बड़े बंदरगाहों पर परिचालन सेवाओं के लिए सार्वजनिक निजी भागीदारी मॉडल
भारत में वाणिज्यिक जहाजों के संचालन को प्रोत्साहन देने के लिए भारतीय नौवहन कंपनियों को 1,624 करोड़ रुपये का सब्सिडी समर्थन
2024 तक रिसाइक्लिंग क्षमता दोगुनी बढ़कर हो जाएगी 45 लाख एलटीडी, पैदा होंगे 1.5 लाख रोजगार के अवसर
नई दिल्ली (PIB): बड़े बंदरगाहों द्वारा वित्त वर्ष 21-22 के निजी सार्वजनिक भागीदारी के माध्यम से 2,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की सात परियोजनाओं की पेशकश की जाएगी। केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण द्वारा आज संसद में केन्द्रीय बजट, 2021-22 पेश करते समय यह बात कही। उन्होंने कहा कि अपनी संचालन सेवाओं को खुद देखने वाले बड़े-बड़े बंदरगाह अब एक ऐसे मॉडल के रूप में सामने आएंगे, जहां एक निजी भागीदार द्वारा उनका प्रबंधन किया जाएगा।
अपने बजट भाषण में श्रीमती सीतारमण ने भारत में वाणिज्यिक जहाजों को प्रोत्साहन देने के लिए मंत्रालयों और सीपीएसई द्वारा जारी वैश्विक निविदाओं में भारतीय नौवहन कंपनियों को 5 साल के लिए 1,624 करोड़ रुपये की सब्सिडी समर्थन योजना पेश करने का भी प्रस्ताव किया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस पहल से वैश्विक नौवहन में भारतीय कंपनियों की हिस्सेदारी बढ़ाने के अलावा भारतीय नाविकों के लिए प्रशिक्षण और रोजगार के बेहतर अवसर सुलभ हो सकेंगे।
श्रीमती सीतारमण ने 2024 तक शिप रिसाइक्लिंग क्षमता दोगुनी करके 45 लाख लाइट डिसप्लेसमेंट टन (एलडीटी) करने का भी प्रस्ताव किया है। उन्होंने कहा कि यूरोप और जापान से ज्यादा जहाजों को भारत लाने के प्रयास किए जाएंगे, क्योंकि गुजरात में अलंग स्थित लगभग 90 शिप रिसाइक्लिंग यार्ड पहले ही एचकेसी (हॉन्ग कॉन्ग इंटरनेशनल कन्वेंशन) अनुपालन प्रमाण पत्र हासिल कर चुके हैं। इससे देश के युवाओं के लिए 1.5 लाख नौकरियों के अतिरिक्त अवसर पैदा होने का अनुमान है।
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