2019 का प्रदूषण फैलाने वाले हो गये गूंगे !
लखनऊ: राजधानी में पिछले एक हफ्ते से लगातार हुई बारिश ने हजारों घर-परिवार बर्बाद कर दिए, सैकड़ों बेघर हो गये और हजारों बेघर होने के इन्तजार में हैं.| गली-गली नहरें तो सड़कें नदियों में तब्दील हो गईं ,लाखों लोगों के घरों में पानी घुस गया बहुमंजिली इमारतों से लेकर सरकारी दफ्तरों की छतें टपकने लगी हैं. इससे हलकान लोग घरों में कैद हो कर पानी निकालने के कामपर लग गये हैं. अस्पतालों तक में नये तालाब दिखाई दिए जिससे बचने की राह तलाशने में खौफजदा हैं मरीज.
गड्ढा मुक्त सड़कों पर सिर्फ गड्ढे रह गये हैं. खुले मेनहोलों ने आदमी-जानवर किसी को नहीं बख्शा. बिजली उपकेंद्रों में पानी भर गया जिससे शहर के तमाम इलाके अभी भी अंधेरे में हैं. इस्माइलगंज और फैजुल्ला गंज के हालात बेहद खराब हैं, वहां अभी भी जलभराव से लोग परेशान हैं, विधायक नीरज वोरा ने केवल बातों के बतासे बांट कर ढाढ़स बंधने की कोशिश जरूर की.
शहीद पथ और बंधा रोड धंसने की तैयारी में है, आधे से अधिक शहर की सड़कें खतरनाक हो गई हैं. कचरे-कूड़े के ढेर और गंदगी से राजधानी के भीतरी इलाके बजबजा रहे हैं जिससे बीमारी फैलने का भय बढ़ गया है. चौक और अमीनाबाद जैसे बाजारों की दुकानों तक में पानी घुस गया जिससे कारोबार बंद सा पड़ गया है. दुकानदारों व व्यापारी नेताओं की माने तो अब तक 6-7 अरब का नुकसान लखनऊ के कारोबारियों को हो गया है. बावजूद इसके जिम्मेदारों के कां पर जूं नहीं रेंगी. मेयर, मंत्री नाराजगी जाहिर करने से लेकर जांच कराने का ढोंग कर रहे हैं ? नगर आयुक्त का कहना है कि बारिश अधिक हो गई जिससे हालात ऐसे हो गये फिलहाल समुचित व्यवस्था की जा रही है.
वहीं नगर निगम के पार्षद नाला सफाई में बगैर काम के ठेकेदार को भुगतान होने का आरोप लगा रहे हैं. मजे की बात है कि भाजपा के बडबोले बयानबाज इन हालातों पर गूंगे हो गये हैं ?
उससे भी हैरतनाक बात है कि कहीं भी भाजपा के पार्षद, विधायक, सांसद, मंत्री और बूथ स्तर तक के कार्यकर्ताओं का पता नहीं जबकि 2019 का गणित पढ़ने-पढ़ाने का प्रदूषण समूचे देश में फैलाने में सबसे आगे दिख रहे हैं ?
कुल मिला कर बारिश के पहले इम्तहान में राजधानी का प्रशासन पूरी तरह नाकारा साबित हुआ है |
साढ़े नौ हजार करोड़ रुपयों से अधिक लागत वाले आगरा एक्सप्रेसवे पर खाइयों का नया निर्माण हो गया है, जिसमें कई कारों को पनाह मिली और उनमे सवार लोगों को अस्पतालों में | इससे भी आगे गाजियाबाद की नई बनी एलीवेटेड सड़क जिस पर प्रधानमंत्री ने कैराना उपचुनाव के दौरान कई किलोमीटर तक रोड शो किया था, एक बड़ी नहर में बदल गई जिस पर कारें, जानवर, आदमी एक साथ तैर कर अपनी मंजिलें तय करते नजर आये. पूर्वांचल में बलिया से बनारस, गोरखपुर से गाजीपुर, इलाहबाद से फैजाबाद, गोंडा से जौनपुर सभी पानी प्रलय से पीड़ित हैं. पश्चिम में आगरा से मेरठ, मथुरा, मुजाफ्फर नगर, सहारनपुर पानी-पानी गोया पूरा सूबा बर्षा के प्रकोप का शिकार है.
यही नहीं कश्मीर से केरल, गुजरात से गुडगांव, मुजफ्फरपुर से मुंबई, लखनऊ से लालगंज में लोगों पर पानी का कहर जारी है. सारे सूबे में दर्जनों पेड़ गिर गये, जगह-जगह सड़कें धंस गई.
रेलवे स्टेशन, बस स्टेशनों में पानी भर गया लोगबाग रोडवेज की बसों में छाता लगाकर सफर कर रहे हैं. बच्चे नाव से स्कूल जा रहे तो बड़े तैर कर अपने काम पर. अकेले उत्तर प्रदेश में एक सैकड़ा से अधिक जाने जाने का और हजारों के घायल होने का आंकडा, सैकड़ों लापता लोगों के साथ भयावह तस्वीर पेश कर रहा है. वहीं देश में बरसात के पानी के जलभराव और बाढ़ से हजारों मौतें हो चुकी हैं. देश की सभी नदियां खतरे के निशान पर या उससे ऊपर बह रही हैं. गंगा, यमुना, घाघरा की प्रचंडता चारो ओर हरहरा रही है. लोगों को पीने का शुद्ध पानी तक नहीं नसीब हो पा रहा है.
हर टीवी न्यूज चैनल जल प्रलय की खबरें प्रमुखता से दिखा रहा है, यहां तक जो भाजपा के अंध समर्थक न्यूज चैनल बताये जाते हैं वे भी प्रमुखता से जल के जलजले और उससे होने वाले नुकसान की खबरें लगातार दिखा रहे हैं. मगर मजाल है कि भाजपा की मोदी,योगी या वसुंधरा-फडनवीस की सरकार की आवाज सुनाई दी हो. मानो समूची सरकार गूंगी हो गई हो. हां, 40 लाख घुसपैठियों को लेकर जन्नतनशीं राजीव गांधी को गरियाने से लेकर ममता बनर्जी को गुस्सा दिलाने के साथ कांग्रेस को ही नहीं समूचे विपक्ष को देशद्रोही साबित करने के शर्मनाक बयान जोरशोर से जारी हो रहे हैं?
यहां गौर करने लायक है कि विपक्ष बयान जारी करके अपना विरोध भर जता कर सो रहा है उसे भी पीड़ित आदमी से कोई हमदर्दी नहीं बस उसका वोट चाहिए!
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