देश भर में मानदंडों के अनुसार लाभार्थियों की पहचान करने की प्रणाली एकसमान है; एनएफएसए के अंतर्गत लाभार्थियों की पहचान की जिम्मेदारी राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों के खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग की है
नई-दिल्ली, 30 जुलाई 2020 (PIB): मीडिया में छपी कुछ खबरों के अनुसार, बिहार राज्य में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 (एनएफएसए) के अंतर्गत राशन कार्ड जारी करने में लाभार्थियों की गलत पहचान और भेदभाव का आरोप लगाया गया है। उपभोक्ता मामलों, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के अंतर्गत आने वाला खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग इस बात को स्पष्ट करता है कि एनएफएसए के अंतर्गत लाभार्थियों की पहचान कुछ मानदंडों के आधार पर की जाती है और इसकी जिम्मेदारी पूर्ण रूप से राज्य सरकारों पर होती है। बिहार में एनएफएसए के लाभार्थियों के साथ किसी प्रकार का भेदभाव या उनकी गलत पहचान नहीं की गई है। सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के लिए मानदंडों के आधार पर लाभार्थियों की पहचान करने की प्रणाली एक समान है।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 (एनएफएसए) के अंतर्गत, बिहार में लगभग 8.71 करोड़ लाभार्थियों के लिए कवरेज प्रदान किया गया है, जिसमें लगभग 25 लाख अंत्योदय अन्न योजना (एएवाई) वाले परिवार शामिल हैं।
डीओएफपीडी के अनुसार, मई 2020 में, बिहार राज्य द्वारा विभाग से अनुरोध किया गया था कि एनएफएसए के अंतर्गत व्यक्तियों को 100% कवरेज प्रदान करने के लिए अर्थात् 8.71 करोड़ व्यक्तियों को शामिल करने के लिए मासिक आवंटन में वृद्धि की जाए। केंद्र सरकार ने राज्य के अनुरोध के जवाब में, बिहार में एनएफएसए के कुल लाभार्थियों की अधिकतम सीमा को 8.71 करोड़ तक बढ़ाकर अनुमोदन प्रदान करने के लिए त्वरित कार्रवाई की।
हाल ही में, डीओएफपीडी द्वारा बिहार राज्य को एनएफएसए के अंतर्गत कवरेज प्राप्ति के संदर्भ में रिपोर्ट उपलब्ध कराने को कहा गया था और राज्य द्वारा यह बताया गया है कि राज्य में 15 लाख निष्क्रिय राशन कार्ड मौजूद हैं और मानदंडों के अनुसार उनको हटाने की प्रक्रिया चल रही है। इसके अलावा, राज्य ने इस बात की भी पुष्टि की है कि 1.41 करोड़ मौजूदा राशन कार्डों के अलावा लगभग 23.39 लाख नए राशन कार्ड जारी किए गए हैं। राज्य ने यह भी सूचित किया है कि जुलाई 2020 माह का वितरण पूरा होने के बाद, एनएफएसए लाभार्थियों की सूची को अंतिम रूप प्रदान किया जाएगा और यह भी बताया गया है कि राज्य में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत खाद्यान्न वितरण के लिए उनके पास अपनी अन्य कोई योजना नहीं है।
नियमित राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत, केवल केंद्र सरकार ही बिहार राज्य को प्रति वर्ष लगभग 55.24 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) खाद्यान प्रदान करती है, जिसमें लगभग 16,500 करोड़ रुपये की खाद्य सब्सिडी भी शामिल है। इसके अलावा पीएमजीकेएवाई के अंतर्गत, अप्रैल-नवंबर, 2020 की अवधि के लिए 12,061 करोड़ रुपये की अतिरिक्त खाद्य सब्सिडी के साथ-साथ लगभग 34.8 एलएमटी मुफ्त खाद्यान्न प्रदान की गई है। इसके अलावा, आत्मनिर्भर भारत पैकेज (एएनबीपी) के अंतर्गत, लगभग 322 करोड़ रुपये की खाद्य सब्सिडी पर दो माह के लिए लगभग 86,400 मीट्रिक टन मुफ्त खाद्यान्न (लगभग 87 लाख प्रवासियों/महीने के हिसाब से) की अतिरिक्त मात्रा प्रदान की गई है।
इस प्रकार, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग यह स्पष्ट करता है कि केन्द्र सरकार द्वारा वास्तव में बिहार राज्य के जरूरतमंद व्यक्तियों/परिवारों को खाद्य सब्सिडी केलाभों को उचित रूप से लक्षित करने की दिशा में हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं।
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