में देरी, निजी और सरकारी क्षेत्र की कंपनियों द्वारा अनुपालन नहीं किए जाने से जुड़े मामले उठाता रहा है। उसने कर चोरी करने वालों का पता लगाने के लिए हर आकलन अधिकारी से 30 करदाताओं के आंकड़े खंगालने को कहा है। आयकर विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि हाल के दिनों में कई जटिल मामले सामने आए हैं। इसे देखते हुए टीडीएस से जुड़े नियमों को कारगर बनाने की जरूरत है। मौजूदा नियमों के मुताबिक अगर आप चालानए टीडीएस प्रमाणपत्र या अन्य दस्तावेजों में कर कटौती और संग्रह की गई राशि की जानकारी देने में नाकाम रहते हैं तो आपको 10 हजार रुपये जुर्माना देना होता है।
(साभार- बी. एस.)
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