राष्ट्रपति हो या चपरासी की संतान - सबको फ्री शिक्षा और एक समान शिक्षा देगी 'समता मूलक समाज निर्माण मोर्चा': सच्चिदानन्द श्रीवास्तव, राष्ट्रीय अध्यक्ष
आर्थिक आतंकवादियों, भारत छोड़ो! भारत छोड़ो!!
हमें जीवन के हर मुश्किल और अच्छे मोड़ पर टीचर्स की सिखाई बातें याद आती रहेंगी:
सच्चिदानन्द श्रीवास्तव, राष्ट्रीय अध्यक्ष, समतामूलक समाज निर्माण मोर्चा
एक कुम्हार जैसे मिट्टी के बर्तन को दिशा देता है, वैसे ही टीचर्स हमारे जीवन को संवारते हैं:
सच्चिदानन्द श्रीवास्तव, राष्ट्रीय अध्यक्ष, समतामूलक समाज निर्माण मोर्चा
'समतामूलक समाज निर्माण मोर्चा', उत्तर प्रदेश विधानसभा २०२२ की सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी''*:
सच्चिदानन्द श्रीवास्तव, राष्ट्रीय अध्यक्ष, समतामूलक समाज निर्माण मोर्चा
इलेक्टोरल-बाण्ड से चलने वाली पार्टियों का करें बहिष्कार करें:
सच्चिदानन्द श्रीवास्तव, राष्ट्रीय अध्यक्ष, समतामूलक समाज निर्माण मोर्चा
समतामूलक समाज निर्माण मोर्चे की स्थापना - ०१अगस्त२०२१ के उपरांत राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में दिया गया पहला साक्षात्कार
समतामूलक समाज निर्माण मोर्चे का संकल्प / उद्देश्य:-
जनता की खोयी हुयी आस्था को तथा अच्छे लोगों को राजनीति में वापस लाना है और समतामूलक समाज की स्थापना करना है।
टैक्स और अन्य माध्यमों से जनता के धन की हो रही लूट को बंद कर आर्थिक आतंकवादियों को भारत से बाहर खदेड़ेंगे।
और
अमृत महोत्सव के नाम पर कुकुरमुत्ते की तरह बढ़ रहे नशे के कारखानों को बंद कर पूर्ण नशाबंदी लागू करना ''सम्पूर्ण नशामुक्त भारत'' बनाना।
Fb Live की ४२वीं कड़ी में सच्चिदानन्द श्रीवास्तव, राष्ट्रीय अध्यक्ष, समतामूलक समाज निर्माण मोर्चा
लखनऊ: आज शिक्षक दिवस पर सच्चिदानन्द श्रीवास्तव, राष्ट्रीय अध्यक्ष, समतामूलक समाज निर्माण मोर्चा ने Fb Live की ४२वीं कड़ी में साथियों के साथ सहभागिता करते हुए कहा कि,
सभी सम्मानित गुरुजन / शिक्षक / शिक्षिकाओं तथा मेरे भाइयों, बहनों और मेरे सम्मानित दोस्तों को मेरा सादर प्रणाम एवं समतामूलक समाज निर्माण मोर्चा तथा रेल सेवक संघ और स्वतंत्र भारत न्यूज़ पोर्टल की तरफ से सभी को हार्दिक शुभकामनायें और बधाई देते हुए एक नारा लगाना चाहूंगा---
आर्थिक आतंकवादियों, भारत छोड़ो! भारत छोड़ो!!
मेरे भाइयों, बहनों और मेरे सम्मानित दोस्तों,
आज शिक्षक दिवस पर यदि हम सब स्वामी विवेकानन्द जी को और उनके सपनों के भारत की चर्चा न करें तो शिक्षक दिवस अधूरा रह जाएगा।
मेरे भाइयों, बहनों और मेरे सम्मानित दोस्तों,
'समता मूलक समाज निर्माण मोर्चा' सत्ता में आने पर भारतीय प्रतिष्ठा पर गर्व करते हुए स्वामी विवेकानंद के सपनों के भारत का, शहीद ये आजम भगत सिंह, राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी, बाबा साहब आम्बेडकर और डॉक्टर राम मनोहर लोहिया आदि महापुरुषों और क्रांतिकारियों के विचारों के अनुरूप समतामूलक समाज का निर्माण कर उनके सपनों का भारत बनायेगे जिसमें कोई न भूखा रहेगा, न अनपढ़ रहेगा और न कोई बिना इलाज के मरेगा। भारत के सम्पूर्ण विकाश, समृद्धि, शान्ति एवं प्रगति के लिए मोर्चा पूर्ण रूप से समर्पित रहेगा।
मेरे भाइयों, बहनों और मेरे सम्मानित दोस्तों,
स्वामी विवेकानन्द का जन्म १२ फ़रवरी १८६३ को कलकत्ता में हुआ था। उनका विचार था कि, भारतीय कृषि का स्वरुप शिक्षा से बदला जा सकता है। उन्होंने भारत के सम्पूर्ण विकाश, समृद्धि, शान्ति एवं प्रगति के लिए सपने संजोये थे। उनके दृष्टिकोण में आध्यात्मिक और वैज्ञानिक सोच का अद्भुत संगम था जो आज के तथाकथित नायकों में कहीं नज़र नहीं आता है। स्वामी विवेकानंद की 39 वर्ष की अवस्था में ही 1902 ई.में मृत्यु हो गयी थी, लेकिन हम सभी को उनके निधन के पीछे के असली कारणों की जानकारी नहीं है।
मेरे भाइयों, बहनों और मेरे सम्मानित दोस्तों,
*समतामूलक समाज निर्माण मोर्चा* सत्ता में आने पर आर्थिक आतंकवादियों को भारत से बाहर खदेड़ देगा और ''माँ भारती'' को 'आर्थिक गुलामी की बेड़ियों'' से आजादी दिलाएगा।
मेरे भाइयों, बहनों और मेरे सम्मानित दोस्तों,
आज शिक्षक दिवस पर हम प्रस्तुत करना चाहेंगे कि, शिक्षक हमारे जीवन से स्तंभ होते हैं। वह अपना समय देकर हमारे जीवन को संवारते हैं और आगे बढ़ाते हैं। शिक्षक ना सिर्फ हमें शिक्षा देते हैं बल्कि वह हमेशा हमें अच्छा इंसान बनाने की कोशिश करते रहते हैं। उनकी कही बातें ही हमारे जीवन का निखारती हैं।
मेरे भाइयों, बहनों और मेरे सम्मानित दोस्तों,
आज के दिन, देश के पहले उपराष्ट्रपति और महान शिक्षाविद डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म-दिवस होता है जो एक शिक्षक थे।
सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारतीय संस्कृति के संवाहक, प्रख्यात शिक्षाविद और महान दार्शनिक थे।
मेरे भाइयों, बहनों और मेरे सम्मानित दोस्तों,
5 सितंबर 1888 को तमिलनाडु के छोटे से गांव तिरुमनी में जन्मे डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को 27 बार नोबेल पुरस्कार के लिए नामित किया गया था।
मेरे भाइयों, बहनों और मेरे सम्मानित दोस्तों,
1954 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
मेरे भाइयों, बहनों और मेरे सम्मानित दोस्तों,
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने अपने छात्रों से जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने की इच्छा जताई थी इसलिए इस दिन को भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है।
मेरे भाइयों, बहनों और मेरे सम्मानित दोस्तों,
शिक्षक हमारे समाज का निर्माण करते हैं। वहीं हमारे मार्गदर्शक होते हैं। इसलिए हम चाहें कितने भी बड़े क्यों न होने जाए हमें अपने शिक्षकों को कभी नहीं भूलना चाहिए।
मेरे भाइयों, बहनों और मेरे सम्मानित दोस्तों,
यकीन मानिए, हमें जीवन के हर मुश्किल और अच्छे मोड़ पर टीचर्स की सिखाई बातें याद आती रहेंगी। एक कुम्हार जैसे मिट्टी के बर्तन को दिशा देता है, वैसे ही टीचर्स हमारे जीवन को संवारते हैं।
मेरे भाइयों, बहनों और मेरे सम्मानित दोस्तों,
टीचर्स ही हमारी प्रेरणा के स्त्रोत हैं जो हमें हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं।
मेरे भाइयों, बहनों और मेरे सम्मानित दोस्तों,
मैं अंत में एक अच्छी शायरी आप के साथ शेयर करना चाहूंगा-
*साक्षर*हमें बनाते हैं
जीवन क्या है समझाते हैं,
जब गिरते हैं हम हार कर तो साहस वही बढ़ाते हैं,
ऐसे महान व्यक्ति ही शिक्षक कहलाते हैं।
मेरे भाइयों, बहनों और मेरे सम्मानित दोस्तों,
मेरे भाइयों, बहनों और मेरे सम्मानित दोस्तों,
मेरे भाइयों, बहनों और मेरे सम्मानित दोस्तों,
*आर्थिक आतंकवादियों*,
*भारत छोड़ो*! *भारत छोड़ो*!!
शिक्षक दिवस पर सभी गुरुजनों को कोटि-कोटि प्रणाम!