वाहन उद्योग में बड़े पैमाने पर स्थायी भर्तियां बंद!
वाहनों की बढ़ती मांग पूरी करने के लिए मुख्य रूप से अस्थायी और अनुबंध पर कर्मचारियों को भर्ती कर रही हैं।
नई दिल्ली: बिजनेस स्टैण्डर्ड में प्रकाशित खबरों के मुताबिक़ अजय मोदी ने बताया कि, ऐसा लगता है कि देश में तेजी से बढ़ रहे वाहन उद्योग में स्थायी नौकरियां पैदा नहीं हो रही हैं। बड़ी वाहन कंपनियां सभी खंडों में वाहनों की बढ़ती मांग पूरी करने के लिए मुख्य रूप से अस्थायी और अनुबंध पर कर्मचारियों को भर्ती कर रही हैं।
देश की शीर्ष चार वाहन कंपनियों- मारुति सुजूकी, हीरो मोटोकॉर्प, अशोक लीलैंड और टीवीएस मोटर के कर्मचारियों के आंकड़ों का विश्लेषण दर्शाता है कि वित्त वर्ष 2018 के अंत तक की एक साल की अवधि में इन कंपनियों द्वारा बढ़ाए गए कर्मचारियों 24,350 में से मुश्किल से 4 फीसदी स्थायी थे। कंपनियां अपनी वृद्धि के बावजूद बड़ी संख्या में स्थायी कर्मचारी नहीं रखना चाहती हैं क्योंकि वाहनों की मांग घटती-बढ़ती रहती है।
23,500 से अधिक रोजगार अस्थायी थे और कुछ मामलों में तो स्थायी कर्मचारियों की संख्या वित्त वर्ष 2017 से भी कम थी। वाणिज्यिक वाहन बनाने वाली देश की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी अशोक लीलैंड का ही उदाहरण लें। कंपनी की सालाना रिपोर्टों के मुताबिक मार्च, 2018 में कंपनी के अस्थायी कर्मचारियों की संख्या 16,802 थी, जो मार्च, 2017 की तुलना में 81 फीसदी अधिक है। हालांकि इस अवधि में कंपनी के स्थायी कर्मचारियों की संख्या 11,906 से मामूली घटकर 11,835 पर आ गई। हिंदुजा परिवार की कंपनी को पिछले साल 262.48 अरब रुपये आमदनी हुई। कंपनी का मुनाफा भी 15.63 अरब रुपये के रिकॉर्ड स्तर पर रहा। कंपनी ने अस्थायी कर्मचारियों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी और अस्थायी और स्थायी कर्मचारियों को मिलने वाले वेतन एवं लाभों को लेकर पूछे गए सवालों का जवाब नहीं दिया।
सालाना रिपोर्ट के ब्योरे दर्शाते हैं कि दोपहिया वाहन बनाने वाली देश की सबसे बड़ी कंपनी हीरो मोटोकॉर्प के अस्थायी या अनुबंधित कामगारों की संख्या मार्च, 2018 में 24,690 थी, जो एक साल पहले की तादाद 16,114 से करीब 53 फीसदी अधिक है। कंपनी के स्थायी कर्मचारियों की संख्या मार्च, 2018 तक महज 200 बढ़कर 8,266 पर पहुंची है। हीरो ने पिछले साल रिकॉर्ड 75.8 लाख दोपहिया वाहनों का विनिर्माण एवं बिक्री की। कंपनी से पूछे गए सवालों का कोई जवाब नहीं मिला। देश की तीसरी सबसे बड़ी दोपहिया वाहन विनिर्माता टीवीएस मोटर के अस्थायी कर्मचारियों की संख्या मार्च, 2018 में एक साल पहले की तुलना में 41 फीसदी बढ़कर 10,297 हो गई। हालांकि कंपनी में स्थायी कर्मचारियों की तादाद करीब एक फीसदी घटकर 5,184 रह गई।
देश में हर दूसरी कार बेचने वाली कार विनिर्माता कंपनी मारुति सुजूकी के प्रशिक्षण हासिल करने वाले छात्रों समेत अस्थायी कर्मचारियों की संख्या 17,000 से अधिक है। यह आंकड़ा मार्च, 2017 की तुलना में करीब 35 फीसदी अधिक है। देश की इस सबसे मूल्यवान कंपनी के स्थायी या नियमित कर्मचारियों की तादाद मार्च, 2018 तक 5 फीसदी बढ़कर 14,940 हो गई है। कंपनी के चेयरमैन आर सी भार्गव ने कहा कि संयंत्र के उत्पादन क्षेत्र में नियमित कर्मचारियों के अनुपात में बड़ा बदलाव नहीं होता है।
उन्होंने कहा, 'आम तौर पर अस्थायी कर्मचारियों से उत्पादन से इतर क्षेत्र में कच्चेे माल एवं वाहनों को उतारने-चढ़ाने, साफ-सफाई एवं सुरक्षा आदि काम कराए जाते हैं।' हालांकि उन्होंने कहा कि स्थायी और अस्थायी कर्मचारियों के वेतन में बहुत ज्यादा अंतर नहीं है। नियमित कर्मचारियों का लंबे समय तक सेवा देने का रिकॉर्ड होता है, इसलिए उन्हें कुछ अतिरिक्त लाभ मिलते हैं। कंपनी के मानेसर संयंत्र में वर्ष 2012 में अस्थायी कामगारों ने हिंसक विरोध-प्रदर्शन किए थे, जिनमें एक मानव संसाधन कार्याधिकारी की जान चली गई थी और कई अधिकारी घायल हो गए थे। इस संयंत्र को कुछ समय के लिए बंद करना पड़ा था। अब अस्थायी कर्मचारियों को कुछ वर्षों पहले की तुलना में ज्यादा लाभ मिलते हैं। मारुति उद्योग कामगार यूनियन के महासचिव कुलदीप झांगू ने कहा कि अस्थायी कर्मचारियों के काम करने की अवधि 7 महीने है, जबकि अनुबंधित कर्मचारियों की एक साल है। उन्होंने कहा, 'आगे रोजगार पर रखना कंपनी की जरूरत और कर्मचारी के प्रदर्शन एवं व्यवहार पर निर्भर करता है।'
अस्थायी कर्मचारियों को भविष्य निधि कैंटीन का खाना, पोशाक और बोनस जैसे लाभ मिलते हैं। उद्योग के एक विशेषज्ञ ने कहा कि वाहन उद्योग में हमेशा मांग घटती-बढ़ती रहती है। उन्होंने कहा, 'पीक सीजन और कमजोर सीजन में मांग का अंतर 30 फीसदी तक हो सकता है, इसलिए वाहन कंपनियों को इस तरह के उतार-चढ़ाव से निपटने के लिए कर्मचारियों की संख्या घटाने-बढ़ाने की जरूरत होती है।'
(फोटो साभार- बी.एस.)
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