एमएनआरई ने भारत में आरई (नवीकरणीय ऊर्जा) उपकरण विनिर्माण पार्कों की स्थापना की दिशा में उठाए बड़े कदम
- तूतिकोरिन पोर्ट ट्रस्ट और मध्य प्रदेश तथा ओडिशा सरकार ने जाहिर की दिलचस्पी चीन से निकलने जा रही कंपनियों को लुभाने के लिए मंत्रालय ने कीं कई पहल व्यापक नीतिगत बदलावों से घरेलू उपयोग और निर्यात के लिए आरई (Renewable Energy)
उपकरण विनिर्माण को मिलेगा प्रोत्साहन भारत की परियोजना डिजाइनिंग और ओएंडएम जैसी सर्वश्रेष्ठ आरई सेवाओं के निर्यात पर है विशेष जोर
- मंत्रालय ने ऐसे पार्कों की स्थापना के लिए 50-500 एकड़ के भूखंडों की पहचान को विभिन्न राज्य सरकारों और बंदरगाह प्राधिकरणों को लिखा है।
नई-दिल्ली (प.सू.का.): नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने घरेलू के साथ ही वैश्विक मांग पूरी करने के लिए देश में नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy) उपकरणों के विनिर्माण के लिए नए हब (केन्द्रों) की स्थापना की दिशा में व्यापक स्तर पर काम करना शुरू कर दिया है। इस उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए मंत्रालय ने ऐसे पार्कों की स्थापना के लिए 50-500 एकड़ के भूखंडों की पहचान को विभिन्न राज्य सरकारों और बंदरगाह प्राधिकरणों को लिखा है। तूतिकोरिन पोर्ट ट्रस्ट, मध्य प्रदेश और ओडिशा राज्य पहले ही आरई विनिर्माण पार्कों की स्थापना में अपनी दिलचस्पी जाहिर कर चुके हैं।
एमएनआरई सचिव श्री आनंद कुमार इस संबंध में पिछले सप्ताह ही आरई विनिर्माण कंपनियों के साथ बैठकें कर चुके हैं। मंत्रालय भारत में इस बेहतरीन अवसर में निवेश को लुभाने के लिए विभिन्न देशों के व्यापार आयुक्तों/प्रतिनिधियों के साथ भी संपर्क में है। एमएनआरई सचिव ने इसी सप्ताह वेबिनार के माध्यम से अमेरिका भारत रणनीतिक भागीदारी मंच को भी संबोधित किया था और अमेरिकी कंपनियों से भागीदारी तथा निवेश की मांग की।
इन हबों में सिलिकन इनगॉट्स और वाफर्स, सोलर सेल्स और मॉड्यूल्स, पवन (विंड) उपकरण और बैक शीट जैसे सहायक सामान, ग्लास, स्टील फ्रेम, इन्वर्टर, बैटरी आदि कलपुर्जों का विनिर्माण किया जाएगा। वर्तमान में भारत की 10 जीडब्ल्यू विंड उपकरण विनिर्माण क्षमता है। सोलर सेल्स और मॉड्यूल्स के मामले में भारत लगभग 85 प्रतिशत उपकरणों का विदेश से आयात करता है। घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहन देने के लिए भारत सरकार पहले ही आयातित सोलर सेल्स और मॉड्यूल्स पर बेसिक कस्टम ड्यूटी लगाने के प्रावधान की घोषणा कर चुकी है।
यह भी कहा जा सकता है कि ऐसे समय में जब कई कंपनियां अपने विनिर्माण आधार को चीन से स्थानांतरित करने की योजना बना रही हैं, ऐसे में भारत में विनिर्माण को सुविधाजनक बनाने और प्रोत्साहित करने को नीति लाने का एक अच्छा अवसर है। इस क्रम में एमएनआरई ने आरई सेक्टर में निवेश को आसान बनाने के लए आरई उद्योग सुविधा एवं संवर्धन बोर्ड की स्थापना की है। मंत्रालय ने निवेशकों का भरोसा बढ़ाने के लिए बिजली खरीद समझौते (पीपीए) में नियमों को भी मजबूत बनाया है। इसके साथ ही बिजली और आरई क्षेत्र की तीन एनबीएफसी कंपनियों पीएफसी, आरईसी और आईआरईडीए ने सेक्टर की नई परियोजनाओं के लिए कोष की उपलब्धता बढ़ाने के लिए अपने पुनर्भुगतान शुल्कों को 2 प्रतिशत तक घटा दिया है। वहीं आईआरईडीए ने भारत में आरई विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए परियोजना केंद्रित वित्तपोषण के लिए नई योजना शुरू की है।
इसके अलावा मंत्रालय परियोजना डिजाइनिंग, परिचालन एवं रखरखाव जैसी आरई सेवाओं के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए विशेष प्रयास कर रहा है। आज भारत के आरई सेक्टर में परियोजना एवं ग्रिड विकास और रखरखाव में अपनाई गई प्रक्रियाएं दुनिया में सर्वश्रेष्ठ हैं। इस प्रकार भारत से आरई सेवाओं के निर्यात के लिए यह अच्छा अवसर है।
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