COVID-19: कैबिनेट ने राजस्व बंटवारे के आधार पर कोयला / लिग्नाइट की बिक्री के लिए कोयला और लिग्नाइट खानों/ ब्लॉकों की नीलामी के लिए कार्यप्रणाली अपनाने और कोकिंग कोल लिंकेज के कार्यकाल को बढ़ाने की मंज़ूरी दी
- कोयले से अधिकतम राजस्व हासिल के लिए उन्मुख होने से लेकर बाजार में जल्द से जल्द अधिकतम कोयला उपलब्ध कराने के लिए दृष्टिकोण में आदर्श बदलाव
- अधिक बाजारोन्मुख राजस्व शेयर नीलामी पद्धति से पहले से तय रुपये प्रति टन आधार नीलामी पद्धति से महज एक कदम दूर
- कार्य पद्धति से पर्याप्त प्रतिस्पर्धा आती है जिससे ब्लॉकों के लिए बाजार मूल्यों का पता चलता है और कोयला ब्लॉकों का तेजी से विकास होता है
- खनन पट्टा क्षेत्र में कोल बेड मीथेन के वाणिज्यिक दोहन की अनुमति देना
- कोयले की खदान से कोयले के जल्दी उत्पादन की स्थिति में राजस्व हिस्सेदारी भुगतान में छूट
- स्वच्छ कोयला विकल्प - गैसीकरण या द्रवीकरण के लिए कोयले की खपत या बिक्री में छूट
- बड़े निवेश से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित होगा
- गैर-विनियमित क्षेत्र लिंकेज नीलामी में कोकिंग कोल लिंकेज का कार्यकाल 30 साल तक बढ़ा
नई-दिल्ली, 21 मई 2020 (PIB): बुद्धवार को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनट समिति ने राजस्व बंटवारे के आधार पर कोयला / लिग्नाइट की बिक्री के लिए कोयला और लिग्नाइट खानों/ ब्लॉकों की नीलामी के लिए कार्यप्रणाली अपनाने और कोकिंग कोल लिंकेज के कार्यकाल को बढ़ाने की मंज़ूरी दी।
यह पद्धति बताती कि राजस्व हिस्सेदारी ही बोलियां लगाने का पैमाना होगा। बोलीदाताओं को सरकार को देय राजस्व के एक अनुपात में हिस्से के लिए बोली लगाने की आवश्यकता होगी। निम्न मूल्य राजस्व हिस्सेदारी का 4 फीसदी होगा। बोलियां राजस्व हिस्सेदारी की प्रतिशतता 10 फीसदी तक पहुंचने तक राजस्व हिस्सेदारी के 0.5 प्रतिशत के गुणकों में स्वीकार की जाएंगी और उसके बाद राजस्व हिस्सेदारी के 0.25% के गुणकों में बोलियां स्वीकार की जाएंगी। कोयले की खदान से कोयले की बिक्री और / या उपयोग पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा।
अधिक बाजारोन्मुख राजस्व शेयर नीलामी पद्धति से पहले से तय रुपये प्रति टन आधार नीलामी पद्धति से महज एक कदम दूर
कार्य पद्धति से पर्याप्त प्रतिस्पर्धा आती है जिससे ब्लॉकों के लिए बाजार मूल्यों का पता चलता है और कोयला ब्लॉकों का तेजी से विकास होता है
यह कार्य पद्धति जल्द से जल्द बाजार में अधिकतम कोयला उपलब्ध कराने पर केंद्रित है और यह बाजार में पर्याप्त प्रतिस्पर्धा लाता है जिससे ब्लॉकों के लिए बाजार मूल्यों का पता चलता है और कोयला ब्लॉकों के तेजी से विकास की अनुमति देता है। कोयला क्षेत्रों खासकर खनन क्षेत्र में बड़े निवेश से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार सृजित होगा और इन क्षेत्रों के आर्थिक विकास पर इसका अच्छा प्रभाव पड़ेगा।
सफल बोलीदाता को मासिक भुगतान करने की आवश्यकता होगी जिसका निर्धारण उत्पाद के रूप में किया जाएगा:
- राजस्व हिस्सेदारी (अंतिम बोली) की प्रतिशतता (%)
- कोयले की वह मात्रा जिस पर वैधानिक रॉयल्टी महीने के दौरान देय होगी। और,
- अनुमानित मूल्य या वास्तविक मूल्य, इनमें से भी अधिक हो
अग्रिम राशि कोयला खदान के अनुमानित भौगोलिक भंडार के मूल्य का 0.25% होगी जो 4 बराबर किश्तों में देय होगा। हालांकि, अग्रिम राशि उपरोक्त विधि के अनुसार या नीचे उल्लिखित विधि से वास्तविक गणना के अनुसार, जो भी कम हो, देय होगी: -
खदानों में भौगोलिक भंडार (एमटी) |
अग्रिम राशि की अधिकतम सीमा (रुपये करोड़ में) |
200 तक | 100 |
200 से ऊपर | 500 |
यह खनन पट्टा क्षेत्र में मौजूद सीबीएम के व्यावसायिक दोहन की भी अनुमति देता है। यह कार्य पद्धति सफल बोलीदाता को कोयला खदान से कोयले के जल्द उत्पादन की स्थिति और गैसीकरण या द्रवीकरण के लिए कोयला खदान से वार्षिक आधार पर कुल कोयले की खपत या बिक्री अथवा दोनों के लिए राजस्व हिस्सेदारी में छूट की पेशकश के रुप में प्रोत्साहन प्रदान करता है। कोयले की खदानों की नीलामी / आवंटन से प्राप्त कुल राजस्व कोयला वाले राज्यों को मिलेगा। इस पद्धति से उन्हें अधिक राजस्व के साथ प्रोत्साहन किया जाएगा जिसका इस्तेमाल पिछड़े क्षेत्रों और आदिवासियों सहित उनके रहवासियों के विकास पर किया जा सकता है। इससे देश के पूर्वी हिस्से के राज्य विशेष रूप से लाभान्वित होंगे। गैर-विनियमित क्षेत्र लिंकेज नीलामी में कोकिंग कोल लिंकेज का कार्यकाल 30 साल तक बढ़ाया गया है।
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