कैबिनेट ने स्टॉकहोम समझौते के तहत सूचीबद्ध सात स्थायी कार्बनिक प्रदूषकों के सत्यापन को मंजूरी दी और प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए भविष्य में सत्यापन के लिए अपनी शक्तियां सौंपी
नई-दिल्ली (PIB): प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने दीर्घस्थायी कार्बनिक प्रदूषकों (पीओपी) के बारे में स्टॉकहोम समझौते में सूचीबद्ध सात (7) रसायनों के सत्यापन की मंजूरी दे दी है। मंत्रिमंडल ने घरेलू नियमों के तहत विनियमित की गई प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने के उद्देश्य से पीओपी के संबंध मेंअपनी शक्तियां केन्द्रीय विदेश मंत्री (एमईए) और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन (एमईएफसीसी) मंत्री को सौंप दी हैं।
स्टॉकहोम समझौता मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण को पीओपी से बचाने के लिए एक वैश्विक संधि है, जो पहचाने हुए रासायनिक पदार्थहैं जो पर्यावरण में बने रहते हैं, जीवित जीवों में जैव-संचय करते हैं, मानव स्वास्थ्य / पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं और जिसमें लोंग रेंज एनवायरमेंटल ट्रांसपोर्ट (एलआरईटी) की प्रकृति रखते हैं। पीओपी के संपर्क में आने से कैंसर हो सकता है, केन्द्रीय और परिधीय तंत्रिका तंत्र को नुकसान पहुंचता है, प्रतिरक्षा प्रणाली की बीमारियां, प्रजनन संबंधी विकार और सामान्य शिशु और बच्चों के विकास में बाधा आ सकती है। सदस्य देशों के बीच गहन वैज्ञानिक शोध, विचार-विमर्श और वार्ता के बाद स्टॉकहोम समझौते के लिए विभिन्न अनुबंधों में पीओपी सूचीबद्ध हैं।
भारत ने अनुच्छेद 25 (4) के अनुसार 13 जनवरी, 2006 को स्टॉकहोम समझौते की पुष्टि की थीजिसने उसे स्वयं को एक डिफ़ॉल्ट "ऑप्ट-आउट" स्थिति में रखने के लिए सक्षम बनाया, ताकि समझौते के विभिन्न अनुलग्नकों में संशोधन तब तक लागू नहीं हो सके जब तक कि सत्यापन/ स्वीकृति/ अनुमोदन या मंजूरी का प्रपत्र स्पष्ट रूप से संयुक्त राष्ट्र के धरोहर स्थान में जमा न हो जाए।
सुरक्षित वातावरण प्रदान करने और मानव स्वास्थ्य जोखिमों को दूर करने की दिशा में अपनी प्रतिबद्धता को ध्यान में रखते हुए, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) ने पर्यावरण (संरक्षण) कानून, 1986 के प्रावधानों के अंतर्गत 5 मार्च 2018 को ‘दीर्घकालिक जैविक प्रदूषकों के विनियमन' को अधिसूचित किया था। अन्य बातों के अलावा विनियमन में सात रसायनों जैसे (i)क्लोरडीकोन,(ii)हेक्साब्रोमोडीफिनाइल,(iii)हेक्साब्रोमोडीफिनाइल इथर औरपेंटाब्रोमोडीफिनाइल (कमर्शियल पेंटा-बीडीई),(v)पेंटाक्लोरोबेंजीन,(vi)हेक्साब्रोमोसाइक्लोडोडीकेन,और(vii)हेक्साक्लोरोबूटाडीन केउत्पादन, व्यापार, उपयोग, आयात और निर्यात को प्रतिबंधित कर दिया, जोस्टॉकहोम समझौते के अंतर्गत पीओपी के रूप में पहले से ही सूचीबद्ध हैं।
पीओपी के सत्यापन के लिए कैबिनेट की मंजूरी पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य की रक्षा के संबंध में अपने अंतर्राष्ट्रीय दायित्वों को पूरा करने की भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह नियंत्रण उपायों को लागू करने, अनजाने में उत्पादित रसायनों के लिए कार्य योजनाओं को विकसित और कार्यान्वित करने, रसायनों के भंडार के आविष्कारों को विकसित करने और समीक्षा करने के साथ-साथ अपनी राष्ट्रीय कार्यान्वयन योजना (एनआईपी) को अद्यतन करने के लिए पीओपी पर सरकार के संकल्प को भी दर्शाता है। सत्यापन प्रक्रिया भारत को एनआईपी को आधुनिक बनाने में वैश्विक पर्यावरण सुविधा (जीईएफ) वित्तीय संसाधनों तक पहुंचने में सक्षम बनाएगी।
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