मुजफ्फरपुर रेप केस: सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब, पीड़ित लड़कियों की मॉर्फ्ड तस्वीरें दिखाने पर लगाई रोक
- सुप्रीम कोर्ट ने पीड़ित बच्चियों की तस्वीरें दिखाने पर भी आपत्ति जताई है.
- सुप्रीम काेर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार के अलावा नेशनल कमीशन फॉर द प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स (एनसीपीसीआर) को भी नोटिस भेजा है.
नयी दिल्ली: बिहार के मुजफ्फरपुर शेल्टर होम में नाबालिग लड़कियों के साथ हुए रेप के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाई है. इस मामले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. कोर्ट ने कहा है कि अगर जरूरत हुई तो इस मामले की जांच की मॉनिटरिंग के लिए भी वो तैयार है.
सुप्रीम कोर्ट ने पीड़ित लड़कियों की तस्वीरें और वीडियो दिखाने पर गंभीर आपत्ति जताई और साफ किया कि पहचान छिपाने की कोशिश करते हुए संपादित तस्वीर या वीडियो किसी भी हाल में नहीं दिखाया जा सकता. साफ कहा गया है कि इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया रेप पीड़ित बच्चियों की माॅर्फ्ड तस्वीरें भी नहीं चलाएगा.
इसके साथ ही 'नेशनल कमीशन फॉर द प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स' (एनसीपीसीआर) को भी नोटिस भेजा गया है. सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि छोटी बच्चियों का कोई इंटरव्यू नहीं कराया जाएगा. कोर्ट ने वरिष्ठ वकील अपर्णा भट्ट को कोर्ट ने एमिकस क्यूरी नियुक्त किया है जिन्हें इस मामले से जुड़े सारे पक्ष रिपोर्ट करेंगे.
जस्टिस मदन बी लोकुर और दीपक गुप्ता की खंडपीठ ने अपने निर्देश में राज्य सरकार और केंद्र सरकार को तीन हफ्ते के भीतर जवाब देने को कहा है. कोर्ट ने कहा कि इस मामले में जो भी दोषी होगा उसे सख्त सजा मिलनी चाहिए.
भारी दबाव के बाद बिहार सरकार ने मुजफ्फरपुर बालिका गृह में 32 लड़कियों के साथ यौन उत्पीड़न की जांच की जिम्मेदारी सीबीआई को सौंप दी थी. 28 जुलाई को सीबीआई की टीम ने मामले की जांच शुरू कर दी.
इस हाई प्रोफाइल केस की जांच फिलहाल सीबीआई कर रही है और इस मामले में कई आरोपी जेल में है. शेल्टर होम में यौन-उत्पीड़न की घटना के बाद से बिहार में भी सियासत तेज हो गई है. इस मामले को लेकर ही गुरूवार को वाम दलों ने बिहार बंद का आह्वान किया है, जिसे विपक्षी दलों का समर्थन मिला है.
(साभार- न्यूज़-18)
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