लहू बोलता भी है: तसद्दुक अहमद खान शेरवानी ...
आइये, जानते हैं आज़ाद ए हिन्द के मुस्लिम किरदार - तसद्दुक अहमद खान शेरवानी को,
तसद्दुक अहमद खान शेरवानी की पैदाइश सन् 1885 में अलीगढ़ के बिलोना गांव में हुई थी। आपने शुरुआती तालीम के बाद मोहमडन एंग्लो ओरियंटल कॉलेज (अलीगढ़) में एडमिशन लिया, जहां पढ़ाई के बाद आप ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ़ स्टूडेंट मूवमेंट का माहौल बनाने में लग गये। इसकी वजह से कॉलेज का एडमिनिस्ट्रेशन आपके खिलाफ़ हो गया, लेकिन आपने उसकी परवाह न करते हुए स्टूडेंट यूनियन का एलेक्शन करवाया और जीते भी। जीतने के बाद आपने कॉलेज के एडमिनिस्ट्रेशन की ब्रिटिश हुकूमत पालिसी की मुख़ालिफ़त की, जिसकी वजह से आप कॉलेज से रेस्टीकेट कर दिये गये।
आप बार-एट-लॉ की पढ़ाई के लिए लंदन चले गये, जहां से सन् 1912 में वापस आकर अलीगढ़ में ही वकालत शुरू की और कांग्रेस के प्रोग्रामों में शामिल होने लगे। सन् 1916 में आप कांग्रेस के मेम्बर बने। आपको उन दिनों कांग्रेस के बड़े लीडरों महात्मा गांधी, मोतीलाल नेहरू, डा. एम.ए. अंसारी, सी.आर. दास की सोहबत में रहने का मौक़ा मिला। सन् 1916 के होमरूल मूवमेंट से आप आजादी के आंदोलनों में लग गये।
सन् 1919 तक कांग्रेस के अहम nनेताओं में आपका शुमार होने लगा। उन दिनों कांग्रेस और मुस्लिम लीग मुल्क की आज़ादी के आंदोलनों में साथ-साथ रहती थी। आप भी हिन्दू-मुस्लिम इत्तहाद के हामी थे। आपकी तक़रीर में हमेशा क़ौमी इत्तेहाद पर ज़ोर दिया जाता था।
आपका मानना था कि एक-साथ लड़कर ही अंग्रेज़ों से आज़ादी हासिल की जा सकती है।
आपने गऊकशी के ख़िलाफ़ भी सन् 1920 में कई प्रोग्राम किये। आप खिलाफ़त मूवमेंट में भी जेल गये और उसके बाद के आंदोलनों में सन् 1921 व 1932 में भी जेल गये।
आपका इंतकाल 22 मार्च सन् 1935 को हुआ।
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