महाराष्ट्र: मराठवाड़ा में 21 दिन में 66 किसानों ने जान दी, इस साल कुल 221 आत्महत्याएं
इस साल मराठवाड़ा के औरंगाबाद और बीड में सबसे ज्यादा 36-36 किसानों ने आत्महत्या की।
किसानों की आत्महत्याओं के पीछे कर्ज का बोझ और फसल की कम पैदावार मुख्य वजह मानी जा रही है।
> महाराष्ट्र में जनवरी से मार्च 2017 तक 191 किसानों ने आत्महत्या की थी
>कर्जमाफी के बाद भी इस साल किसानों की मौत का आंकड़ा बढ़कर 221 हो गया है
औरंगाबाद.महाराष्ट्र में किसानों की कर्जमाफी के एलान के बाद भी आत्महत्याओं का सिलसिला नहीं थम रहा है। न्यूज एजेंसी के सूत्रों के मुताबिक, मराठवाड़ा इलाके में बीते 21 दिन में 66 किसानों ने जान दी। इस साल (जनवरी से 25 मार्च तक ) किसानों की मौत का आंकड़ा बढ़कर 221 तक पहुंच गया, जो पिछले साल इसी दौरान 191 था। माना जा रहा है कि उन्होंने यह कदम कर्ज और फसलों की कम पैदावार के चलते उठाया है। बता दें कि फडणवीस सरकार छत्रपति शिवाजी महाराज किसान सम्मान योजना के तहत किसानों का 1.50 लाख रुपए तक कर्जमाफ कर चुकी है। हालांकि, किसान संपूर्ण कर्जमाफी की मांग पर अड़े हैं।
1) औरंगाबाद और बीड में आत्महत्या ज्यादा
- मराठवाड़ा रीजन में आठ जिले हैं- औरंगाबाद, लातूर, उस्मानाबाद, नांदेड, परभणी, बीड, हिंगोली और जालना।
- इस साल कुल 221 आत्महत्याओं में सबसे ज्यादा 36-36 औरंगाबाद और बीड में हुईं। वहीं, उस्मानाबाद में 33, परभणी में 24, जालना में 23, नांदेड में 23, लातूर में 22 और हिंगोली में 18 और अन्य जिलों में 6 किसानों ने जान दी।
2) कर्जमाफी बेअसर, आत्महत्याएं बढ़ीं
- महाराष्ट्र सरकार ने जून, 2017 में 1.50 लाख रुपए तक कर्जमाफ किया। साथ ही ज्यादा कर्ज वाले किसानों के लिए वन टाइम सेटलमेंट योजना शुरू की। इसके अलावा नियमित तौर पर कर्ज चुकाने वाले किसानों के बैंक खाते में फसल कर्ज की 25% रकम या 25 हजार रुपए (दोनों में जो भी कम हो) जमा करने का वादा किया था।
- बता दें कि पिछले साल जनवरी से मार्च के बीच 191 किसानों ने आत्महत्या की थी, जो इस साल बढ़कर 221 हो गई। यानी किसानों के लिए चलाई गईं सरकारी योजनाओं का कोई असर नहीं हुआ।
3) किसानों के लिए 75 हजार रुपए का बजट
- महाराष्ट्र में खेती की हालत खराब होने से किसानों में नाराजगी बढ़ रही है। इसे देखते हुए फडणवीस सरकार ने बजट में उनके लिए 75,909 करोड़ का प्रावधान किया है।
4) कर्ज के बोझ और कम पैदावार से किसान बेहाल
- महाराष्ट्र में दलहन, गन्ना के अलावा बड़े पैमाने पर बागवानी (फल, सब्जी) की जाती है। दूसरी ओर, मराठवाड़ा पिछले कई सालों से लगातार सूखे के संकट से जूझ रहा है। यहां पैदावार में तेजी से गिरावट आई है। बागवानी की मुख्य फसलों के लिए कोई एमएसपी की व्यवस्था नहीं है।
- ज्यादातर किसान औने-पौने दामों पर ही फसल बेचने को मजबूर हैं। इससे वे वक्त पर बैंकों का कर्ज नहीं चुका पाते हैं।
5) किसानों ने संपूर्ण कर्जमाफी की मांग की
- 6 मार्च को नासिक से 30 हजार किसानों ने मार्च शुरू किया था, जो 12 तारीख को मुंबई पहुंचा। उन्होंने सरकार के सामने संपूर्ण कर्जमाफी, फसलों के दाम बढ़ाने, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों पर अमल करने, बिजली के बिल में छूट जैसी मांगें रखी थीं।
- इन पर विचार करने के लिए सरकार ने 6 मंत्रियों की कमेटी बनाई है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने किसानों से कहा था कि उनकी 90% मांगें पूरी की जाएंगी।
(साभार: भाष्कर)
संपादक- स्वतंत्र भारत न्यूज़
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