सरकार ने बैंक पुनर्पूंजीकरण परिव्यय को चालू वित्त वर्ष में बढ़ाकर 106000 करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव संसद में रखा
विकास इंजन के रूप में बैंकिंग क्षेत्र पर विशेष जोर देन के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को और अधिक नई पूंजी मुहैया कराई जाएगी ष्पीसीएष् से बाहर निकलने के लिए बेहतर प्रदर्शन करने वाले पीसीए बैंकों को पर्याप्त पूंजी दी जाएगी
नई-दिल्ली: वित्त मंत्रालय ने बताया कि, सरकार ने आर्थिक विकास की गति तेज करने एवं दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में भारत की स्थिति को और ज्यादा मजबूत करने के उद्देश्य से बैंक पुनर्पूंजीकरण परिव्यय को चालू वित्त वर्ष में 65,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 1,06,000 करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव बृहस्पतिवार को संसद में रखा। इससे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) को आने वाले कुछ महीनों में 83,000 करोड़ रुपये से भी अधिक की नई पूंजी मुहैया कराना संभव हो पाएगा।
ज्यादा नई पूंजी देने के प्रावधान के उद्देश्य ये हैं:
•पूंजी से जुड़े नियामकीय मानकों को पूरा करना।
•बेहतर प्रदर्शन करने वाले पीसीए बैंकों को पूंजी मुहैया करना, ताकि वे 9 प्रतिशत के पूंजी- जोखिम भारित परिसम्पत्ति अनुपात (सीआरएआर), 1.875 प्रतिशत के पूंजी संरक्षण बफर और 6 प्रतिशत की शुद्ध एनपीए सीमा को हासिल कर सकें। इससे उन्हें पीसीए के दायरे से बाहर आने में आसानी होगी।
•पीसीए से जुड़ी कुछ सीमाओं के उल्लंघन की स्थिति में आ चुके गैर.पीसीए बैंकों को सहूलियत देनाए ताकि वे उल्लंघन से बच सकें।
•नियामकीय एवं विकास पूंजी मुहैया करा के विलय कर रहे बैंकों को सुदृढ़ बनाना।
सरकार की '4 आर' अवधारणा के तहत बैंकिंग प्रणाली में व्यापक बदलाव के साथ व्यवस्था को दुरुस्त करने के बाद अब बैंकों को और भी अधिक नई पूंजी उपलब्ध कराने से बैंक वित्तीय दृष्टि से वैश्विक मानकों की तुलना में बेहतर स्थिति में हो जायेंगे। '4 आर' की अवधारणा में रिकग्निशन (पहचान करना), रिसोल्यूशन (समाधान), रिकैपिटलाइजेशन (पुनर्पूंजीकरण) और रिफॉर्म (सुधार) शामिल हैं।
'4 आर' की अवधारणा का प्रमुख असर कुछ इस तरह से हुआ है:
•पीएसबी का सकल एनपीए मार्च, 2018 में शिखर पर पहुंचने के बाद घटने लगा है। चालू वित्त वर्ष की प्रथम छमाही के दौरान इसमें 23,860 करोड़ रुपये की कमी दर्ज की गई है।
•पीएसबी के 31 से 90 दिन तक गैर.अदायगी वाले गैर-एनपीए खातों में 5 लगातार तिमाहियों के दौरान 61 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। यह जून, 2017 के 2.25 लाख करोड़ रुपये से घटकर सितंबर, 2018 में 0.87 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर आ गया है। इसकी बदौलत जोखिम वाले ऋणों में उल्लेखनीय कमी आई है।
•पीएसबी का प्रावधान कवरेज अनुपात (पीसीआर) मार्च, 2015 के 46.04 प्रतिशत से बढ़कर सितम्बर, 2018 में 66.85 प्रतिशत के स्तर पर आ गया है। इससे नुकसान को खपाने संबंधी बैंकों की क्षमता बढ़ गई है।
चालू वित्त वर्ष की प्रथम छमाही में पीएसबी ने 60.726 करोड़ रुपये की रिकॉर्ड रिकवरी की है जो पिछले वर्ष की समान अवधि में हुई रिकवरी राशि की तुलना में दोगुनी से भी अधिक है।
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