*युवा शक्ति के प्रतीक एवं प्रेरणा-स्रोत आलोचक मनुमुक्त 'मानव', जिसमें एक दशक बाद भी बोर होना संभव नहीं*: : प्रियंका 'सौरभ'
'मनुमुक्त' के पिता डॉ. रामनिवास 'मानव' के करीबी मन से जुड़े हैं कि अधिकारियों के आपराधिक आरोप और मनुमुक्त की मौत की साजिश में उनके बैचलर अनमोल की हत्या के दस्तावेजी साक्ष्य शामिल हैं, फिर भी उनके विरोध में कोई कार्रवाई नहीं हुई, बल्कि तेलंगाना पुलिस और सुशील ने इसे सामान्य घटना बताया। केस को रफ़ा-दफ़ा कर दिया। तेलंगाना पुलिस और अलेक्जेंडर का पूरा प्रयास वैल्यू को डिफेंस का था, वैल्यू को सजा का नहीं। यही नहीं, मनुमुक्त को ट्रेनी एग्रीगेटर्स ने पल्ला झाड़ लिया, किसी ने एक रुपये की भी आर्थिक सहायता परिवार को नहीं दी।
-:प्रियंका सौरभ:-
हिसार (हरियाणा): आज विशेष में प्रस्तुत है, - रिसर्च स्कॉलर इन पोलिटिकल साइंस, कवयित्री, स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार - प्रियंका सौरभ द्वारा 42वीं जन्म-जयंती पर विशेष में *युवा शक्ति के प्रतीक एवं प्रेरणा-स्रोत आलोचक मनुमुक्त 'मानव', जिसमें एक दशक बाद भी बोर होना संभव नहीं* शीर्षक से एक विशेष प्रस्तुति____
42वीं जन्म-जयंती पर विशेष: *युवा शक्ति के प्रतीक एवं प्रेरणा-स्रोत आलोचक मनुमुक्त 'मानव', जिसमें एक दशक बाद भी बोर होना संभव नहीं*
*नियति* का यह कैसा नमूना है कि यहां विशिष्ट प्रतिभाओं का जीवन ही दिखाई देता है। आदि पुरावशेषों से लेकर स्वामी भगवान, स्वामी रामतीर्थ, श्रीनिवास रामानुजन, भारतेंदु हरिश्चंद्र और रांगेय राघव तक, एक लंबी सूची है ऐसे महापुरुषों की, जो अपनी चमक बिखेरते अल्पायु में ही इस दुनिया से विदा हो गए थे। भारतीय पुलिस सेवा के युवा अधिकारी मनुमुक्त 'मानव' भी एक ऐसे ही प्रतिभा-पुंज थे, जिसमें काल ने समय अपना ही ग्रास बना लिया।
28 अगस्त, 2014 को बहुप्रतिभा के धनी, अत्यंत होनहार और प्रभावशाली पुलिस अधिकारी मनुमुक्त की 30 वर्ष, 9 माह की अल्पायु में नेशनल पुलिस अकादमी, श्रीनगर (तेलंगाना) के बिश्नोई पूल में डूब से, अल्पायु घाटी में, मृत्यु हो गई थी। रेस्टुरेंट पूल के पास स्थित ही ऑफिसर्स क्लब में चल रही फेयर पार्टी के बाद, आधी रात को जब मनुमुक्त का शव ग्राउण्ड पूल में मिला, तो अकादमी में ही नहीं, पूरे देश में उत्साह मच गया, क्योंकि यह अकादमी के 66 साल के इतिहास में है घटना होने वाली पहली बार इतनी बड़ी दुर्घटना हुई थी। यह भी बताना आवश्यक है कि इस मामले की जांच के बाद भी इस मामले में ठीक-ठीक जांच हुई और किसी भी अधिकारी या कर्मचारी की जिम्मेदारी तय नहीं की गई, उसके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की गई। मनुमुक्त के पिता डॉ. रामनिवास 'मानव' के करीबी मन से जुड़े हैं कि अधिकारियों के आपराधिक आरोप और मनुमुक्त की मौत की साजिश में उनके बैचलर अनमोल की हत्या के दस्तावेजी साक्ष्य शामिल हैं, फिर भी उनके विरोध में कोई कार्रवाई नहीं हुई, बल्कि तेलंगाना पुलिस और सुशील ने इसे सामान्य घटना बताया। केस को रफ़ा-दफ़ा कर दिया। तेलंगाना पुलिस और अलेक्जेंडर का पूरा प्रयास वैल्यू को डिफेंस का था, वैल्यू को सजा का नहीं। यही नहीं, मनुमुक्त को ट्रेनी एग्रीगेटर्स ने पल्ला झाड़ लिया, किसी ने एक रुपये की भी आर्थिक सहायता परिवार को नहीं दी।
उल्लेखनीय है कि मनुमुक्त 2012 बैच और हिमाचल प्रदेश कादर के परम मेधावी और ऊर्जावान पुलिस अधिकारी थे। 23 नवंबर, 1983 को (हरियाणा) में सामामी और पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ से उच्च शिक्षा प्राप्त मनुमुक्त ने एनसीसी सहित 'सी' रसायन शास्त्र की सभी सर्वोच्च उपलब्धियाँ प्राप्त कीं। वह बहुत अच्छे चिंतक होने के साथ-साथ बहु-कलाकार और सफल प्रेमी भी थे; सेल्फी के तो मास्टर ही थे। उनकी समाज-सेवा में भी बड़ी रुचि थी। वह अपने दादा-दादी की स्मृति में अपने पुरातात्विक गांव में स्वास्थ्य-केंद्र और नारनौल में सिविल सेवा अकादमी स्थापित करना चाहते थे। देश और समाज के लिए उनके और भी बहुत सारे सपने थे, जो उनकी असामयिक मृत्यु के साथ ही नष्ट हो गए।
इकलौते युवा पुत्रों की मृत्यु मनुमुक्त के पिता, वरिष्ठ विद्वान और शिक्षाविद् डॉ. रामनिवास 'मानव' तथा माता अर्थशास्त्र की पूर्वध्यापिका डॉ. कांता भारती के लिए भयानक वज्रपात से कम नहीं थी। अन्य कोई दम्पति घटित होती है, तो शायद विनाशकारी टूट जाती है, लेकिन 'मानव' दम्पति में अद्भुत धैर्य और साहस का परिचय दिया गया, न केवल इस अकल्पनीय-असहनीय पीड़ा को झेला, बल्कि अपने पुत्रों की स्मृतियों को सहेजने और सजीव बनाए रखने के लिए भरसक नीचे दिए गए तरीके से भी आरंभ करने का प्रयास करें। उन्होंने 10 अक्टूबर, 2014 को अपनी संपूर्ण जमापूंजी में मनुमुक्त 'मानव' मेमोरियल ट्रस्ट का गठन किया और नारनौल में 'मनुमुक्त भवन' का निर्माण किया जिसमें वातानुकूलित लघु ऑडिटोरियम, संग्रहालय और पुस्तकालय की स्थापना शामिल थी। ट्रस्ट द्वारा अढ़ाई लाख का एक अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार, एक लाख का एक राष्ट्रीय पुरस्कार, 21-21 हजार के दो और 11-11 हजार के तीन राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार!
पुरस्कार और सौ मनुमुक्त 'मानव' स्मृति-सम्मान की शुरुआत। दोनों बड़े पुरस्कार रेस्तरां पुस्तकालय हैं, कृषक शेष सभी पुरस्कार-सम्मान पुरस्कार, नियमित रूप से, प्रदान किये जा रहे हैं। 'मनुमुक्त भवन' में राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर के वैज्ञानिक-सांस्कृतिक कार्यक्रम भी निरंतर चलते रहते हैं, जिनमें अब तक भारत के अतिरिक्त जापान, फ़िजी, तंजानिया, न्यूजीलैंड, यूक्रेन, इंडोनेशिया, नेपाल, श्रीलंका, ब्रिटेन, नीदरलैंड, जर्मनी, शामिल हैं। फ़्रांस, नार्वे, तुर्की, रूस, मैरिकस, कोस्टारिका, अमेरिका, कनाडा आदि दो देशों की लगभग पांच सौ विशिष्ट विभूतियाँ आकर्षित की जाती हैं। ट्रस्ट आॅन लाइन द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में 55-60 देशों के विभिन्न क्षेत्रों के प्रमुख विद्वान, पत्रकार, फिल्मकार, शिक्षाविद्, फोटोग्राफर, पर्यावरणविद्, खिलाड़ी, पर्वतारोही, प्रशासनिक अधिकारी और राजनेता शामिल हैं और यह अब भी जारी है। मात्र सात वर्ष की अल्पावधि में ही, अपनी अनुमति के कारण, नारनौल का 'मनुमुक्त भवन' अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक केंद्र के रूप में प्रतिष्ठित हो गया है। ट्रस्ट द्वारा 15 अगस्त, 2021 को भारत की आजादी के अमृत-महोत्सव के अवसर पर 'वर्चुअल इंटरनेशनल कवि-सम्मेलन' का आयोजन किया गया, जिसमें विश्व के सबसे बड़े कवि-सम्मेलन के रूप में 'गोल्डन बुक एएएफ वर्ल्ड रिकॉर्ड' दर्ज किया गया। किया जा चुका है. छह महाद्वीपों और इक्यावन देशों के पिछत्रे ने इस कवि-सम्मेलन में एक साथ काव्य-पाठ कर यह विश्व-रिकॉर्ड बनाया था।
मनुमुक्त 'मानव' युवा शक्ति का प्रतीक ही नहीं, प्रेरणा-स्रोत भी थे। देशांत के एक दशक बाद भी उन्हें बड़े सम्मान के साथ याद किया गया है। परिवार ने मीडिया, सोशल मीडिया और फेसबुक के माध्यम से उनकी प्रेरक स्मृतियों को जीवित रखा है। इसके लिए मनुमुक्त की बड़ी बहन और विश्वबैंक, वाशिंगटन डीसी (अमेरिका) के वरिष्ठ अर्थशास्त्री डॉ. एस अनुकृति का भी शानदार सहयोग रहता है। अंत में मनुमुक्त की बाकमेट, भारतीय राष्ट्रीय सेवा के अधिकारी और संप्रति धमतरी (छत्तीसगढ़) की उपाधि नम्रता गांधी के शब्दों में इतना ही कहा जा सकता है, "मनुमुक्त हमारे लिए बड़े भाई, मित्र, सिद्धांतवादी और मार्गदर्शक थे। उनके व्यक्तित्व में उत्तम हास्यकार थे।" का समावेश था, वहीं उनका दिल भी साफ सोने का बना था। उनके अंतर्मन में बड़ी गहराई थी, जिनकी सीख कठिन थी। वह शानदार व्यक्तित्व वाले, उत्कृष्ट टीम-खिलाड़ी, प्रतिष्ठित वरिष्ठ, विश्वसनीय कनिष्ठ और व्यक्तिगत थे चाहे दोस्त और सहयोगी हों। हमें किसी के लिए भी उन्हें खोना संभव नहीं है।"
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