विशेष: 'कोरोना पाजिटिव और रिया चालीसा' का पाठ:
विशेष में प्रस्तुत है,
नवेन्दु उन्मेष की प्रस्तुति 'व्यंग्य'___
किफायती लाल कोरोना जांच शिविर में गये थे कोरोना जांच कराने। उनके विभागीय अधिकारियों ने कहा था कि विभाग के सभी कर्मचारियों को कोरोना जांच कराना जरूरी है। बगैर जांच कराये किसी को कार्यालय नहीं आने दिया जायेगा। शिविर में बहुत भीड़ थी।इसलिए वे एक फार्मभर कर दूसरे दिन आकर जांच कराने की बातें कहकर घर चले आये। शाम को घर आते ही उन्हें फोन आया कि आप कोरोना पाजिटिव हो गये है। किफायती लाल ने फोन करने वाले को कहा कि जब जांच हुई ही नर्हीं तो मैं कोरोना पाजिटिव कैसे हो गया। उत्तर मिला यह तो चिकित्सा शास्त्र की महिमा है। जहां से कोई भी खाली हाथ वापस नहीं जाता। यहां आये हुए सभी लोगों की चिकित्सक झोली भर देते हैं। मुझे तो सिर्फ कहा गया है कि किफायती लाल कोरोना पाजिटिव हो गये हैं। उन्हें कहा गया कि अब क्वारंटाइन में रहें हैं। किसी से मिलेजुले नहीं।
दूसरे दिन सुबह-सुबह कोरोना योद्धा उनके घर पर ऐसे आये जैसे सीबीआई वाले छापेमारी करने के लिए आते हैं। आते ही किफायती लाल को आवाज दी। बगैर मास्क के वे घर से बाहर आये तो कोरोना योद्धाओं ने उन्हें डांटा और कहा कि वे जल्दी से मास्क पहनकर बाहर आयें। कोरोना योद्धा किफायती लाल की कोई बात सुनने को तैयार नहीं थे। किफायती लाल की पत्नी ने योद्धाओं से कहा कि ये कहीं आते-जाते नहीं हैं तो फिर कोरोना पाजिटिव हो कैसे गये। योद्धाओं ने कहा- प्रत्येक चोर पकड़े जाने पर यहीं कहता है कि मैं तो पहली बार चोरी करने के लिए निकला था।
इसके बाद कोरोना योद्धा किफायती लाल के घर को सील करके चले गये। कुछ घंटे बाद मुहल्ले वाले में ऐसा लगा जैसे कोरोना महोत्सव मनाया जा रहा हो। नगर निगम के लोग टैंकर लेकर चले आये। पूरे मुहल्ले को सेनिटाइज किया। फिर क्या था किफायती लाल पूरे मुहल्ले में चर्चा के केंद्र बिन्दु हो गये। जो लोग उन्हें नहीं जानते थे वे आकर पूछने लगे किफायती लाल कौन हैं और क्या
करते हैं? कुछ लोग उन्हें गालियां दे रहे थे कि मेरा मुहल्ला अब तककोरोना से मुक्त था। किफायती लाल इस बीमारी को लेकर मुहल्ले में आया है।
एक ने कहा इसे तो मुहल्ले से बाहर निकाल देना चाहिए। किफायती लाल निहायत सीधे-सादे इंसान ठहरे। उन्होंने अखबारों में पढ़ा था कि अकसर आंदोलनकारी नेता घरों में नजरबंद किये जाते हैं। अब वे स्वयं घर में नजरबंद होकर परिवार सहित जेल का मजा ले रहे थे। पत्नी और बच्चे भी उन्हें गालियां दे रहे थे कि आखिर आपको कोरोना जांच कराने की जरूरत क्या थी? वे उन्हें विश्वास नहीं दिला पा रहे थे कि अभी तक तो उनकी कोरोना जांच हुई ही नहीं है तो वे कोरोना पाजिटिव हो कैसे गये?- बोले भगवान की यही मर्जी थी तो मैं क्या कर सकता हॅूं। किफायती लाल बच्चों को बता रहे थे लगता है मेरे साथ साजिश हुई है ? बच्चों ने कहा साजिश तो नेताओं के साथ होती है। जब कोई नेता किसी मामले में फंस जाता है तो कहता है यह उसके साथ साजिश हुई है। यह सुनकर उनके दूसरे बेटे ने कहा-&लगता है पिता के शरीर में नेताओं की आत्मा घुस गयी है। इसलिए वे नेताओं जैसी साजिश की बातें कर रहे हैं।
हालचाल जाने के लिए मैंने उन्हें फोन लगाया और संकट की इस घड़ी में हनुमान चालीसा पढ़ने की सलाह दी, तो वे बोले&अब हनुमान चालीसा पढ़ने से कोई फायदा नहीं। अब तो टीवी चैनल वाले भी रिया चालीसा का पाठ कर रहे हैं। इसी चालीसा को पढ़कर मैं संकट से उबरने की कोशिश कर रहा हॅूं। वे आगे बोले जब चारा घोटाला में मेरा नाम आ रहा था तो मैं लालू चालीसा पढ़कर उससे मुक्त हो गया था। मुक्त होने के बाद मैंने लालू चार सौ बीसा का पाठ आरंभ कर दिया था। अब संकट कि इस घडी में मेरे परिवार का एक मात्र सहारा ’रियाचालीसा’ है, जिसका पाठ मैं पूरे परिवार के साथ रोज शाम को टीवी चैनल के सामने बैठकर कर रहा हॅूं। मैं जानता हूं कि, एक दिन यह संकट भी दूर हो जायेगा।
swatantrabharatnews.com