कॉरपोरेट जगत पर नवोदित लेखिका रूनझुन नुपुर की बुक - 'निर्वाणा'
मुंबई: 'निर्वाणा' नवोदित लेखिका रूनझुन नुपुर द्वारा लिखी एक बुक है, जो कि कॉरपोरेट जगत मे काम करने वाले एक आम आदमी के सच्चे सुकुन की तलाश की कहानी है।
कॉरपोरेट जगत की झूठे ग्लैमर और चकाचैंध भरी जिंदगी के पीछे छिपे स्याह काले सच से जब एक आम इंसान का सामना होता है तब उसे अपनी बड़ी नौकरी, मोटी तन्खवाह, ऊँचा नाम सब उसे बेईमानी और बनावटी लगनें लगता है। उसे महसूस होता है कि कॉरपोरेट जगत की सफलताये और ग्लैमर उसकी निराशा, तनाव और टेंशन दूर करने मे नाकामयाब है। यहाँ सारे रिश्ते झूठ और स्वार्थ पर टिकेे है, यहाँ हर चीज, हर इंसान के दो रूप हैं जो बाहर से देखने मे जितना सुन्दर, आकर्षक और लाभकारी है, हकीकत मे उतना ही घातक और बदसूरत है। अचानक एक अदृश्य आवाज नायक को ना केवल इस सच्चाई का अहसास कराती है। बल्कि उसे जिदंगी की सच्ची खुशियां दिलाने का वादा भी करती है। वो तलाश नायक को विचित्र मगर रोमांचक रास्ते पर चलने पर मजबूर कर देती है, एक रास्ता जो होकर गुजरता है कई जादुई आयामों से,जहाँ कुछ बोलते शीशे, बॉलीवुड जैसे सेट, शानदार पार्श्व संगीत और एक सनकी बाबा जो कोबेन से उतनी ही मोहब्बत करता है जितना अपने व्यंगों से, हमारे नायक को इस शानदार, विचित्र और मजेदार दुनिया से रूबरू करते हैं।
निर्वाणा आपको अपनी ही खुशी के बारे में अपनी हर भ्रान्ति से सवाल करने पर मजबूर कर देगी। निर्वाणा खुशी के सिद्धांतों को एक नया स्वरुप, एक नयी भाषा, एक बेहतर पहचान देती है। अगर आप जिन्दगी की भाग दौड़ से त्रस्त हैं, अगर आपकी भी खुशी की तलाश अधूरी है या फिर आप रोजमर्रा के तनाव को भुला कर कुछ पलों के लिए सिर्फ प्रसन्न होना चाहते हैं, तो निर्वाणा आपके लिए एकदम सटीक किताब है, क्यूंकि आपके लिए खुशियों का खजाना है निर्वाणा।
संजय शर्मा राज (P.R.O.)/ खज़ाना विज़न
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