सिल्क्यारा टनल दुर्घटना स्थल पर बचाव अभियान तेज किया गया: सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय
नई दिल्ली (PIB): उत्तरकाशी के सिल्क्यारा में चल रहे बचाव कार्यों के द्वारा सरकार श्रमिकों का जीवन बचाने की अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता को जारी रखते हुए सक्रिय रूप से लगी हुई है। निर्माणाधीन सुरंग में 41 श्रमिक फंसे हुए हैं।
बचाव अभियान का केंद्र बिंदु इस समय सुरंग का 2 किमी का खंड है, जिसका कंक्रीट का काम पूरा हो चुका है, और जो श्रमिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है। सुरंग के इस सुरक्षित हिस्से में, जहां श्रमिक हैं, बिजली और पानी की आपूर्ति चालू है, और खाना तथा दवाओं सहित आवश्यक वस्तुएं एक 4-इंच के कंप्रेसर पाइपलाइन के माध्यम से पहुंचाए जा रहे हैं।
श्रमिकों को सुरक्षित निकालने के लिए हर आवश्यक उपाय सुनिश्चित करते हुए विभिन्न सरकारी एजेंसियों को तैनात किया गया है, जिनमें से हर एक को उनकी दक्षता और विशेषज्ञता के अनुसार कार्य सौंपे गए हैं। फंसे हुए श्रमिकों का मनोबल बढ़ाए रखने के लिए सरकार लगातार उनसे संपर्क बनाए रख रही है।
बचाव अभियान में प्रमुख प्रगति:
NHIDCL जीवन सुरक्षित रखने के लिए सपोर्ट:
राहत और बचाव अभियान में कल एक महत्वपूर्ण सफलता मिली, जब NHIDCL ने आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति के लिए 6 इंच व्यास वाली पाइपलाइन के लिए ड्रिलिंग पूरी कर ली, जो पहले से मौजूद लाइन से अतिरिक्त होगी।
फंसे हुए श्रमकों के साथ Video communication स्थापित किया गया है, और compressed हवा और पानी के दबाव का उपयोग करते हुए पाइपलाइन के अंदर मलबे को साफ करने का प्रयास किया गया है।
NHIDCL द्वारा Horizontal Boring:
NHIDCL ने ऑगुर बोरिंग मशीन का उपयोग करके श्रमिकों को बचाने के लिए सिल्क्यारा की ओर से Horizontal Boring फिर से शुरू कर दी है।
ड्रिलिंग मशीन के लिए एक सुरक्षात्मक कैनोपी का निर्माण कार्य चल रहा है, साथ ही ऑगुर व्यास में संशोधन और पाइपलाइन की वेल्डिंग का काम भी प्रगति पर है।
श्रमिकों को बचाने के लिए SJVNL द्वारा वर्टिकल ड्रिलिंग:
श्रमिकों को निकालने के लिए एक लम्बवत (Vertical) टनल का निर्माण किया जाना है जिसके लिए खुदाई करने वाली SJVNL की मशीन साइट पर पहुंच गई है, जिसकी लगाने का काम फिलहाल चल रहा है। इस काम के लिए मशीनें गुजरात और ओडिशा से अभियान स्थल पर पहुंचाई जा रही हैं।
बारकोट की तरफ से THDCL द्वारा Horizontal Drilling:
THDC ने बारकोट छोर से एक बचाव सुरंग का निर्माण शुरू कर दिया है, जिसमें दो विस्फोट पहले ही पूरे हो चुके हैं, जिसके परिणामस्वरूप 6.4 मीटर तक की जगह बनी है। इसमें प्रतिदिन तीन विस्फोटों की योजना है।
RVNL द्वारा लंबवत-Horizontal Drilling:
मजदूरों को बचाने के लिए RVNL की योजना Horizontal Drilling के माध्यम से छोटी टनल बनाने की है और इसके लिए RVNL द्वारा मशीनों को स्थल पर लाया जा रहा है। अतिरिक्त बैकअप मशीनें ओडिशा से लाई जा रही हैं।
ONGC द्वारा बरकोट की ओर लंबवत ड्रिलिंग:
ONGC लम्बवत खुदाई के लिए अमेरिका, मुंबई और गाजियाबाद से मशीनें मँगा रहा है।
ड्रिफ्ट टनल का निर्माण का काम THDCL/Army/Coal India और NHIDCLकी संयुक्त टीम द्वारा किया जा रहा है और इसके लिए कुछ काम मशीनों के द्वारा mechanized किया जाएगा और कुछ मैनुअल:
सुरंग के अंदर drift पैदा करने के लिए काम चल रहा है, जिसमें 180 मीटर से 150 मीटर तक एक सुरक्षित चैनल स्थापित किया गया है। सेना इस उद्देश्य के लिए box culverts जुटा रही है।
सड़क को काटने काटने और अन्य सहायक कार्य के लिए BRO तैनात:
SJVNL को लम्बवत खुदाई के लिए चिन्हित स्थल तक पहुँचने के लिए BRO ने तेजी से 48 घंटों के भीतर एक एप्रोच रोड का निर्माण किया है। ONGC द्वारा किए गए भूवैज्ञानिक सर्वेक्षणों के साथ, ओएनजीसी की मशीनों को भी कार्य स्थल तक पहुँचने के लिए एप्रोच रोड का काम जारी है।
पृष्ठभूमि:
सिल्कयारा से बरकोट के बीच निर्माणाधीन सुरंग में 12 नवंबर 2023 को सिल्कयारा की तरफ सुरंग के 60 मीटर हिस्से में मलबा गिरने से सुरंग ढह गई थी जिसके चलते 41 श्रमिक फंस गए थे। फंसे हुए सभी 41 मजदूरों को बचाने के लिए राज्य और केंद्र सरकारों द्वारा तत्काल आवश्यक उपाय किए गए और जरूरी संसाधन जुटाए गए।
बचाव अभियान के शुरुआती चरण में मलबे के बीच से 900 मिमी की पाइप पहुंचाई गई और सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं के कारण एक साथ कई बचाव विकल्पों का पता लगाया गया। निर्माण से जुड़े कर्मी जहां पर फंसे हुए हैं उसकी ऊंचाई 8.5 मीटर और लंबाई 2 किलोमीटर है, जो निर्माणाधीन सुरंग का हिस्सा है। जगह की पर्याप्तता के चलते बिजली और पानी की आपूर्ति करने में आसानी हुई है और मजदूरों को सुरक्षा प्रदान करने में मदद मिली है।
पांच एजेंसियों-ONGC, SJVNL, RVNL, NHIDCL और THDCL को उनकी अपनी-अपनी विशेषज्ञता के अनुसार जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं, जो परिचालन दक्षता के लिए सामयिक कार्य समायोजन के साथ मिलकर काम कर रही हैं।
नोट: बचाव के लिए तय की गई समय-सीमा में संभावित तकनीकी खामियों, चुनौतीपूर्ण हिमालयी क्षेत्र और अप्रत्याशित आपात स्थितियों के कारण परिवर्तन हो सकता है।
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