ग्लोबल वार्मिग के प्रभाव से नहीं दिखेंगे गुरांस के फूल
ग्लोबल वार्मिग के असर स्वरूप दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र के मुख्य फूलों में से एक गुरांस का फूल का अस्तित्व अब खतरे में पड़ता दिखाई पड़ रहा है।
दार्जिलिंग , संवादसूत्र। ग्लोबल वार्मिग के असर स्वरूप दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र के मुख्य फूलों में से एक गुरांस का फूल का अस्तित्व अब खतरे में पड़ता दिखाई पड़ रहा है। लाल रंग का यह फूल विशेषकर दार्जिलिंग के संदकपुर फालटू के दुर्गम क्षेत्र में पाया जाता है। शहर से इस ओर आने पर रास्ते भर गुरांस के फूलों का लाल रंग लोगों का स्वागत करता दिखाई देता है।
हालांकि ग्लोबल वार्मिग के प्रभाव के चलते इस वर्ष फूल उगा तो है किंतु आकार व देखने में उतना खिला हुआ नहीं है। अमूमन फरवरी से अप्रैल माह तक गुरांस के फूल पूरी तरह से अपनी छठा बिखेर देते हैं। हालांकि इस वर्ष 6000 फीट की ऊंचाई पर संतरा उगने से लोगों को उम्मीद थी कि गुरांस के फूल भी प्राकृतिक सुंदरता को बढ़ाएंगे। हालांकि ऐसा हो नहीं हो सका और शहर के लॉयड बॉटेनिकल गार्डेन में उगा गुरांस का फूल जल्द ही मुर्झा जाने से विभाग के लोग भी हैरान हैं। इस बाबत बातचीत करते हुए वन विभाग के रेंज अधिकारी मनोज क्षेत्री ने कहा कि गुरांस के फूलों की पैदावार के लिए विभाग की ओर से विशेष प्रयास किए गए थे किंतु ऐसा हो नहीं सका।
उन्होंने कहा कि अगर इसी तरह के हालात रहे तो आने वाले समय में इन फूलों का अस्तित्व भी खतरे में पड़ सकता है। वहीं पर्यावरण के क्षेत्र में काम करने वाली गैर राजनीतिक संस्था फोसेप के महासचिव भरत प्रकाश राई ने दावा करते हुए कहा कि शीतकालीन समय में भी संदकपुर जैसी जगह पर बारिश व हिमपात पूरी तरह नहीं होने के चलते अब गुरांस के फूलों के पैदावार का असर अब इलाके के घरों में भी दिखने लगा है। उन्होंने बताया कि पुतली प्रजाति के इस पुष्प की विशेषता होती है कि हिमपात, ओलावृष्टि तथा ठंड के समय यह फूल उगकर लाल रंग में खूबसूरत आकार ले लेता है। राई ने बताया कि वैश्रि्वक प्राकृतिक प्रभाव के चलते इस प्रजाति के अन्य पौधे व फूलों का अस्तित्व भी संकट में पड़ सकता है।
उन्होंने बताया कि जल्दी आग पकड़ने की तासीर के चलते भारत नेपाल सीमा पर पाए जाने वाले गुरांस के पेड़ लोगों के लिए काफी लाभदायक होते हैं। भारत नेपाल सीमावर्ती क्षेत्र संदकपुर फालटू में इनके न होने से स्थानीय लोगों को भी काफी दिक्कत हो सकती है। वहीं इस फूल के औषधीय महत्व की जानकारी देते हुए राई ने बताया कि गुरांस का फूल व पौधा सर्दी तथा वात व पित्त रोगों में भी काफी लाभदायक होता है। वहीं स्थानीय लोगों के बीच गुरांस की शराब भी काफी चर्चित है। पर्यावरण विशेषज्ञ राई ने बताया कि ऊंचाई पर होने वाले गुरांस के उगने में परेशानी होने से अब इतनी ऊंचाई पर होने वाले अन्य पेड़ पौधों की पैदावार में भी दिक्कत हो सकती है।
(साभार- जागरण)
संपादक- स्वतंत्र भारत
swatantantrabharatnews.com