ई-कॉमर्स फर्मों की तय होगी जवाबदेही
नई दिल्ली: अगर आप ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म से कोई चीज खरीदते हैं और वह खराब या कमतर गुणवत्ता की निकलती है तो इसके लिए न केवल उसके विनिर्माता को बल्कि ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म को भी जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।
सरकार ई-कॉमर्स के लिए नए नियम बना रही है, जिसमें 'इलेक्ट्रॉनिक सर्विस प्रदाता' को स्पष्टï तौर पर परिभाषित किया जाएगा ताकि ऐसे प्लेटफॉर्म अपनी जवाबदेही से बच नहीं पाएं। उपभोक्ता मामलों के विभाग द्वारा बनाए जा रहे नियम में यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि ग्राहकों के हित में ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म विक्रेताओं के साथ किए गए नियम एवं शर्तों का अनिवार्य रूप से खुलासा करें। अधिकारियों ने कहा कि नए नियमों को उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम में भी शामिल किया जाएगा। यह अधिनियम अभी संसद में मंजूरी के लिए लंबित है।
एक वरिष्ठï अधिकारी ने कहा, 'ई-कॉमर्स के नए नियम में दिशानिर्देशों का संपूर्ण और समग्र उल्लेख होगा, जिसका सभी को पालन करना होगा और इससे इस क्षेत्र में आवश्यक स्पष्टïता और पारदर्शिता आएगी।' उन्होंने कहा कि नए ई-कॉमर्स नियमों में ग्राहकों की डेटा की निजता और सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। इसके साथ ही सभी ई-कॉमर्स कंपनियों को ग्राहकों तथा अपने प्लेटफॉर्म पर उत्पादों की बिक्री करने वाले विक्रेताओं के डेटा की निजता की सुनिश्चित करने की गारंटी देनी होगी। डेटा की निजता में किसी तरह के उल्लंघन पर दंड का प्रावधान किया गया है।
फेसबुक-कैंब्रिज एनालिटिका को लेकर दुनिया भर में विवाद छिडऩे के बाद डेटा की निजता को लेकर सतर्कता बरती जा रही है। ई-कॉमर्स क्षेत्र में भी इसका ध्यान रखा जाएगा। ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म को ग्राहकों को भुगतान सुरक्षा की भी पूरी गारंटी देनी होगी। मसौदा नियमों को विभिन्न मंत्रालयों की सलाह के लिए जारी किया गया है। इन नियमों के अलावा ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म को स्पष्टï तौर पर आपूर्ति, रिटर्न, सामान को बदलने और रिफंड नीति को प्रमुखता से प्रदर्शित करना होगा।
इस नीति को साल के अंत तक अंतिम रूप दिए जाने की उम्मीद है। इससे स्टोर एवं डिजिटल ढांचा, नियामकीय नियम, कराधान नीति, आंकड़ों का प्रवाह, सर्वर का स्थानीयकरण, बौद्घिक संपदा अधिकारों का संरक्षण, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और तकनीक आदि मसलों का समाधान होगा। इस महीने की शुरुआत में उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने कहा था कि भारत ई-कॉॅमर्स क्षेत्र के विनियमन के लिए नियम बनाने की प्रक्रिया में है। घरेलू ई-कॉमर्स का बाजार 2020 तक 120 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। पासवान ने कहा था कि भारत में ई-कॉमर्स का विकास सालाना 51 फीसदी की दर से हो रहा है। उन्होंने कहा कि गलत उत्पादों की आपूर्ति और अन्य अनुचित व्यापार व्यवहार को लेकर शिकायतें बढ़ रही हैं, जिसे देखते हुए ई-कॉमर्स के विनियमन की जरूरत है। संसद में हाल में दिए गए बयान के अनुसार भारत में ई-कॉमर्स कंपनियों खिलाफ ग्राहकों की शिकायतों की संख्या अप्रैल 2017 से मार्च 2018 के बीच 42 फीसदी बढ़कर 78,088 पहुंच गई।
पिछले साल की समान अवधि में 54,872 शिकायतें मिली थीं। राष्टï्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन पर की गई शिकायतों के आधार पर जुटाए गए आंकड़ों के मुताबिक पिछले पांच साल में ई-कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ शिकायतों की संख्या में 1400.5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
संजीव मुखर्जी
(साभार- बी.एस.)
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