पिछले 9 सालों में 2000 से अधिक अप्रचलित नियम-कानून समाप्त किए गए : केन्द्रीय मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह
डॉ. सिंह ने मुंबई में यशराज रिसर्च फाउंडेशन (वाईआरएफ) द्वारा आयोजित यशराज भारती सम्मान (वाईबीएस) ‘कृतज्ञता समारोह’ में मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित किया
नई दिल्ली (PIB): केन्द्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्यमंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने आज कहा कि पिछले नौ वर्षों में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने शासन की सरलता तथा व्यवसाय की सुगमता के लिए 2,000 से अधिक नियमों और कानूनों को समाप्त कर दिया है।
आज यहां यशराज रिसर्च फाउंडेशन (वाईआरएफ) द्वारा आयोजित ‘कृतज्ञता समारोह’ में यशराज भारती सम्मान (वाईबीएस) पुरस्कार प्रदान करने के बाद मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए,डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि पहले की सरकारों के विपरीत, जो यथास्थितिवादी दृष्टिकोण में विश्वास करती थीं, प्रधानमंत्री श्री मोदी ने ऐसे नियमों को खत्म करने के लिए साहस और दृढ़ विश्वास का प्रदर्शन किया है जो नागरिकों के लिए असुविधा उत्पन्न कर रहे थे और जिनमें से कई ब्रिटिश राज के समय से बने हुए थे। उन्होंने कहा कि सुशासन का अंतिम उद्देश्य नागरिकों के जीवन को सरल बनाना है।
डॉ. सिंह ने यशराज भारती सम्मान (वाईबीएस) स्थापित करने और विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न व्यक्तियों और संगठनों द्वारा किए गए असाधारण कार्यों को सम्मानित करने के लिए यशराज रिसर्च फाउंडेशन (वाईआरएफ) की सराहना की। उन्होंने यह भी कहा कि जिन तीन श्रेणियों अर्थात स्वास्थ्य सेवा में नवोन्मेषण, लोगों के जीवन को रूपांतरित करना और नैतिक शासन में पुरस्कार प्रदान किए गए हैं, वे हमेशा से प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की प्राथमिकताएं रही हैं।
डॉ. सिंह ने स्मरण किया कि मई 2014 में सरकार के सत्ता में आने के शीघ्र बाद, दो से तीन महीने के भीतर, राजपत्रित अधिकारियों द्वारा प्रमाणित प्रमाणपत्र प्राप्त करने की प्रथा को समाप्त कर दिया गया था। इसके बाद,एक वर्ष के भीतर प्रधानमंत्री ने लाल किले की प्राचीर से रोजगार भर्ती में साक्षात्कार को समाप्त करने की बात कही, जिससे कि सबको समान अवसर उपलब्ध कराया जा सके। पेंशन में फेस रिकॉग्निशन प्रौद्योगिकी लागू की गई, जिससे किवरिष्ठ नागरिकों को जीवन प्रमाण पत्र बनवाने की थकाने वाली प्रक्रिया से न गुजरना पड़े। अधिकांश कामकाज को ऑनलाइन में परिवर्तित कर दिया गया और पारदर्शिता, जवाबदेही और नागरिक सहभागिता लाने के लिए मानव इंटरफेस को ईष्टतम कर दिया गया।
शिकायत निवारण की चर्चा करते हुए, डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि शिकायत निवारण तंत्र को सीपीजीआरएएमएस में स्थानांतरित कर दिया गया था, जिसके परिणामस्वरूप इस सरकार के आने से पहले हर वर्ष सिर्फ 2 लाख की तुलना में अब प्रत्येक वर्ष लगभग 20 लाख शिकायतें प्राप्त होती हैं, क्योंकि इस सरकार ने एक समयबद्ध निवारण की नीति और लोगों का विश्वास अर्जित किया।
स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में, डॉ. सिंह ने कहा कि कोविड महामारी के दौरान प्रौद्योगिकी और टेलीमेडिसिन के उपयोग ने प्रदर्शित किया कि किस प्रकार नवोन्मेषण दूरस्थ और ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध करा सकता है।
इस सरकार ने न केवल प्रौद्योगिकी और नवोन्मेषण को बल्कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी नए नवोन्मेषण आरंभ करने के लिए स्टार्टअप्स को भी बढ़ावा दिया और इस प्रकार नागरिकों के जीवन को रूपांतरित किया है।
डॉ.जितेन्द्र सिंह ने यह कहते हुए अपनी बात समाप्त की कि पहले हमारी प्राथमिकताएं अनुपयुक्त थीं और सत्तर साल तक ये अनुपयुक्त बनी रहीं क्योंकि हम यथास्थितिवादी सरकारों द्वारा शासित थे। 9 साल में पहली बार इन्हें दुरुस्त करने की कोशिश की जा रही है, जिन्हेंपहले के वर्षों में ही दुरुस्त कर दिया जाना चाहिए था।उन्होंने प्रधानमंत्री के संदेश को देश के प्रत्येक घर तक ले जाने की यशराज रिसर्च फाउंडेशन (वाईआरएफ) की कोशिशों पर प्रसन्नता जताई।
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