अयोध्या भूमि विवाद प्रकरण: न्यायालय ने कहा विवादित स्थल मंदिर, मस्जिद के लिये वैकल्पिक स्थान दिया जाये.
नयी दिल्ली: भाषा ने बताया है की, उच्चतम न्यायालय ने शनिवार को अयोध्या में विवादित स्थल राम जन्मभूमि पर मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करते हुये केन्द्र सरकार को निर्देश दिया कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद के निर्माण के लिये पांच एकड़ भूमि आबंटित की जाये।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने भारतीय इतिहास की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण इस व्यवस्था के साथ ही करीब 130 साल से चले आ रहे इस संवेदनशील विवाद का पटाक्षेप कर दिया। इस विवाद ने देश के सामाजिक ताने बाने को तार तार कर दिया था।
शीर्ष अदालत ने कहा कि मस्जिद का निर्माण ष्प्रमुख स्थलष् पर किया जाना चाहिए और सरकार को उस स्थान पर मंदिर निर्माण के लिये तीन महीने के भीतर एक ट्रस्ट गठित करना चाहिए जिसके प्रति अधिकांश हिन्दुओं का मानना है कि भगवान राम का जन्म वहीं पर हुआ था।
इस स्थान पर 16वीं सदी की बाबरी मस्जिद थी जिसे कार सेवकों ने छह दिसंबरए 1992 को गिरा दिया था।
संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल थे।
पीठ ने कहा कि 2.77 एकड़ की विवादित भूमि का अधिकार राम लला की मूर्ति को सौंप दिया जाये। हालांकि इसका कब्जा केन्द्र सरकार के रिसीवर के पास ही रहेगा।
इस बीच, एक मुस्लिम पक्षकार के वकील जफरयाब जीलानी ने फैसले पर असंतोष व्यक्त करते हुये कहा कि फैसले का अध्ययन करने के बाद अगली रणनीति तैयार की जायेगी।
दूसरी ओर, निर्मोही अखाड़े ने कहा कि उसका दावा खारिज किये जाने का उसे कोई दु:ख नहीं है।
संविधान पीठ ने 2.77 एकड़ विवादित भूमि तीन पक्षकारों. सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला विराजमान. के बीच बराबर बराबर बांटने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सितंबर, 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपीलों पर 16 अक्टूबर को सुनवाई पूरी की थी।
(साभार- भाषा)
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