अधर में लटके भविष्य पर संसद में बवाल
नयी दिल्ली: असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) की दूसरी सूची में 40 लाख लोगों का नाम नहीं होने के मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रमुख अमित शाह और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को जोरदार तरीके से अपनी आवाज बुलंद की। एक तरफ शाह ने ममता और बाकी विपक्ष पर राष्ट्रीय सुरक्षा की कीमत पर वोट बैंक की राजनीति करने का आरोप लगाया वहीं दूसरी तरफ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने कहा कि सत्तासीन पार्टी विभाजनकारी राजनीति में लिप्त है और इससे गृहयुद्ध और रक्तपात जैसा माहौल बन सकता है। कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों द्वारा हंगामा करने के बाद जब राज्यसभा में एनआरसी के मुद्दे पर चर्चा शुरू हुई तब शाह ने पूछा कि क्या कांग्रेस ‘अवैध बांग्लादेशियों’ को बचाना चाहती है।
इस मामले पर उच्चतम न्यायालय ने कहा कि असम की एनआरसी मसौदा जारी होने का अर्थ नहीं है किजिन लोगों के नाम इसमें शामिल नहीं हैं उनके खिलाफ इस आधार पर कोई दंडात्मक कार्रवाई शुरू की जा सकती है क्योंकि अभी यह सिर्फ मसौदा ही है। अदालत ने केंद्र से कहा कि असम के एनआरसी के संबंध में दावों और आपत्तियों को देखने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया तैयार करे।
इस बीच कांग्रेस, वाम दल और अन्य दलों में इस बात को लेकर चिंता बढ़ती दिखी कि कृषि क्षेत्र के संकट, राफेल लड़ाकू विमान सौदा और दलितों के खिलाफ उत्पीडऩ को मोदी सरकार के खिलाफ बड़ा मुद्दा बनाने की उनकी कोशिशों पर एनआरसी से जुड़ा विवाद पानी फेर सकता है। कांग्रेस राफेल मसले पर संयुक्त संवाददाता सम्मेलन आयोजित कराने के लिए विपक्षी दलों का साथ चाह रही है। 9 अगस्त को कृषि क्षेत्र के संकट और दलित उत्पीडऩ से जुड़े कानून को कमजोर बनाने के मुद्दे पर सक्रिय कार्यकर्ताओं के समूहों और श्रम संगठनों ने दिल्ली में सार्वजनिक रैली आयोजित करने की योजना बनाई है।
कांग्रेस ने असम एनआरसी को एक मानवीय मुद्दा कहना जारी रखा है और उसे उम्मीद है कि आने वाले दिनों में पूरा विवाद भाजपा के खिलाफ जा सकता है क्योंकि यह धार्मिक से ज्यादा भाषाई मसला है। कांग्रेस के नेता गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा ने कहा कि न केवल मुस्लिम बल्कि असम, बिहार और बांग्ला भाषी लोगों तथा असम में देश के विभिन्न हिस्सों के लोगों पर एनआरसी का असर पड़ेगा जो कई पीढिय़ों से रह रहे हैं। एनआरसी के दूसरे और अंतिम मसौदे को सोमवार को प्रकाशित किया गया जिनमें असम के 3.2 करोड़ आवेदकों में से 2.8 करोड़ लोगों के नाम जारी किए गए। इस दस्तावेज में 40 लाख लोगों के नाम शामिल नहीं थे।
ममता ने गृहमंत्री राजनाथ से मुलाकात की और कहा कि भाजपा की असहिष्णुता वाली राजनीति स्वीकार नहीं की जाएगी और विपक्ष एकजुट होकर 2019 में सत्तासीन दल को हराएगा। ममता ने भाजपा के विभिन्न नेताओं में अंतर का जिक्र करते हुए कहा, ‘मैं नहीं कह रहीं हूं कि सभी लोग खराब हैं। सुषमा स्वराज और राजनाथ सिंह अच्छे हैं। आलू और आलू चिप्स बराबर नहीं हो सकता।’ ममता ने बताया कि वह बुधवार को सोनिया गांधी से भी मिलेंगी। राजनाथ सिंह ने ममता से कहा कि असम में एनआरसी को अद्यतन करना पूरी तरह निष्पक्ष, पारदर्शी, गैर भेदभावपूर्ण और कानूनी प्रक्रिया है। उन्होंने ममता को भरोसा दिलाया कि एनआरसी प्रक्रिया में किसी को भी परेशान नहीं किया जाएगा और सभी को पर्याप्त मौका दिया जाएगा।
वहीं दूसरी तरफ शाह ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि किसी भी भारतीय को एनआरसी को लेकर चिंतित होने की जरूरत नहीं है और किसी भी वास्तविक नागरिकों के नाम हटाए नहीं जाएंगे। ऐसी उम्मीद है कि भाजपा देश भर में इस मुद्दे को लेकर जाएगी और लोगों को बताएगी कि विपक्ष घुसपैठिये का समर्थन कर रहा है। भाजपा अध्यक्ष ने कहा, ‘एनआरसी कांग्रेस के प्रधानमंत्री की पहल थी। उनमें (राजीव गांधी) इतनी हिम्मत नहीं थी, हममें हिम्मत है और हम अमल करने के लिए आगे बढ़ेंगे।’ शाह ने कहा कि एनआरसी देश की सुरक्षा और देशवासियों के मानवाधिकारों की रक्षा से जुड़ा है और कांग्रेस समेत सभी राजनीतिक दलों को इस पर रुख स्पष्ट करना चाहिए। गृहमंत्री ने विपक्षी दलों से अपील की थी कि वे संवेदनशील मुद्दे का राजनीतिकरण न करें।
(साभार- बी.एस.)
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