आकस्मिकता निकासी : कुर्गियाक घाटी - सेना ने बचाई गर्भवती महिला एवं उसके पेट में पल रहे के बच्चे की जान.
30 मिनट के भीतर ही उड़ान की पूरी योजना बन गई
रास्ते का मौसम बेहद सीमांत और संकीर्ण था तथा अशांत घाटी व फोर्स के लिए लैंडिंग फील्ड की कमी ने इस दायित्व को और भी चुनौतीपूर्ण बना दिया.
16 फरवरी, 2018 को वायु सेना केंद्र के लेह आधारित ‘सियाचिन पायनियर्स‘ को पदाम से आगे शिंकुन ला दर्रा के नजदीक एक बेहद दुर्गम घाटी में स्थित कुर्गियाक के नाम से पहचाने जाने वाले एक सुदूर गांव से डिस्फागिया रोग से पीडि़त, 35 वर्षीया गर्भवती महिला स्टांजिंन लाटोन की आकस्मिक निकासी के एक चुनौतीपूर्ण कार्य का दायित्व सौंपा गया। पहले ही दोपहर के 2 बज रहे थे और मौसम घने बादलों से आच्छादित था। बेहद कम समय में क्रू ने मौसम का अनुमान लगाया, आकस्मिकता योजनाओं पर चर्चा की और रिफ्यूलिंग की जरुरत से बचने के लिए अधिकतम ईंधन के साथ रूट की योजना बनाई।
30 मिनट के भीतर ही उड़ान की पूरी योजना बन गई जिसमें विंग कमांडर एसआई खान और फ्लाइट लेफ्टिनेंट प्रवीण लीड एयरक्राफ्ट तथा विंग कमांडर एस के प्रधान और स्क्वॉड्रन लीडर ए बेडेकर नंबर 2 के रूप में थे। रास्ते का मौसम बेहद सीमांत और संकीर्ण था तथा अशांत घाटी व फोर्स के लिए लैंडिंग फील्ड की कमी ने इस दायित्व को और भी चुनौतीपूर्ण बना दिया। बहरहाल, क्रू ने सफलतापूर्वक घाटी को पार किया तथा सकुशल पदाम पहुंच गया। एक त्वरित टर्नअराउंड सर्विसिंग के बाद उड़ान एक बार फिर से कुर्गियाक के लिए रवाना हो गया जो पदाम से 50 किमी आगे था।
कुर्गियाक घाटी के भीतर मौसम खराब हो रहा था और बादलों का आधार और नीचे होता जा रहा था। फिर भी क्रू ने सफलतापूर्वक गांव का पता लगा लिया और गांव के करीब उतर कर पीडि़त को बेहद सावधानी से उठा कर अपने साथ कर लिया। बेहद अधिक ऊंचाई, ऑक्सीजन की कमी और बेहद कम तापमान के कारण उक्त महिला को सांस लेने में भी कठिनाई हो रही थी।
वापसी की उड़ान और अधिक चुनौतीपूर्ण थी। लेकिन क्रू ने पूरे पेशेवर तरीके से प्रतिकूल मौसम का सामना किया ओर समय पर उड़ान को वापस लाकर उक्त गर्भवती महिला एवं उसके पेट में पल रहे के बच्चे की जान बचाई।
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