1.jpg)
जलियांवाला बाग हत्याकांड मैं जान गंवाने वाले शहीदों का पता लगाने की मांग: सच्चिदानन्द श्रीवास्तव-लोसपा
15अगस्त1947 से आज-तक की सरकारेें "जलियांवाला बाग हत्याकांड में जान गंवाने वाले शहीदों" का पता नहीं लगा पायीं: लोसपा
लखनऊ: शनीवार को लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के जिला अध्यक्ष- अरुण तिवारी की अध्यक्षता में जलियावाला बाग हत्याकांड केे शहीदों की याद में एक संगोष्ठी हुई तथा भाव-भिनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
इस ऐतिहासिक दिन पर लोसपा के प्रदेश अध्यक्ष (उ• प्र•)- सच्चिदानन्द श्रीवास्तव ने गोष्ठी में शहीदों को श्रद्धांजलि दी तथा सरकार से जलियांवाला बाग हत्याकांड में जान गंवाने वाले शहीदों का पता लगाने की मांग की।
श्रीवास्तव ने बताया कि, "सौ साल पहले आज 13 अप्रैल 1919 ही वह दिन था, जब पंजाब के अमृतसर स्थित जलियांवाला बाग में हजारों लोग बैसाखी के पावन पर्व को मनाने के लिए इकट्ठा हुए थे। अंग्रेजों का दमन और अत्याचार अपने चरम पर था। हर किसी के दिल में आजादी पाने की इच्छा तेज होती जा रही थी।
परन्तु उस दिन जो हुआ, इतिहास के माथे पर कलंक का टीका बन गया। निहत्थे बेकसूर लोगों पर अंग्रेजी सेना ने अंधाधुंध 1650 राउंड गोलियां बरसा दीं।
इस भयावह घटना को सौ साल बीत चुके हैं, लेकिन 15अगस्त 1947 से आज तक की तथाकथित देेेश-भक्त सरकारेें उन शहीदों का पता नहीं लगा सकीं कि, कितने लोगों ने अपनी शहादत दी थी। इससे दुःखद और शर्मनाक कुुुछ हो ही नहीं सकता।
श्रीवास्तव ने बताया कि, "जानी- मानी इतिहासकार मृदुला मुखर्जी के अनुसार जलियांवाला बाग में जान गंवाने वालों की संख्या को लेकर दो तरह की आंकड़े मौजूद हैं। ब्रिटिश सरकार के मुताबिक 379 लोगों ने जान गंवाई थी। जबकि भारतीयों द्वारा कराई गई जांच में यह आंकड़ा एक हजार से ऊपर है। मृदुला मुखर्जी बताती हैं कि इतने बड़े नरसंहार की सही तस्वीर पेश करने के लिए गांधी जी, मदन मोहन मालवीय व अन्य वरिष्ठ नेताओं ने काफी प्रयास किए थे। मालवीय जी ने तो अमृतसर में घर-घर जाकर सर्वे करने की भी कोशिश की थी।"
उन्होंने बताया कि, ब्रिटिश सरकार द्वारा गठित हंटर आयोग ने शुरुआत में 200 लोगों के मारे जाने की ही बात मानी थी। पंजाब के तत्कालीन मुख्य सचिव जेपी थॉमसन ने भी अपनी डायरी में 200-300 लोगों के मरने की बात लिखी।
श्रीवास्तव ने बताया कि इतिहासकार और न्यू लाइट ऑन जलियांवाला बाग के लेखक के• के• खुल्लर की मानें तो इस नरसंहार का असली खूनी डायर नहीं बल्कि ड्वायर था। पंजाब के तत्कालीन लेफ्टिनेंट गवर्नर माइकल ओ ड्वायर ने ही असल में गोली चलाने के आदेश को मंजूरी दी थी। खुल्लर के अनुसार डायर और ड्वायर के बीच सीधा संवाद हो रहा था। ड्वायर ने डायर को लिखे तार में कहा थाए ष्आप सही करने जा रहे हैं। लेफ्टिनेंट गवर्नर आपको इसकी सहमति देते हैं। 1919 में ही देश में रॉलेट एक्ट लागू कर दिया गया। एक्ट के चलते वाइसराय को बहुत ताकत मिल गई थी। प्रेस को चुप करवानाए किसी भी राजनेता को बिना पेशी के जेल में बंद कर देना और बिना वारंट के किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार कर लेना अब वाइसराय की ताकत का हिस्सा था। यहां मौजूद लोग इसी का विरोध कर रहे थे। इसी बीच जलियांवाला बाग की बनावट कुछ ऐसी थी कि वहां से आने और जाने का सिर्फ एक ही प्रवेश द्वार था। इसी दौरान संकरी गलियों से होता ब्रिटिश सेना के ब्रिगेडियर जनरल रेगिनाल्ड डायर करीब 90 सैनिकों की टुकड़ी लेकर वहां पहुंच गया। बिना कोई चेतावनी दिए उसने वहां मौजूद लोगों पर गोलियां बरसाना शुरू कर दिया। देखते ही देखते बाग में पुरुषए महिलाओं और बच्चों की लाशें बिछ गईं। बहुत से लोगों ने जान बचाने के लिए बाग में मौजूद कुएं में छलांग लगा दी।
आज के इस ऐतिहासिक दिन पर लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष (उ• प्र•)- सच्चिदानन्द श्रीवास्तव ने जलियांवाला बाग हत्याकांड में जान गंवाने वाले शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए आजादी के वर्ष- 1947 से लेकर आज तक के तथाकथित सभी देशभक्त सरकार की कड़े शब्दों में निन्दा की तथा भारत सरकार से जलियांवाला बाग हत्याकांड में जान गंवाने वाले शहीदों का पता लगाने की मांग की।
swatantrabharatnews.com