आर्थिक अपराधियों की सूची जल्द
नयी दिल्ली: आर्थिक अपराधियों के लिए अब छिपना या देश छोडक़र भागना आसान नहीं होगा। केंद्र सरकार ने सभी प्रमुख जांच एजेंसियों को विदेश भाग गए और देश में रह रहे सभी आर्थिक अपराधियों की सूची तैयार करने के लिए मिलकर काम करने का निर्देश दिया है। पिछले सप्ताह संसद में भगोड़ा आर्थिक अपराध विधेयक, 2018 को मंजूरी दी गई थी।अधिकारियों का कहना है कि इस सूची को रियल टाइम आधार पर अपडेट किया जाएगा और गंभीर आर्थिक अपराधों में लिप्त लोगों की पहचान के लिए यह तैयार दस्तावेज की तरह काम करेगी। एक के बाद एक वित्तीय घोटालों और धोखाधड़ी के कई मामले सामने आने के बाद इस तरह का कदम उठाया जा रहा है। इससे सरकार को नीरव मोदी, मेहुल चौकसी और विजय माल्या जैसे आर्थिक अपराधियों से निपटने में मदद मिलेगी। प्रवर्तन एजेंसियों के कोई कार्रवाई करने से पहले ही ये लोग देश से भागने में कामयाब रहे थे।
सूत्रों के मुताबिक वित्त मंत्रालय में राजस्व विभाग के तहत आने वाला केंद्रीय आर्थिक खुफिया विभाग (सीईआईबी) आर्थिक अपराधियों की सूची तैयार कर रहा है। इसके लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), राजस्व खुफिया विभाग (डीआरआई), केंद्रीय जांच ब्यूरो, कर एवं सीमा शुल्क विभागों तथा भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड से जानकारी इकट्ठा की जा रही है। सीईआईबी आर्थिक अपराधों के क्षेत्र में विभिन्न केंद्रीय जांच एजेंसियों और नियामकों के बीच बेहतर तालमेल के लिए जिम्मेदार है। अभी इस बात पर चर्चा हो रही है कि किन लोगों और संस्थाओं को इस सूची में शामिल किया जाएगा। मगर केंद्रीय उत्पाद कानून, सीमा शुल्क कानून, धन शोधन रोकथाम कानून, नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट ऐक्ट (चेक बाउंस से संबंधित कानून), भारतीय रिजर्व बैंक कानून, बेनामी संपत्ति लेनदेन रोकथाम कानून और भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों का उल्लंघन करने वाले व्यक्तियों या कंपनियों को इस सूची में शामिल किया जा सकता है।
अधिकारियों ने कहा कि सीईआईबी के जरिये सूची में नाम शामिल करने के लिए हर एजेंसी के लिए सीमा तय करने पर भी चर्चा हो सकती है। उदाहरण के लिए सीमा शुल्क विभाग एक करोड़ रुपये से अधिक के कर चोरी के मामलों की जानकारी दे सकता है। इसी तरह कर विभाग के मामले में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड द्वारा अधिकृत छापेमारी के मामलों पर ही सीईआईबी विचार करेगी।
सरकार को उम्मीद है कि इस तरह की सूची तैयार होने से विभिन्न केंद्रीय एजेंसियों के बीच बेहतर तालमेल सुनिश्चित होगा। अगर कोई एजेंसी किसी व्यक्ति या कंपनी की जांच कर रही है तो सूची की मदद से उसे यह तय करने में मदद मिलेगी कि दूसरी एजेंसी की भी उसमें दिलचस्पी है या नहीं। उदाहरण के लिए डीआरआई और कर विभाग क्रमश: 2014 और 2017 से नीरव मोदी की कंपनियों की जांच कर रहे थे। पंजाब नैशनल बैंक में करीब 140 अरब रुपये की धोखाधड़ी का आरोपी नीरव मोदी इसी साल देश से भागा था। पिछले सप्ताह राज्य सभा ने भगोड़ा आर्थिक अपराध विधेयक को ध्वनि मत से मंजूरी दी थी। लोक सभा ने इसे 19 जुलाई को ही मंजूरी दे दी थी।
(साभार- बी.एस.)
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