वर्षांत समीक्षा 2018 (प्रथम अंक): श्रम कल्याण के नाम पर उपलब्धियाँ: श्रम एवं रोजगार मंत्रालय
नई-दिल्ली: श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने वर्षांत समीक्षा 2018 रिपोर्ट जारी की है जिसे दो अंकों मेंं प्रस्तुत किया जा रहा है:
:प्रथम अंक:
श्रम एवं रोजगार मंत्रालय प्रत्येक कामगार को रोजगार में सुरक्षा, मजदूरी में सुरक्षा और सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए कृतसंकल्प है।
श्रम कानूनों को लागू करने में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने के साथ ही मंत्रालय ने वर्ष के दौरान सामाजिक सुरक्षा, रोजगार के अवसर और गुणवत्ता बढ़ाने के प्रावधान के जरिये प्रत्येक कामगार की प्रतिष्ठा स्थापित करने के लिए महत्वपूर्ण पहलें की।
I. श्रम कल्याण की प्रमुख उपलब्धियां:
श्रम कोड: श्रम पर दूसरे राष्ट्रीय आयोग की सिफारिशों की तर्ज पर मंत्रालय ने वर्तमान केन्द्रीय श्रम कानूनों के महत्वपूर्ण प्रावधानों को मिलाकरए सरल और युक्ति संगत बनाया है।
चार श्रम कोडो 1. मजदूरी; 2. औद्योगिक संबंध; 3. सामाजिक सुरक्षा एवं कल्याण और 4. व्यावसायिक सुरक्षाए स्वास्थ्य और काम करने की स्थितियों को प्रतिपादित करने के लिए कदम उठाये गए हैं।
1. मजदूरी विधेयक पर कोड:
लोकसभा में 10 अगस्तए 2017 को मजदूरी विधेयक कोड का मसौदा पेश किया गया और श्रम पर संसद की स्थायी समिति द्वारा इसका अध्ययन किया गया है। स्थायी समिति की रिपोर्ट का इंतजार है।
2. औद्योगिक संबंधों पर कोड:
संसद में औद्योगिक संबंधों पर श्रम कोड विधेयक 2018 का प्रस्ताव पेश करने के लिए, विधेयक के साथ मंत्रिमंडल के लिए मसौदा तैयार करके इसे विचार और टिप्पणियां प्राप्त करने के उद्देश्य से मंत्रालयों के बीच विचार के लिए 8 फरवरी 2018 को भेजा गया। मंत्रालयों/ विभागों से प्राप्त टिप्पणियों का अध्ययन करने के बाद औद्योगिक संबंधों के मसौदे में सुधार किया गया। विधि और न्याय मंत्रालय के विधि विभाग द्वारा कोड के पुनरीक्षण के बाद मंत्रिमंडल के नोट का मसौदा औद्योगिक संबंध विधेयक पर कोड, 2018 के साथ विचार के लिए 5 नवम्बर, 2018 को मंत्रिमंडल सचिवालय को भेजा गया।
3. सामाजिक सुरक्षा और कल्याण पर कोड:
सामाजिक सुरक्षा और कल्याण पर कोड का प्रारंभिक मसौदा 16 मार्च 2017 को मंत्रालय की वेबसाइट पर डाला गया। इसमें साझेदारों/ जनता की टिप्पणियां आमंत्रित की गई। विभिन्न साझेदारों की टिप्पणियों पर विचार करने के बाद सामाजिक सुरक्षा और कल्याण पर कोड 2018 का एक संशोधित मसौदा मंत्रालय की वेबसाइट पर 1 मार्च 2018 को अपलोड किया गया, इसमें साझेदारों/ जनता की सुझाव/ टिप्पणियां आमंत्रित की गई। सामाजिक सुरक्षा और कल्याण पर कोड विधेयक, 2018 पर विचार-विमर्श के लिए केन्द्रीय ट्रेड यूनियन संगठनों, नियोक्ता एसोसिएशनों और श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) की अध्यक्षता में राज्य सरकारों/ संघ शासित प्रदेशों के साथ 27 नवम्बर 2018 को त्रिपक्षीय विचार-विमर्श बैठक बुलाई गई। इस विधेयक के साथ मंत्रिमंडल के लिए मसौदे का एक नोट हाल ही में अंतर-मंत्रालयी विचार-विमर्श के लिए भेजा गया।
4. व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और काम करने की स्थितियों पर कोड:
व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और काम करने की स्थितियों पर कोड का प्रारंभिक मसौदा तैयार किया गया और आम जनता सहित साझेदारों के सुझाव/ टिप्पणियां आमंत्रित करने के लिए इसे मंत्रालय की वेबसाइट पर डाला गया। व्यावसायिक सुरक्षा स्वास्थ्य और काम करने की स्थितियों पर कोड के मसौदे पर विचार-विमर्श के लिए केन्द्रीय ट्रेड यूनियन संगठनों, नियोक्ता एसोसिएशनों और श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) की अध्यक्षता में राज्य सरकारों/ संघ शासित प्रदेशों के साथ 22 नवम्बर 2018 को त्रिपक्षीय विचार-विमर्श बैठक बुलाई गई। मंत्रिमंडल के नोट के मसौदे के साथ व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और काम करने की स्थितियों पर विधेयक, 2018 के मसौदे को हाल ही में अंतर- मंत्रालयी विचार-विमर्श के लिए भेजा गया।
श्रम सुविधा पोर्टल:
श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने एक समेकित वेब पोर्टल "श्रम सुविधा पोर्टल" विकसित किया, ताकि श्रम कानूनों को लागू करने में पारदर्शिता और जवाबदेही लाई जा सके तथा इनका पालन करने की जटिलता को दूर किया जा सके।
श्रम सुविधा पोर्टल पर प्रतिष्ठानों की सुविधाओं की उपलब्धता इस प्रकार है:
i) कम्प्यूटरीकृत प्रणाली के जरिये जोखिम आधारित मानदंडों पर पारदर्शी श्रम निरीक्षण योजना और श्रम निरीक्षकों द्वारा 72 घंटे के भीतर निरीक्षण रिपोर्टों को अपलोड करना। रिपोर्टों को अपलोड करने की समयावधि 5 नवम्बर 2018 से कम होकर 48 घंटे हो गई है।
ii) ईएसआईसी और ईपीएफओ के लिए साझा पंजीकरण
iii) ईएसआईसी और ईपीएफओ के लिए साझा ईसीआर
iv) खनन कानून, 1952 के अन्तर्गत 8 केन्द्रीय कानूनों और तीन रिटर्न के लिए एकल वार्षिक ऑनलाइन रिटर्न
v) प्रवर्तन एजेंसियों के लिए श्रम निरीक्षण योजना के अलावा केन्द्रीय श्रम नियमन और उन्मूलन कानून, 1970 और अन्तर.राज्य प्रवासी कामगार (रोजगार नियमन और सेवा शर्तें) कानून 1979 के अंतर्गत ऑनलाइन लाइसेंसिंग।
vi) तीन कानूनों यानी ठेके पर श्रम नियमन और उन्मूलन कानून 1970, अन्तर-राज्य प्रवासी कामगार (रोजगार नियमन और सेवा शर्तें) कानून 1979 तथा इमारत और अन्य निर्माण कामगार (रोजगार नियमन और सेवा शर्तें) कानून 1996 के अंतर्गत मुख्य श्रम आयुक्त (केन्द्रीय) द्वारा ऑनलाइन पंजीकरण।
मातृत्व लाभ (संशोधन) कानून 2017, जो 01 अप्रैल 2017 से प्रभावी होगा:
वेतन के साथ मातृत्व अवकाश 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह करने से 18 लाख महिला कर्मचारियों को लाभ हुआ। हाल ही में सरकार ने नियोक्ताओं को प्रोत्साहित करने के लिए 7 सप्ताह के वेतन के भुगतान का प्रस्ताव रखा है। इस नीति को उपयुक्त मंच से मंजूरी मिलने के बाद अंतिम रूप दिया जाएगा।
ग्रेच्यूइटी भुगतान (संशोधन) विधेयक, 2018
इस संशोधन विधेयक को लोकसभा ने 15 मार्च 2018 को और राज्य सभा ने 22 मार्च 2018 को पारित कर दिया। इसे 29 मार्च 2018 को अमल में लाया गया। इस कानून के अंतर्गत गेच्यूइटी की राशि की वर्तमान ऊपरी सीमा को 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये कर दिया गया है।
नौवहन पुनर्चक्रण उद्योग के लिए समझौता ज्ञापनः
फैक्टरी सलाह सेवा और श्रम संस्थान महानिदेशालय (डीजीएफएएसएलआई) और गुजरात समुद्री बोर्ड (जीएमबी) ने 11 जुलाई 2018 को अलंग में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये।
इस समझौता ज्ञापन से नौवहन पुनर्चक्रण उद्योग के कामकाज में सकारात्मक बदलाव आएगा और अलंग में बड़ी संख्या में कार्यरत कर्मचारियों और निरीक्षकों की सुरक्षा और स्वास्थ्य में सुधार होगा।
सामाजिक और श्रम क्षेत्र में अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर:
केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने ब्राजील, रूसी संघ, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका के बीच सामाजिक और श्रम क्षेत्र में सहयोग के संबंध में एक समझौता ज्ञापन को मंजूरी दे दी।
इस पर ब्रिक्स श्रम और रोजगार मंत्रियों (एलईएम) की बैठक के दौरान 03 अगस्त 2018 को हस्ताक्षर किये गये थे।
समझौता ज्ञापन नई औद्योगिक क्रांति में समग्र विकास और साझा समृद्धि के उद्देश्य से ब्रिक्स सदस्य देशों के बीच सहयोग और अधिकतम सामंजस्य के लिए एक तंत्र प्रदान करेगा।
इससे सदस्य देशों को ज्ञान बांटने और श्रम और रोजगार, सामाजिक सुरक्षा और सामाजिक बातचीत के मुद्दे पर संयुक्त कार्यक्रम लागू करने में मदद मिलेगी।
श्रम और रोजगार के क्षेत्र में प्रशिक्षण और शिक्षा के लिए भारत और इटली के बीच एक अन्य समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गये।
कामगार शिक्षा कार्यक्रम:
दत्तोपंत ठेंगड़ी राष्ट्रीय कामगार शिक्षा और विकास बोर्ड ने संगठित क्षेत्र के कामगारों के लिए 899, असंगठित क्षेत्र के कामगारों के लिए 2,733 और मनरेगा सहित ग्रामीण कामगारों के लिए 670 प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किये।
जन शिकायत निवारण, श्रम एवं रोजगार मंत्रालय को 01 जनवरी 2018 से 30 नवम्बर 2018 के दौरान 33,680 शिकायतें प्राप्त हुई, इनमें से सीपीजीआरएएमएस (केन्द्रीकृत जन शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली) पोर्टल के जरिये 32,837 शिकायतों का निपटारा किया गया।
खान मजदूरों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए उठाए गए कदम:
खान अधिनियम 1952 के प्रावधानों के तहत अनुमति, अपवाद, रियायत और मंजूरी इत्यादि पहले हितधारकों को ऑफलाइन आवेदन देने पर दी जाती थी।
डिजिटल इंडिया पहल के अंतर्गत "मंजूरी प्रणाली", अनुमति/अपवाद/ रियायत प्रणाली और "राष्ट्रीय सुरक्षा नियम (खान) प्रणाली नामक 3 सॉफ्टवेयर विकसित किए गए और उन्हें प्रत्यक्ष बनाया गया।
"डिजिटल डीजीएमएस" के अंग के रूप में "दुर्घटना एवं सांख्यिकी प्रणाली" और "खाता एवं बजट प्रणाली" नामक दो और सॉफ्टवेयर विकसित किए गए। इनका परीक्षण चल रहा है। सॉफ्टवेयर के कारण पारदर्शिता, जवाबदेही और कामों का तेज निपटान संभव होगा।
कोयला खदानों के लिए "जोखिम आधारित निरीक्षण प्रणाली" के लिए उपायों को विकसित किया गया।
इस उद्देश्य के लिए एनआईसी ने सॉफ्टवेयर को विकसित किया और श्रम सुविधा पोर्टल में शामिल करके इसे लागू किया गया।
धातु की खदानों के लिए जोखिम आधारित निरीक्षण प्रणाली पर काम चल रहा है और 2018-19 के दौरान इसे विकसित कर लिया जाएगा।
श्रम सुविधा पोर्टल के जरिये ऑनलाइन मूल्यांकन के लिए निरीक्षण किया जाएगा, जो सभी वर्गों की खानों के विषय में वास्तविक जोखिम रेटिंग को प्राथमिकता देने पर होगा।
खान सुरक्षा महानिदेशालय ने 110 खानों में जोखिम मूल्यांकन अध्ययन और सुरक्षा प्रबंधन योजना की तैयारी का रास्ता तैयार किया है। इस प्रणाली से सुरक्षा प्रबंधन के लिए अधिक सक्रिय प्रणाली तैयार हुई है।
"पत्थर की खदानों में धूल संबंधी रोगों के बहु-केंद्रित अध्ययन और सतत रोकथाम कार्यक्रम के विकास" पर एनआईएमएच, नागपुर के साथ एक संयुक्त परियोजना के तहत तेलंगाना के नालगोंडा तथा राजस्थान के करावली, धौलपुर, जोधपुर, नागौर और भरतपुर, मध्यप्रदेश में विदिशा तथा पश्चिम बंगाल में बीरभूम जिलों में मैदानी अध्ययन सफलतापूर्वक किये गए। कुल 2539 मजदूरों की चिकित्सा जांच की गई और सिलिकोसिस से पीड़ित 136 व्यक्तियों की पहचान की गई।
विभिन्न राज्यों के कई क्षेत्रों में डीजीएमएस ने असंगठित क्षेत्र की पत्थर की खानों में काम करने वाले 9863 मजदूरों का पेशागत स्वास्थ्य सर्वेक्षण किया। सर्वेक्षण में संबंधित राज्य प्रशासन की सहायता ली गई। सिलिकोसिस से पीड़ित 211 व्यक्तियों की पहचान की गई।
तय अवधि का रोजगारः
श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने सभी सेक्टरों के लिए "तय अवधि का रोजगार करने वाले मजदूर" वर्ग को औद्योगिक रोजगार (स्थाई आदेश) अधिनियम, 1946 में शामिल किया है और 16 मार्च 2018 को जारी अधिसूचना संख्या जीएसआर 235 (ई) के जरिये नियम बनाए हैं।
तय अवधि के रोजगार का लक्ष्य कर्मचारियों को रियायत प्रदान करना है, ताकि भूमंडलीकरण, नए व्यवहारों और व्यापार करने की आसानी की चुनौतियों से निपटा जा सके।
इसके अलावा यह कामगारों के लिए फायदेमंद भी है, क्योंकि इसके तहत मजदूरों को वही कानूनी लाभ मिलेंगे, जो नियमित कामगारों को मिलते हैं। इससे ठेका मजदूरों के शोषण में भी भारी कमी आएगी, क्योंकि बिना बिचौलिये के नियोक्ता सीधे मजदूरों को नियत समय अवधि के लिए ठेके पर रखेगा।
II. ईपीएफओ द्वारा उठाए गए प्रमुख कदम:
फरवरी 2018 में यूनीफाइड पोर्टल के मेम्बर इंटरफेस पर सदस्यों के नामांकन (फार्म-2) फाइल करने की ऑनलाइन सुविधा दी गई। ऑनलाइन नामांकन में सदस्य द्वारा जमा किए गए नामांकन को अधिकृत करने के लिए आधार संबंधी ई.हस्ताक्षर का इस्तेमाल किया जा रहा है। इस तरह नियोक्ता को यह प्रमाणित करने की जरूरत नहीं है कि नामांकन पर उसके सामने हस्ताक्षर किए गए।
10 अक्टूबर 2018 तक 26,885 ऑनलाइन ई-नामांकनों को मंजूरी दी गई।
पेंशनधारियों के पोर्टल को मार्च 2018 में शुरू किया गया। इसके जरिये सभी ईपीएफओ पेंशनधारी पेंशन भुगतान आदेश संख्या, पेंशनधारी भुगतान आदेश विवरण, पेंशनधारी पासबुक, पेंशन खाते में आने की तारीख, डिजिटल जीवन प्रमाणीकरण सूचना संबंधी सभी सूचनाएं प्राप्त कर सकते हैं।
प्रतिष्ठान के पंजीकरण के समय नियोक्ता को डिजिटल रूप से हस्ताक्षरित पैनकार्ड की प्रतिलिपि अपलोड करनी होगी। पंजीकरण के समय पैनकार्ड की स्कैन कॉपी जमा करने की आवश्यकता को समाप्त करने के लिए ऑनलाइन प्रणाली शुरू की गई है, जिसके तहत आयकर विभाग से सीधे पैनकार्ड का विवरण प्रमाणित किया जा सकता है। 10 अक्टूबर, 2018 तक 80,706 नियोक्ताओं ने इस सुविधा का लाभ उठाया। व्यापार करने की आसानी के लिए धारा 14 बी के तहत क्षति के भुगतान और गणना तथा विलंबित भुगतान के लिए धारा 7 क्यू के तहत ऑनआइन सुविधा शुरू की गई। इसके पहले इन धाराओं के तहत भुगतान के लिए नियोक्ताओं को नोटिस भेजी जाती थी। नई सुविधा के तहत नियोक्ता खुद तुरंत भुगतान करने के संबंध में विलंबित भुगतानों के मामले चुन सकता है। इसके तहत चालान अपने आप तैयार हो जाएगा, जिसमें भुगतान के लिए बकाए का उल्लेख होगा। नियोक्ता को ईपीएफओ के दफ्तरों में जाने की आवशयकता नहीं होगी।
नियोक्ताओं की सुविधा के लिए फार्म 5, को जमा करने की जगह प्रतिष्ठान यह फार्म ऑनलाइन जमा कर सकते हैं, जिस पर नियोक्ताओं के डिजिटल/ ई-हस्ताक्षर होंगे। 10 अक्टूबर, 2018 तक 5873 नियोक्ताओं ने इस सुविधा का लाभ उठाया।
प्रधानमंत्री रोजगार प्रोत्साहन योजना के तहत सरकार अब पूर्ण नियोक्ता योगदान (ईफीएफ और ईपीएस) का भुगतान कर रही है। यह नए कर्मचारियों के संबंध में 3 वर्षों की अवधि के लिए एक अप्रैल 2018 से प्रभावी है। इसके अलावा शेष 3 सालों की अवधि के लिए मौजूदा लाभार्थियों को भी यह सुविधा मिलेगी। 01 अप्रैल 2018 से पहले इस योजना के तहत सरकार नियोक्ता द्वारा किए जाने वाले योगदान (मजदूरी का 12 प्रतिशत) के मद्देनजर केवल ईपीएस का हिस्सा (मजदूरी का 8.33 प्रतिशत) प्रदान करती थी।
नियोक्ता, विशेषकर ठेकेदार किसी कर्मचारी के पूर्ण कार्यकाल के लिए भविष्य निधि में अपना योगदान प्रदान करें, यह सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने एक निगरानी प्रणाली बनाई है। इसके संबंध में मजदूरी विश्लेषण रिपोर्ट को सीएआईयू पर उपलब्ध किया गया है। इसके जरिये पदाधिकारी अपने जोन/ क्षेत्रीय कार्यालयों के संबंध में प्रतिष्ठानों के लिए मजदूरी के विश्लेषण को देख सकता है। वह आवश्यकता पड़ने पर यह सुनिश्चित कर सकता है कि कर्मचारी द्वारा ईसीआर के विवरण का सत्यापन हो सकेए ताकि कर्मचारियो के संबंध में सही ब्यौरा तथा नियमों का पूरा पालन संभव हो सके।
प्रशासनिक शुल्कों की दर 0.65 प्रतिशत से घटाकर 0.05 प्रतिशत कर दी गई। यह ईपीएफ योजना 1952 के संबंध में है। इसके तहत जिस गैर-कार्यशील प्रतिष्ठान में कोई योगदान करने वाला सदस्य न हो उसके विषय में न्यूनतम 75 रुपये प्रति माह और अन्य प्रतिष्ठानों के लिए हर प्रतिष्ठान की मद में 500 रुपये प्रति माह का प्रावधान है।
गलत आधार संख्या के कारण डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र के रद्द होने वाले मामलों को दुरुस्त करने के लिए एक नई सुविधा शुरू की गई। इस सुविधा का उद्देश्य पेंशनधारियों की शिकायतों को कम करना और उन्हें अड़चनों से मुक्त सेवा प्रदान करना है।
अंतर-कार्यालयी अंतरण दावों के गलत निपटारे के कारण उनके रद्दे होने तथा सही विवरणों के साथ दावों को दोबारा निपटाने के लिए एक नई सुविधा शुरू की गई। यह सुविधा दावों के निपटारों को दुरुस्त बनाने और सेवा प्रदाताओं के बेहतर कामकाज को सुनिश्चित करने के लिए 5 अक्टूबर 2018 को शुरू की गई।
ऑनलाइन नामांकन (ई.नॉमिनेशन), उमंग ऐप्प के माध्यम से यूएएन को आधार से जोड़ने तथा बायोमेट्रिक परिचय का उपयोग करते हुए ईकेवाईसी पोर्टल में यूएएन को ऑनलाइन रूप से आधार के साथ जोड़ने के कदम उठाए गए।
वर्तमान में 11.3 लाख से अधिक कवर किए गए प्रतिष्ठानों में 20 करोड़ से अधिक खातों के साथ ईपीएफओ 190 उद्योगों (ईपीएफ अधिनियम की अनुसूची 1 में वर्णित) को कवर करता है।
29 अक्टूबर 2018 तक ईपीएफओ के 63.2 लाख पेंशनभोगियों के लिए 55.3 लाख जीवन प्रमाण प्राप्त हुए हैं और 49.4 लाख को स्वीकृति दी गई है।
जिन सदस्यों का यूएएन आधारयुक्त रूप में सक्रिय किया गया है उनसे 11.10.2018 तक 47,50,315 दावे (फॉर्म 19ए10सी तथा 31) ऑनलाइन प्राप्त किए गए। इनमें से 34,24,063 दावे का निपटान कर दिया गया है।
आधार से अपने यूएएन के जुड़ने की स्थिति को जानने के लिए 10.10.2018 तक 23,75,369 सदस्यों ने "ट्रैक यूएएन फंक्शनैलिटी" का इस्तेमाल किया है।
नियोक्ताओं द्वारा 11.10.2018 तक 2,92,970 आधार आधारित ई-साईन का उपयोग किया गया है। ई-साईन उपयोगकर्ता अनुकूल ऑनलाइन इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर सेवा है। इसके तहत पहले से डीएससी दर्ज करने वाले प्रतिष्ठान के अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता एकीकृत पोर्टल पर आधार संख्या देकर दस्तावेज हस्ताक्षर करने के लिए प्रत्यक्ष रूप से अपना ई-साईन सक्रिय कर सकते हैं।
11.10.2018 तक उमंग ऐप्प के माध्यम से 1,52,272 दावे दाखिल किए गए हैं।
III . ईएसआईसी द्वारा उठाए गए प्रमुख कदम:
डिस्पेंसरी सह शाखा कार्यालय (डीसीबीओ):
ईएसआईसी ने अपनी डिलीवरी व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए डिस्पेंसरी सह शाखा कार्यालय (डीसीबीओ) के रूप में चरणबद्ध तरीके से देश के प्रत्येक जिले में कम से कम एक सम्पर्क स्थान स्थापित करना प्रारंभ किया है ताकि प्राथमिक चिकित्सा सेवाएं दी जा सकें और नकद लाभ की डिलीवरी की जा सके।
संशोधित नियोक्ता उपयोग डिस्पेंसरी (संशोधित ईयूडी):
पायलट आधार पर संशोधित नियोक्ता उपयोग डिस्पेंसरी (ईयूडी) स्थापित करने का निर्णय लिया गया है। इसका उद्देश्य ईएसआईसी की प्राथमिक देखभाल सेवाओं के विस्तार में हितधारकों की भागीदारी को मजबूत बनाना है। डिस्पेंसरी स्थापित करने के लिए उचित परिसर किराए पर लिए जाएंगे। परिसर बीमित व्यक्तियों (आईपी) के आवासीय क्षेत्र के क्लस्टरों के आस.पास लिए जाएंगे। ईएसआईसी फर्नीचर, उपकरण तथा दवाईयां उपलब्ध कराएगा। नियोक्ता कर्मियों की नियुक्ति करेगा और डिस्पेंसरी के कामकाज की देखरेख करेगा।
अटल बीमित व्यक्ति कल्याण योजनाः
रोजगार के तरीके में परिवर्तन तथा भारत में दीर्घकालिक रोजगार से संविदा रूप में परिवर्तित अल्पकालिक रोजगार की वर्तमान स्थिति पर विचार करते हुए ईएसआईसी ने अटल बीमित व्यक्ति कल्याण योजना को स्वीकृति दी है। यह योजना कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियमए 1948 के अंतर्गत कवर किए गए बीमित व्यक्तियों के लिए है। योजना बेरोजगारी की स्थिति तथा नए रोजगार की तलाश के समय बीमित व्यक्तियों के बैंक खाते में प्रत्यक्ष रूप से नकद भुगतान राहत है।
संशोधित बीमा चिकित्सक (आईएमपी) योजना 2018:
ईएसआईसी ने सिंद्धात रूप में संशोधित बीमा चिकित्सक (आईएमपी) योजना, 2018 को स्वीकृति दे दी है ताकि पायलट आधार पर आईएमपी योजना को आकर्षक बनाया जा सके। आवश्यकता के अनुसार इस योजना का विस्तार नए क्षेत्रों तथा वर्तमान क्षेत्रों में किया जाएगा। उन क्षेत्रों में जहां ईएसआईसी की चिकित्सा सुविधा नहीं है और ऐसे क्षेत्र में जहां योजना पहली बार लागू की गई है वहां प्राथमिक चिकित्सा सुविधा नकद रहित रूप में दी जाती है। यह सुविधा बीमा चिकित्सक आईएमपी के साथ सहयोग व्यवस्था के माध्यम से दी जाती है। इससे पहले आईएमपी की नियुक्ति सामान्यतः निदेशक बीमा चिकित्सा योजना (डीआईएमएस), ईएसआईसी योजना द्वारा की जाती थी और प्रति वर्ष प्रत्येक बीमित व्यक्ति को 500 रुपये का भुगतान किया जाता था जिसमें डॉक्टरी परामर्श, मूल प्रयोगशाला जांच तथा दवाईयों की कीमत शामिल थी।
अ) संशोधित योजना के अंतर्गत आईएमपी स्वास्थ्य पासबुक में उपलब्ध चिकित्सा सूची (आवश्यक दवाईयों की राष्ट्रीय सूची तथा मूल जांच से ली गई) के अनुसार हस्ताक्षर के साथ दवा लिखेंगे और ऐप्प में नुस्खे का फोटो अपलोड करेंगे।
ब) मोबाइल ऐप्प के अतिरिक्त आईएमपी एक वर्ष में 7 दिनों का तथा अधिक से अधिक 30 दिनों के लिए बीमारी लाभ की सिफारिश कर सकते हैं बशर्ते चिकित्सा निर्णायक/ डीसीबीओ डॉक्टर द्वारा ऐसी सिफारिश की पुष्टि की गई हो। लाभ को बीमित व्यक्ति के खाते में भेज दिया जाएगा।
(शेष अगले अंक में....)
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