
ट्रांसजेंडर से बलात्कार पर कम सजा क्यों ...
सरकार के नए बिल के बाद ट्रांसजेंडर से जुड़ा नाल्सा जजमेंट अप्रभावी हो सकता है
संसद के शीतकालीन सत्र में ट्रांसजेंडर पर्सन बिल, 2016 पेश होने वाला है. इस बिल को लेकर ट्रांसजेंडर समुदाय नाराज़ है. कहा जा रहा है कि ये बिल सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक नाल्सा (NALSA)जजमेंट की अच्छी बातों को खत्म कर देगा. थर्ड जेंडर और बाकी ट्रांसजेंडर समुदायों की भलाई के लिए नाल्सा जजमेंट को ऐतिहासिक माना जाता है.
किस बात पर है आपत्ति
नए बिल के अनुसार ट्रांसजेंडर व्यक्ति को अपनी ट्रांस अधिकारों के लिए मेडिकल सर्टिफिकेट की जरूरत पड़ेगी. इससे पहले नाल्सा जजमेंट में सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि जेंडर से जु़ड़ी पहचान किसी भी व्यक्ति के अंदर से आ सकती है.
नए कानून के मुताबिक ट्रांसजेंडर वो व्यक्ति होगा जो पूरी तरह पुरुष या महिला न हो. या जिसका मानसिक जेंडर उसके शरीर से न मिलता हो. किसी भी ट्रांसजेंडर को इस परिभाषा के हिसाब से एक सर्टिफिकेट लेना पड़ेगा.
ये सर्टिफिकेट डीएम जारी करेगा. एक स्क्रीनिंग कमेटी डीएम को हर व्यक्ति के लिए रिकमेंडेशन जारी करेगी. कमेटी में एक मेडिकल ऑफिसर, सायक्लॉजिस्ट, सरकारी अफसर और एक ट्रांसजेंडर शामिल होगा.
अपनी शारीरिक पहचान के लिए किसी तरह के सर्टिफिकेट लेना किसी भी व्यक्ति के लिए अपमानित करने वाला अनुभव हो सकता है. ये वैसा ही है कि आपको नौकरी का फॉर्म भरने के लिए डॉक्टर के सामने खुद को पुरुष या महिला साबित करना हो.
कैसे बढ़ेगी समस्याएं
इसके साथ ही बिल में दो और समस्याएं हैं. ट्रांसजेंडर व्यक्ति से पैसे मंगवाना, आम जगहों पर आने-जाने से रोकना अपराध माना जाएगा. इनमें से किसी भी अपराध या ट्रांसजेंडर के साथ यौनशोषण, बलात्कार या किसी तरह की हिंसा करने पर 2 साल तक की सजा होगी.
किसी भी व्यक्ति के साथ यौनशोषण करने पर कम से कम 7 सात साल की सज़ा होती है. क्या ट्रांसजेंडर 'बाकियों से कम इंसान' हैं जो उनके साथ यौन हिंसा में सजा कम होगी.
अगर जन्म से कोई महिला खुद को पुरुष की तरह देखती है और उसके साथ बलात्कार होता है तो क्या दोषी को मात्र 2 साल की सजा होगी.
इसी तरह देश में तमाम हिजड़ा समुदाय को नौकरियां नहीं मिलती हैं. वो शादी-ब्याह और दूसरे मौकों पर पैसे मांगने का काम करते हैं. ट्रांसजेंडर्स के रोजगार को सुनिश्चित किए बिना अगर पैसे मांगने को अपराध घोषित कर दिया जाता है तो इससे ट्रांस समुदाय की मुश्किलें काफी बढ़ जाएंगी.
साभार: फर्स्ट पोस्ट
सम्पादक: स्वतंत्र भारत न्यूज़
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