ICC के 95 वें वार्षिक सत्र के उद्घाटन के अवसर पर प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ
नई-दिल्ली, 11 जून 2020 (PIB): प्रधानमंत्री कार्यालय ने ICC के 95 वें वार्षिक सत्र के उद्घाटन के अवसर पर प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ जारी किया जिसे निचे उन्ही के शब्दों में मूलरूप से प्रस्तुत किया जा रहा है:
नॉमोष्कार !!! आशा कोरि, आपनारा शोबाई भालो आछेन !!! 95 वर्ष से निरंतर देश की सेवा करना, किसी भी संस्था या संगठन के लिए अपने आप में बहुत बड़ी बात होती है। ICC ने पूर्वी भारत और North East के Development में जो contribution दिया है,
विशेषकर वहां की मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट्स को, वो भी historical है। ICC के लिए अपना योगदान देने वाले आप सभी लोगों का, प्रत्येक महानुभाव का मैं अभिनंदन करता हूं।
साथियों, ICC ने 1925 में अपने गठन के बाद से आज़ादी की लड़ाई को देखा है, भीषण अकाल और अन्न संकटों को देखा है और भारत की Growth Trajectory का भी आप हिस्सा रहे हैं।
अब इस बार की ये AGM एक ऐसे समय में हो रही है, जब हमारा देश Multiple Challenges को Challenge कर रहा है। कोरोना वायरस से पूरी दुनिया लड़ रही है, भारत भी लड़ रहा है लेकिन अन्य तरह के संकट भी निरंतर खड़े हो रहे हैं।
कहीं Flood की चुनौती, कहीं लॉकस्ट, 'पोंगोपा' का कहर, कहीं ओलावृष्टि, कहीं Oil-Field में आग, कहीं छोटे-छोटे Earthquake, ये भी कम ही होता है कि पूर्वी और पश्चिमी क्षेत्र में एक के बाद एक, दो Cyclones चुनौती बनकर आएं।
ऐसे तमाम Frontsपर हम सभी एक साथ मिलकर लड़ रहे हैं। कभी-कभी समय भी हमें परखता है, हमारी परीक्षा लेता है। कई बार अनेक कठिनाइयां, अनेक कसौटियां एक साथ आती हैं।
लेकिन हमने ये भी अनुभव किया है कि इस तरह की कसौटी में हमारा कृतित्व, उज्ज्वल भविष्य की गारंटी भी लेकर आता है। किसी कसौटी से हम कैसे निपट रहे हैं, मुश्किलों से कितनी मजबूती से लड़ रहे हैं, ये आने वाले अवसरों को भी तय करता है।
साथियों, हमारे यहां कहा जाता है- मन के हारे हार, मन के जीते जीत, यानि हमारी संकल्पशक्ति, हमारी इच्छाशक्तिही हमारा आगे का मार्ग तय करती है। जो पहले ही हार मान लेता है उसके सामने नए अवसरकम ही आते हैं। लेकिन जो जीत के लिए निरंतर प्रयास करता है,एक दूसरे का साथ देते हुए, आगे बढ़ता है, उसके सामने नए अवसर भी उतने ही ज्यादा आते हैं।
साथियों, ये हमारी एकजुटता, ये एक साथ मिलकर बड़ी से बड़ी आपदा का सामना करना,ये हमारी संकल्पशक्ति, ये हमारी इच्छाशक्ति, हमारी बहुत बड़ी Strength है, एक राष्ट्र के रूप में हमारी बहुत बड़ी ताकत है।
मुसीबत की दवाई मजबूती है। मुश्किल समय ने हर बार भारत के Determination को Strengthen किया है, एक Nation के रूप में देशवासियों के Resolve को ऊर्जा दी है, संकल्प को शक्ति दी है। यही भावनामैं आज आपके चेहरे पर देख सकता हूं, करोड़ों देशवासियों के प्रयासों में देख सकता हूं। कोरोना का संकट पूरी दुनिया में बना हुआ है। पूरी दुनिया इससे लड़ रही है। कॉरोना वॉरियर्स के साथ हमारा देश इससे लड़ रहा है।
लेकिन इन सबके बीच हर देशवासी अब इस संकल्प से भी भरा हुआ है कि इस आपदा को अवसर में परिवर्तित करना है, इसे हमें देश का बहुत बड़ा Turning Point भी बनाना है।
ये Turning Point क्या है? आत्म निर्भर भारत, Self Reliant India. आत्मनिर्भरता का, Self-Reliance का ये भाव बरसों से हर भारतीय ने एक Aspiration की तरह जिया है।
लेकिन फिर भी एक बड़ा काश, एक बड़ा काश, हर भारतीय के मन में रहा है, मस्तिष्क में रहा है। काश हम Medical Equipment के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होते! काश हम Defence manufacturing में आत्मनिर्भर होते! काश हम Coal और Minerals सेक्टर में आत्मनिर्भर होते!
काश हम Edible Oil में, फर्टिलाइजर्स के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होते! काश हम Electronic Manufacturing में आत्मनिर्भर होते! काश हम Solar Panels, Batteries और Chip Manufacturing में आत्मनिर्भर होते। काश हम Aviation Sector में आत्मनिर्भर होते ऐसे कितने सारे काश, अनगिनत काश, हमेशा से हर भारतीय को झकझोरते रहे हैं।
साथियों, ये एक बहुत बड़ी वजह रही है कि बीते 5-6 वर्षों में, देश की नीति और रीति में भारत की आत्मनिर्भरता का लक्ष्य सर्वोपरि रहा है। अब कोरोना क्राइसिस ने हमें इसकी गति और तेज करने का सबक दिया है। इसी सबक से निकला है- आत्मनिर्भर भारत अभियान।
साथियों, हम देखते हैं, परिवार में भी संतान-बेटा हो या बेटी, 18-20 साल का हो जाता है, तो हम कहते हैं कि अपने पैरों पर खड़े रहना सीखो। एक तरह से आत्मनिर्भर भारत का पहला पाठ, परिवार से ही शुरू होता है। भारत को भी अपने पैरों पर ही खड़े होना होगा।
साथियों, आत्म निर्भर भारत अभियान का सीधा सा मतलब है कि भारत, दूसरे देशों पर अपनी निर्भरता कम से कम करे। हर वो चीज, जिसे Import करने के लिए देश मजबूर हैं, वो भारत में ही कैसे बने, भविष्य में उन्हीं Products का भारत Exporter कैसे बने,
इस दिशा में हमें और तेजी से काम करना है।
इसके अलावा, हर वो सामान जो भारत का लघु उद्यमी बनाता है, हमारे हैंडीक्राफ्ट वाले, जो सामान हमारे सेल्फ हेल्प ग्रुप से जुड़े करोड़ों गरीब बनाते हैं, जो दशकों से हमारे यहां बनता आ रहा है, गलियों-मोहल्लों में बिकता रहा है, उसे छोड़कर विदेश से वही सामान मंगाने की प्रवृति पर भी हमें नियंत्रण करना है।
हम इन छोटे-छोटे व्यापार करने वाले लोगों से केवल चीज ही नहीं खरीदते, पैसे ही नहीं देते, उनके परिश्रम को पुरुस्कृत करते हैं, मान-सम्मान बढ़ाते हैं। हमें इस बात का अंदाजा भी नहीं होता कि इससे उनके दिल पर कितना प्रभाव पड़ता है, वो कितना गर्व महसूस करते हैं।
इसलिए, अब अपने लोकल के लिए वोकल होने का समय है, हर गांव, हर कस्बे, हर जिले, हर प्रदेश, पूरे देश को आत्मनिर्भर करने का समय है।
साथियों, स्वामी विवेकानंद ने एक बार एक पत्र में लिखा था- The simplest method to be worked upon at present is to induce Indians to use their own produce and get markets for Indian art ware in other countries. स्वामी विवेकानंद जी का बताया ये मार्ग Post Covid world में भारत की प्रेरणा है। अब देश प्रण कर चुका है और देश कदम भी उठा रहा है।
आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत जिन बड़े रिफॉर्म्स की घोषणा की गई है, उनको तेजी से जमीन पर उतारा जा रहा है।
MSMEs की Definition का दायरा बढ़ाना हो या MSMEs के Support के लिए हजारों करोड़ के स्पेशल फंड्स की व्यवस्था हो, ये सब आज सच्चाई बन रहे हैं। IBC से जुड़ा फैसला हो, छोटी-छोटी गलतियों को डी-क्रिमनलाइज़ करने का फैसला हो,Investment की Fast Tracking के लिए Project Development Cells का गठन हो, ऐसे अनेक कार्य पहले ही हो चुके हैं।
अब तमाम सेक्टर्स, खासकरCoal और Miining के सेक्टर को अधिक Competitive बनाने के लिए, जो रिफॉर्म्स अनाउंस हुए हैं, उसका भरपूर फायदा उठाने के लिए उद्योग जगत आगे आए,युवा साथी आगे आएं।
साथियों, किसानों और Rural Economy के लिए जो निर्णय हाल में हुए हैं, उन्होंने एग्रीकल्चर इकोनॉमी को बरसों की गुलामी से मुक्त कर दिया है। अब भारत के किसानों को अपने Product, अपनी उपज देश में कहीं पर भी बेचने की आज़ादी मिल गई है।
APMC एक्ट, Essential Commodities Act में जो संशोधन किए गए हैं, किसानों औरIndustry के बीच Partnership का जो रास्ता खोला गया है, उससे किसान और Rural Economy का कायाकल्प होना तय है। इन फैसलों ने किसान को एक Producer के रूप में और उसकी उपज को एक Product के रुप में पहचान दी है।
साथियों, चाहे किसानों के बैंक खातों में सीधे पैसे ट्रांसफर करना हो, चाहे MSP का फैसला हो, उनकी पेंशन की योजना हो, हमारा प्रयास किसानों को सशक्त करने का रहा है। अब किसानों को एक बड़ी मार्केट फोर्स के तौर पर विकसित होने में सहायता की जा रही है।
साथियों, Local Products के लिए जिस क्लस्टर बेस्ड अप्रोच को अब भारत में बढ़ावा दिया जा रहा है, उसमें भी सभी के लिए अवसर ही अवसर है। जिन जिलों, जिन ब्लॉक्स में जो पैदा होता है, वहीं आसपास इनसे जुड़े क्लस्टर विकसित किए जाएंगे। जैसे पश्चिम बंगाल के जूट किसानों के लिए पास में ही जूट आधारित उद्योगों को और मजबूती दी जाएगी।
Forest Produce की अपार संपदा जुटाने वाले आदिवासी साथियों को उनके क्षेत्र में ही आधुनिक Processing Units उपलब्ध कराई जाएगी। इसके साथ ही Bamboo और Organic Products के लिए भी क्लस्टर्स बनेंगे। सिक्किम की तरह पूरा नॉर्थ ईस्ट, ऑर्गैनिक खेती के लिए बहुत बड़ा हब बन सकता है। ऑर्गैनिक कैपिटल बन सकता है।
ICC के साथ जुड़े आप सभी व्यापारी, ठान लें तो नॉर्थ ईस्ट में ऑर्गैनिक फार्मिंग बहुत बड़ा आंदोलन बन सकता है, आप उसकी ग्लोबल पहचान बना सकते हैं, ग्लोबल मार्केट पर छा सकते हैं।
साथियों, आप सभी नॉर्थ ईस्ट, पूर्वी भारत में इतने दशकों से काम कर रहे हैं। सरकार ने जो तमाम कदम उठाए हैं, इनका बहुत बड़ा लाभ East और North East के लोगों को होगा।
मैं समझता हूं कि कोलकाता भी खुद फिर से एक बहुत बड़ा लीडर बन सकता है। अपने पुराने गौरव से प्रेरणा लेते हुए, भविष्य में कोलकाता, पूरे क्षेत्र के विकास का नेतृत्व कर सकता है।
आपसे बेहतर और कौन जानता है कि जब श्रमिक पूर्व के, संपत्ति पूर्व की, संसाधन पूर्व के, तो इस क्षेत्र का विकास कितनी तेज गति से हो सकता है।
साथियों, 5 साल बाद, यानि वर्ष 2025 में आपकी संस्था अपने 100 वर्ष पूरे करने जा रही है। वहीं वर्ष 2022 में देश की आजादी के 75 वर्ष पूरे होने जा रहे हैं। ये आपकी संस्था के लिए, आपके प्रत्येक सदस्य के लिए बेहतरीन समय है एक बड़ा संकल्प लेने का।मेरा आपसे आग्रह है कि आत्मनिर्भर भारत अभियान को चरितार्थ करने के लिए ICC भी अपने स्तर पर 50-100 नए लक्ष्य तय करे।
ये लक्ष्य संस्था के भी हों, इससे जुड़े हर उद्योग और व्यापारिक इकाई के भी हों और हर व्यक्ति के भी हों। आप जितना अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ेंगे, उतना ही ये अभियान पूर्वी भारत में, नॉर्थ ईस्ट में आगे बढ़ेगा।
साथियों, Manufacturing में बंगाल की ऐतिहासिक श्रेष्ठता को हमें पुनर्जीवित करना होगा। हम हमेशा सुनते आए हैं"What Bengal thinks today, India Thinks Tomorrow" हमें इससे प्रेरणा लेते हुए हमें आगे बढ़ना होगा।ये समय, Indian Economy को Command and Control से निकालकर Plug and Play की तरफ ले जाने का है। ये समय Conservative Approach का नहीं है, बल्कि आगे बढ़कर Bold Decisions का है, Bold Investments का है।
ये समय भारत में एक Globally Competitive Domestic Supply Chain तैयार करने का है।
इसके लिए उद्योग जगत को अपनी मौजूदा सप्लाई चेन के सभी Stakeholders को संकट से निकालने में मदद भी करनी है और Value addition में उनकी Hand-Holding भी करनी है।
साथियों, आत्म निर्भर भारत अभियान में आगे बढ़ते हुए, कोरोना काल से संघर्ष करते हुए, आज आपने इस AGM में जो People, Planet and Profit का विषय उठाया गया है, वो भी बहुत महत्वपूर्ण है। कुछ लोगों को लगता है कि ये तीनों एक दूसरे केOpposite हैं, विरोधाभाषी हैं।लेकिन ऐसा नहीं है। People, Planet and Profit एक दूसरे से Interlinked हैं। ये तीनों एक साथ Flourish कर सकते हैं, Co-exist कर सकते हैं।
मैं आपको कुछ उदाहरण देकर समझाता हूं। जैसे LED बल्ब। 5-6 वर्ष पहले एक LED बल्ब साढ़े तीन सौ रुपए से भी ज्यादा में मिलता था। आज वहीं बल्ब 50 रुपए तक में मिल जाता है। आप सोचिए, कीमत कम होने से, देशभर में करोड़ों की संख्या में LED बल्ब घर-घर पहुंचे हैं,स्ट्रीट लाइट्स में लग रहे हैं। ये Quantity इतनी बड़ी है कि इससे उत्पादन की लागत कम हुई है और Profit भी बढ़ा है। इससे लाभ किसको मिला है?
People को, आम देशवासी को जिसका बिजली का बिल कम हुआ है। आज प्रतिवर्ष देशवासियों के करीब-करीब 19 हजार करोड़ रुपए बिजली के बिल में, LED की वजह से बच रहे हैं। ये बचत गरीब को हुई है, ये बचत देश के मध्यम वर्ग को हुई है।
इसका लाभ Planet को भी हुआ है। सरकारी एजेंसियों ने जितने LED बल्ब कम कीमत पर बेचे हैं, अकेले उससे ही हर साल करीब-करीब 4 करोड़ टन कार्बन डाइ-ऑक्साइड का emission कम हुआ है।
यानि Profit दोनों को है, दोनों के लिए Win-Win Situation है। अगर आप सरकार की अन्य योजनाओं और फैसलों को भी देखें, तो बीते 5-6 वर्षों में People, Planet and Profit का ये Concept जमीन पर और मजबूत ही हुआ है।
अब जैसे अभी आपने भी देखा है कि कैसे सरकार का बहुत ज्यादा जोर Inland Waterways पर है। हल्दिया से बनारस तक तो वॉटरवे चालू हो चुका है, अब नॉर्थ ईस्ट में भी वॉटरवेज बढ़ाए जा रहे हैं।
इन वॉटरवेज से People का फायदा है, क्योंकि इससे Logisticsका खर्च कम होता है।
इन वॉटरवेज से Planet का भी फायदा है, क्योंकि इसमें ईंधन कम जलता है।और हमें ये भी नहीं भूलना चाहिए कि ये पेट्रोल-डीजल के Import को कम करेगा, रोड पर ट्रैफिक कम करेगा,
सामान सस्ते होंगे, सामान Shortest Route से जल्दी पहुंचेगा, खरीदने वाले और बेचने वाले, दोनों को ही इसमें Profit ही Profit है।
साथियों, भारत में एक और अभियान अभी चल रहा है- देश को सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्त करने का। इसमें People, Planet और Profit तीनों ही विषय Address होते हैं।
विशेषकर पश्चिम बंगाल के लिए तो ये बहुत ही फायदेमंद है। इससे आपके यहां Jute का कारोबार बढ़ने की संभावना बढ़ती है। क्या आपने इसका फायदा उठाया है? क्या अब पैकेजिंग मैटेरियल जूट से बनना शुरू हुआ है। एक तरह से आपकी तो पांचों उंगलियां घी में हैं।
आपको तो इस मौके का और फायदा उठाना चाहिए। अगर ये मौका छोड़ देंगे, तो कौन मदद करेगा? सोचिए, जब पश्चिम बंगाल में बना Jute का बैग, हर किसी के हाथ में होगा, तो बंगाल के लोगों को कितना बड़ा Profit होगा।
साथियों, People Centric, People Driven और Planet Friendly Development की अप्रोच अब देश में Governance का हिस्सा बन गई है। जो हमारे Technological Interventions हैं, वो भी People, Planet और Profit के विचार के अनुकूल ही है।
UPI के माध्यम से हमारी बैंकिंग Touchless, Contactless, Cashless और 24 into 7 हो पाई है। BHIM APP से Transactions के अब नए-नए रिकॉर्ड बन रहे हैं। Rupay Card अब गरीब, किसान, मध्यम वर्ग, देश के हर वर्ग का पसंदीदा कार्ड बनता जा रहा है। जब हम आत्मनिर्भर भारत की बात करते हैं, तो क्यों न गर्व के साथ Rupay Card का इस्तेमाल करें?
साथियों, अब देश में बैंकिंग सर्विस का दायरा उन लोगों तक भी पहुंच पाया है, जिनको लंबे समय तक Have nots की श्रेणी में रखा गया था। DBT, JAM यानि जनधन आधार मोबाइल के माध्यम से बिना लीकेज करोड़ों Beneficiariesतक जरूरी सहायता पहुंचाना संभव हुआ है।
इसी तरह, Government e-marketplace, यानि GeM ने People को सरकार के साथ जुड़करProfit कमाने का एक अवसर दिया है। आप ये जानते ही हैं कि GeM प्लेटफॉर्म पर छोटे-छोटे सेल्फ हेल्प ग्रुप, MSMEs, सीधे भारत सरकार को अपने Goods और अपनी Services उपलब्ध करा सकते हैं। वरना पहले तो कुछ लाख के टर्नओवर वाला उद्यमी सोच ही नहीं सकता था कि वो सीधे केंद्र सरकार को अपना बनाया कोई सामान बेच सकता है।
इसलिए, मेरा ICC से भी आग्रह है कि आपके जो members हैं, जो आपसे जुड़े हुए Manufacturers हैं, उन्हें भी ज्यादा से ज्यादा संख्या में GeM से जुड़ने के लिए प्रेरित करिए। अगर आपसे जुड़ा हर Manufacturer, GeM से जुड़ जाएगा, तो छोटे कारोबारी भी अपने Product, सीधे सरकार को बेच पाएंगे।
साथियों, जब हम Planet की बात करते हैं, तो आप भी देख रहे हैं कि आज आइसा, यानि International Solar Alliance एक बड़ा Global Movement बन रहा है। Solar Energy के क्षेत्र में जो लाभ भारत अपने लिए देखता है, उसको पूरी दुनिया के साथ साझा करने के लिए कोशिश की जा रही है। मेरा Indian Chamber of Commerce के तमाम सदस्यों से अनुरोध है कि, Renewable Energy, Solar Power Generation के लिए जो Targets देश ने रखे हैं, उसमें अपने Contribution और Investment को विस्तार दें।
देश में ही Solar Panel की मैन्युफेक्चरिंग, Power Storage Capacity बढाने के लिए बेहतर Batteries के R&D और Manufacturing में निवेश करें। जो इस काम में जुटे हैं, ऐसे संस्थानों की, MSMEs की Handholding करें। बदलते हुए विश्व में, सोलर Re-chargable Batteries, का बहुत बड़ा मार्केट बनने वाला है। क्या भारत का उद्योग जगत इसका नेतृत्व कर सकता है? इस क्षेत्र में भारत एक बहुत बड़ा HUB बन सकता है।
ICC और उसके सदस्य, 2022 जब भारत अपनी आजादी के 75 वर्ष पूरे करेगा और 2025 जब ICC अपने सौ वर्ष पूरे करेगा, तो इन अवसरों से जुड़े लक्ष्यों में, इस विषय पर भी अपने Target तय कर सकते हैं।
साथियों,ये समय अवसर को पहचानने का है, खुद को आज़माने का है और नई बुलंदियों की ओर जाने का है। ये अगर सबसे बड़ा संकट है, तो हमें इससे सबसे बड़ी सीख लेते हुए, इसका पूरा लाभ भी उठाना चाहिए।
मैं आपको आश्वस्त करता हूं कि सरकार इसके लिए पूरी तरह से Committed है, आपके साथ है। आप बेहिचक आगे बढ़िए, नए संकल्पों के साथ, नए विश्वास के साथ आगे बढ़िए !! आत्मनिर्भर भारत के मूल में है आत्म-विश्वासी भारत।
गुरुवर टैगौर ने अपनी कविता 'नूतोन जुगेर भोर'में कहा है-"चोलाय चोलाय बाजबे जोयेर मेरी,पाएर बेगेई पोथ केटे जाय कोरिश ना आर दे", यानि "हर आगे बढ़ने वाले कदम पर घोषनाद होगा। दौड़ते पाँव ही नया रास्ता बना देंगे। अब देरी मत करो”।
सोचिए, ये कितना बड़ा मंत्र है- दौड़ते पाँव ही नया रास्ता बना देंगे। जब इतनी बड़ी प्रेरणा हमारे सामने है तो रुकने का सवाल ही पैदा नहीं होता।
मुझे पूरा विश्वास है कि जब आप अपनी स्थापना के 100 वर्ष का समारोह मनाएंगे, जब देश अपनी स्वतंत्रता के 75 वर्ष का पर्व मनाएगा, तो आत्मनिर्भर भारत के मार्ग पर हमारा देश काफी आगे बढ़ चुका होगा।
एक बार फिर आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं।
स्वस्थ रहिए, सुरक्षित रहिए।
बहुत-बहुत आभार !
भालो थाकबेन !!!
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